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जनसंख्या में नम्बर 1 भारत के पास चुनौतियों का अंबार, लेकिन अवसर कम

Independence Day: आजादी के 76 साल पूरे कर चुका हमारा देश हाल ही में एक मामले में पहला स्थान हासिल कर चुका है। ‘Nation First-Always First’ के नजरिये से अपनी अंतर-आत्मा को टटोलें तो ये उपलब्धि कई बड़ी समस्या की जड़ भी नजर आएगी। जनसंख्या के मामले में हमारे देश ने अब तक नम्बर 1 […]

Independence Day: आजादी के 76 साल पूरे कर चुका हमारा देश हाल ही में एक मामले में पहला स्थान हासिल कर चुका है। 'Nation First-Always First' के नजरिये से अपनी अंतर-आत्मा को टटोलें तो ये उपलब्धि कई बड़ी समस्या की जड़ भी नजर आएगी। जनसंख्या के मामले में हमारे देश ने अब तक नम्बर 1 की पोजिशन पर काबिज चीन को पीछे छोड़ दिया है। साल 2011 के बाद से देश में जनगणना भी नहीं हुई है। फिर भी कुछ रिसर्च के अनुसार देश में जन्म दर भी घट चुकी है, लेकिन फिर भी आज आबादी में दुनिया में पहले स्थान पर पहुंच गया है। इसी के साथ संयुक्त राष्ट्र की मानें तो साल 2023 के अंत तक हमारे देश की आबादी 142 करोड़ 86 के आसपास होगी, जो अब तक नम्बर एक पर काबिज चीन के मुकाबले करीब 25 लाख ज्यादा होगी। भारत जनसंख्या के लिहाज से भले ही दुनिया का पहला देश बन गया हो, लेकिन क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया का सातवां देश है। ऐसे में ये विशाल जनसंख्या देश के संसाधनों लिए कई चुनौतियां पेश कर रही है। 'Nation First-Always First' को पहल देते हुए हमें इन चुनौतियों से निपटने में कैसे काम करना है, इस पर विचार करना जरूरी है।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था-140 करोड़ जनसंख्या मतलब विश्व में किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार 280 करोड़ हाथ, लेकिन हकीकत पर गौर करना जरूरी

हालांकि बड़ी जनसंख्या एक बडा अवसर भी बन सकती है। दुनिया की लगभग 16 प्रतिशत आबादी वाले हमारे देश को युवाओं का देश कहा जाता है। यहां बुजुर्ग आबादी यानी 65 साल से ऊपर केवल 7 प्रतिशत है। दूसरी ओर दुनिया हमें एक बड़ी मार्किट की तरह देखती है। लिहाजा अगला दशक भारत का है। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा था 140 करोड़ जनसंख्या मतलब 280 करोड़ हाथ, जो विश्व में किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार है। भारत का लक्ष्य है साल 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनना। फिर भी सोचा जाए तो बड़ी चिंता इस बात की है कि यह स्थिति हमेशा नहीं रहेगी। अगले 10 साल बाद स्थिति तेजी से बदलेगी। पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी का संकेत तो भारत के पास आत्मनिर्भर बनने का अवसर, जानें ऐसा क्यों? यह अलग बात है कि भारत की जन्म दर कम होने को एक अच्छा संकेत माना जा रहा है, लेकिन यह भी गौरतलब है कि आबादी बढ़ने का ये सिलसिला अगले दशक तक कायम रहेगा। अगले कई बरसों में भी हमारा नम्बर 1 का ताज कोई हासिल नहीं कर पाएगा। जहां तक इसकी वजह बात है, चीन अपनी बढ़ती आबादी पर लगाम लगा चुका है और बाकी कोई देश हम दोनों के आसपास भी नहीं है। ऐसे में देश के संसाधनों पर भी दबाब बढ़ता जा रहा है। इस दबाब को कम करने के लिए हमें तेजी से विकास करना होगा और बुनियादी चीजें जिसमें आवास, परिवहन, शिक्षा स्वास्थ जैसी जरूरी चीजें शामिल हैं, उनके लिए बेहद कारगर नीति बनानी होगी। समाज के वो लोग, जो गरीबी रेखा से नीचे जी जीवन जी रहे हैं, कम से कम उनके लिए बुनियादी चीजों की उपलब्धता को सुनिश्चित करना होगा। इसी के साथ हालिया स्थिति पर गौर करें तो तेजी से बढ़ती जनसंख्या का प्राकृतिक संसाधनों पर दबाब पड़ रहा है। इन संसाधनों में पानी, भूमि, खनिज और जंगल शाम है। जनसंख्या बढ़ने की वजह से इनको भी जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है या यूं कहें कि दोहन हो रहा है। नतीजा उत्पादका की कमी, पानी की कमी और पर्यावरण में गिरावट। बढ़ती आबादी के चलते अगले 10 सालों में आवास, परिवहन, स्वास्थ्य और शिक्षण संस्थान जैसे बुनियादी ढांचे में बहुत बड़े पैमाने पर इन्वेस्टमेंट की जरूरत होगी। यह भी पढ़ें: मेडिकल डिवाइस के क्षेत्र में बड़ा हब बन रहा भारत, लेकिन अड़चनों पर भी पाना होगा काबू अब बात आती है इसके समाधान की तो तेजी से बढ़ती जनसंख्या का प्राकृतिक संसाधनों पर जो दबाब पड़ रहा है, उसको कम करने के लिए ठोस योजना बनानी होगी और लागू करनी होगी। जनसंख्या को रोकने के लिए सख्त जनसंख्या कानून की बात कही जा रही है, लेकिन क्या कानून समाधान है। अगर ऐसा होता तो चीन को कानून बदलने की जरूरत क्यों पड़ती। बढ़ती जनसंख्या का समाधान जागरूकता के जरिये ही निकाला जा सकता है। परिवार नियोजन जैसी योजनायों का काफी हद तक असर देखने को मिला भी है। अब लोग समझने लगे हैं कि बच्चे 2 ही अच्छे, लेकिन अभी भी गरीब तबके में ज्यादा बच्चो को ज्यादा कमाई का जरिया समझा जाता है। जरूरत है समाज के सबसे निचले वर्ग पर काम करने की। कुल मिलाकर एक बड़ी आबादी की तमाम जरूरतें पूरी करना भी एक बहुत बड़ा मुश्किल काम है। सभी के लिए रोजगार की व्यवस्था करना, सबके लिए भोजन की व्यवस्था करना, सबके लिए साफ पानी की व्यवस्था करना, सबके लिए शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्था करना। इनके लिए सरकारों को युद्धस्तर पर काम करना होगा लिहाज इसमे भारी भरकम इन्वेस्टमेंट की भी जरूरत होगी। जब इन्वेस्टमेंट होगी तो रोजगार भी बढ़ेगा और अवसर भी। <>


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