Heart Attack Causes: अगर आप ये सोचते हैं कि आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल ठीक है तो आपको हार्टअटैक या स्ट्रोक का खतरा नहीं है तो आप एकदम गलत सोच रहे हैं। हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल से भी खतरनाक एक ऐसा फैट है, जो हार्ट अटैक और स्ट्रोक ही नहीं डायबिटीज के लिए भी काफी हद तक जिम्मेदार होता है।
सबसे बड़ी बात ये है कि लोगों को ये पता ही नहीं होता है कि इस फैट के बढ़ने के कारण वे हार्ट अटैक के हाई रिस्क पर होते हैं। हालांकि लिपिड प्रोफाइल टेस्ट में इसका पता चल जाता है।
कौन सा है ये खतरनाक फैट?
इस फैट को ट्राईग्लिसराइड्स के नाम से जाना जाता है। यह हमारे ब्लड में पाया जाता है। जब भी हम खाना खाते हैं तो हमारी बॉडी खाने से प्राप्त कैलोरी को एनर्जी के लिए यूज करता है। वहीं, जो एक्स्ट्रा कैलोरी होती है, वो शरीर में फैट के रूप में स्टोर होती है। यह फैट ही ट्राईग्लिसराइड्स के रूप में स्टोर होता है।
क्यों हो जाता है खतरनाक?
ट्राईग्लिसराइड्स बेसिकली तब हमारी बॉडी को एनर्जी देने का काम करता है, जब हम व्रत रहते हैं या फिर खाना नहीं खाते हैं। वहीं, अगर इसका स्तर ज्यादा हो जाता है तो यह हमारी बॉडी के लिए खतरनाक हो जाता है। बड़ी बात यह है कि यह दबे पांव आने वाला कातिल है मतलब व्यक्ति को इसके बढ़ने के लक्षण तभी दिखते हैं, जब ये बढ़ चुका होता है।
हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का बढ़ता है जोखिम
दरअसल हाई ट्राईग्लिसराइड्स ब्लड सेल्स में जमा हो जाता है। इससे हार्ट संबंधी समस्याएं होने लगती है। इसके साथ ही ये हार्ट अटैक और दिमाग के स्ट्रोक का खतरा भी पैदा कर देता है।
पैन्क्रियाटाइटिस
हाई ट्राईग्लिसराइड पैंक्रियास में सूजन और जलन पैदा करता है। इससे अग्नाशय (पैंक्रियाज) डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है।
डायबिटीज का बनता है कारण
हाई ट्राईग्लिसराइड्स और लो इंसुलिन के सही उपयोग की क्षमता को डैमेज करता है, जिससे डायबिटीज का खतरा कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है।
क्या कहती हैं रिपोर्ट्स?
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन, जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफि कॉर्डियोलॉजी की रिसर्च में यह खुलासा हुआ है कि हाई ट्राईग्लिसराइड्स से हार्ट ब्लॉकेज और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है। इन अध्ययनों से यह भी बात सामने आई है कि ट्राईग्लिसराइड्स का बढ़ा लेवल बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के लेवल से ज्यादा खतरनाक होता है।
क्यों बढ़ता है ट्राईग्लिसराइड्स ?
उच्च ट्राईग्लिसराइड्स होने के कई सारे कारण हो सकते हैं।
अनहेल्दी फूड्स- जब हम ज्यादा तेल, चीनी या फैट वाले फूड्स को कंज्यूम करते हैं और इनसे प्राप्त हुई कैलोरी को बर्न करने लिए कोई भी फिजिकल एक्टिविटी नहीं करते हैं तो ट्राईग्लिसराइड्स का लेवल बढ़ जाता है।
मोटापा- ज्यादा मोटापा और पेट का फैट भी उच्च ट्राईग्लिसराइड्स का कारण हो सकता है। शरीर में जमी वसा ट्राईग्लिसराइड के रूप में ब्लड में मिल जाती है।
फिजिकल एक्टिविटी न करना- यह इसके बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है। जब हम कैलोरी सिर्फ कंज्यूम करते हैं और उसको यूज नहीं करते हैं तो ट्राईग्लिसराइड का लेवल अपने आप ही बढ़ता जाता है।
शराब और धूम्रपान- शराब पीना और धूम्रपान करना भी ट्राईग्लिसराइड के लेवल को बढ़ाता है।
हार्मोनल इंबैलेंस- डायबिटीज और थायरॉइड और किडनी संबंधी समस्याओं के चलते भी ट्राईग्लिसराइड्स का लेवल बढ़ता है। इसके साथ ही उम्र बढ़ने के साथ-साथ भी यह इंक्रीज होता है।
ऐसे करें कंट्रोल
इसके लेवल को कंट्रोल करने के लिए सबसे पहले आपको हेल्दी लाइफस्टाइल चुननी होगी। इसके लिए आपको एक टाइम टेबल बनाना होगा और उसके अनुसार सारे काम करने होंगे।
रेगुलर एक्सरसाइज की आदत डालें। इसके जरिए ट्राईग्लिसराइड नेचुरल रूप से काबू में आ जाता है।
स्मोकिंग करना और शराब पीना जितना ज्यादा हो सके कम कर दें या फिर बंद ही कर दें।
फल, सब्जियां खूब खाएं और ऑयली चीजों का सेवन बंद कर दें।
ट्राईग्लिसराइड ज्यादा बढ़ गया हो तो डॉक्टर से संपर्क करें। इसकी जांच के लिए लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराएं।