कहां से आता है भगवान का भोग
मंदिर की पुरानी परंपरा है कि खलासी समुदाय के सदस्य भगवान जगन्नाथ का रथ खींचते हैं। वहां रथ यात्रा के लिए जांजगीर चांपा जिले से मालपुआ बनकर आता है, जिससे भगवान को भोग लगाया जाता है। यह सिर्फ रथ यात्रा के दिन ही बनाया जाता है। इस खास प्रसाद को भगवान का पसंदीदा भोजन भी माना जाता है। यही नहीं, दूर-दूर से लोग चंपा आते हैं और भगवान का प्रसाद मालपुआ खरीदकर ले जाते हैं। इसके लिए लोगों को घंटों लाइन में लगना पड़ता है। इस मालपुआ को गुड़ से बनाया जाता है। गुड़ से बने इस मालपुआ को लोग खूब पसंद करते हैं। बता दें कि यहां मालपुआ काफी महंगा मिलता है, जो 150 से 170 रुपये प्रति किलो तक बेचा जाता है।कहां बनता है महा भोग
जगन्नाथ पुरी में, हर दिन भगवान को विशेष भोजन परोसा जाता है, जिसे महा भोग के रूप में जाना जाता है। इसे बाद में भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। इस प्रसाद को आध्यात्मिक और शुद्ध करने वाला माना जाता है। जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा की शुभ पूर्व संध्या पर, एस्ट्रोहेड आपके लिए 5 दिनों के लिए महा भोग में भाग लेने का अवसर देता है, जिसमें भगवान जगन्नाथ को प्रतिदिन 6 भोग लगाए जाते हैं। इस भोग को मंदिर के अंदर ही बनाया जाता है। ये भी पढ़ें- Rath Yatra 2025: क्या है महाप्रभु जगन्नाथ की ज्वरलीला? बुखार में उन्हें किस चीज का लगता है भोग, जानें सबकुछ
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।