TrendingHOROSCOPE 2025Ind Vs AusMaha Kumbh 2025Delhi Assembly Elections 2025bigg boss 18

---विज्ञापन---

कैंसर पर हासिल की जीत, फिटनेस ट्रेनर बन कर दुनिया को देते हैं सीख

कई बार ऐसा लगता है कि सब कुछ खत्म हो गया है। कुछ लोग उस वक्त भी संघर्ष करने की हिम्मत दिखाते हैं और फिर इतिहास रच देते हैं। ऐसी ही जीवट भरी कहानी है 31-वर्षीय गोविंद रावत की। उन्हें एक बहुत ही दुर्लभ किस्म का ब्लड कैंसर (एक्यूट मायलॉइड ल्यूकेमिया) हो गया था जिसमें […]

Image Credit: YouTube
कई बार ऐसा लगता है कि सब कुछ खत्म हो गया है। कुछ लोग उस वक्त भी संघर्ष करने की हिम्मत दिखाते हैं और फिर इतिहास रच देते हैं। ऐसी ही जीवट भरी कहानी है 31-वर्षीय गोविंद रावत की। उन्हें एक बहुत ही दुर्लभ किस्म का ब्लड कैंसर (एक्यूट मायलॉइड ल्यूकेमिया) हो गया था जिसमें बचने के चांस लगभग जीरो के बराबर थे। हालांकि उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और इस जानलेवा बीमारी से लड़ते हुए जीवन की जंग न केवल जीती वरन आज दूसरों को भी मोटिवेट कर रहे हैं। गोविंद हमेशा से ही एक फिटनेस फ्रीक रहे हैं। जब वह 16 वर्ष के थे तभी से बॉडी बिल्डिंग कर रहे थे। उनका खान-पान और रुटीन की दिनचर्या भी उसी प्रकार की थी। उन्होंने वर्ष 2021 में एक बॉडी-बिल्डिंग चैंपियनशिप भी जीती थी। उन्हें अपने जीवन में कभी कोई गंभीर बीमारी नहीं रही। लेकिन उसी वर्ष उनके साथ कई ट्रैजेडी हुई। यह भी पढ़ें: चोर ने एक के बाद एक चार जगह की 12,33,896 रुपए की चोरी, Apple AirTag ने पकड़वा दिया

एक के बाद एक कई तूफानों से जूझना पड़ा

कोरोना के दौरान गोविंद ने अपनी मां को खो दिया। वे खुद भी वायरस की चपेट में आ गए। बाद में उन्हें सीरियस टॉंसिलाइटिस हो गया। उन्हें बहुत ज्यादा बुखार रहने लगा। दवाईयों से किसी तरह सही हुए तो सिर में दर्द रहने लगा। न्यूरोलॉजिस्ट की सलाह पर उन्होंने टेस्ट करवाया जिसमें उनका हिमोग्लोबिन 7.5 और व्हाईट प्लेटलेट्स 50000 ही रह गई।

2021 में दुलर्भ ब्लड कैंसर का पता चला

एक दोस्त की सलाह पर वे कैंसर रोग विशेषज्ञ और बोन मैरो ट्रांसप्लांट एक्सपर्ट से मिलें। जांच में पता लगा कि उन्हें कैंसर है जो काफी खतरनाक स्टेज पर पहुंच चुका था। वे तुरंत कीमोथैरेपी और दूसरे ट्रीटमेंट करवाने लगे। इस दौरान उनकी मसल्स वीक होने लगीं, पेट में इंफेक्शन हो गया और वह कुछ भी खाने-पीने में असमर्थ हो गए। इंफेक्शन ज्यादा होने के कारण कीमोथैरेपी रोकनी पड़ी। बाद में किसी तरह इलाज शुरू हुआ। यह भी पढ़ें: ऐसी है Elon Musk की लाइफ, व्रत करते हैं, ऑफिस में ही सोते हैं और इन बीमारियों से भी हैं परेशान एक साल तक दवाओं और सप्लीमेंट्स के बाद, गोविंद को मार्च 2022 में कैंसर-मुक्त घोषित कर दिया गया। उन्होंने अब दवाएं लेना बंद कर दिया है, लेकिन उन्हें थोड़ी सी भी सर्दी और खांसी होने पर रिपोर्ट करने और हर दो महीने में रक्त परीक्षण कराने की आवश्यकता होती है। और चूंकि एएमएल चुपचाप आप पर हावी हो सकता है और पता नहीं चलने पर कई दिनों में आपकी जान जा सकती है, इसलिए डॉ. चक्रवर्ती का मानना है कि बार-बार बुखार, संक्रमण, अलग-अलग हीमोग्लोबिन और टीएलसी काउंट, भूख या वजन कम होने वाले हर व्यक्ति को सामान्य के पास जाने के बजाय पहले हेमेटोलॉजिस्ट से परामर्श करना चाहिए।

इलाज के बाद फिर शुरू किया अपना जीवन

गोविंद कहते हैं कि मेरे पास परिवार का सपोर्ट था जिसके कारण मैं अपनी हिम्मत बनाए रख सका और इस जंग में जीत पाया। धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य सही होने लगा और वे वापिस घर लौट आए। घर वापिस लौट कर उन्होंने फिर एक नई शुरूआत की। एक बार फिर से बॉडी बनानी शुरू की। उन्होंने अपना वजन 81 किलो तक बढ़ा लिया जिसे बाद में 75 किलोग्राम पर लेकर आए। उन्होंने अपना फिटनेस स्टूडियो खोला और दूसरों को भी जीने का उत्साह और साहस देने लगे।


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.