Swastik Vastu Tips: स्वस्तिक हिंदू धर्म और वास्तु शास्त्र में शुभता, समृद्धि और मंगल का प्रतीक माना जाता है. यह ऊर्जा, सुरक्षा और सकारात्मकता का चिन्ह है. इसलिए लोग इसे त्योहारों, पूजा और मंगल कार्यों पर घर के प्रवेश द्वार, पूजा घर और तिजोरी के पास बनाते हैं. लेकिन कुछ स्थान ऐसे भी हैं, जहां स्वस्तिक बनाना अशुभ माना गया है. मान्यता है कि गलत जगह बनाया गया स्वस्तिक परेशानियों, मानसिक तनाव और आर्थिक बाधाओं को बढ़ा सकता है. आइए जानते हैं, किन स्थानों पर स्वस्तिक बनाने की मनाही है और क्यों?
जूते-चप्पल के पास
स्वस्तिक कभी भी जूते-चप्पल रखने की जगह, घर के प्रवेश द्वार के नीचे या ऐसी जगह जहां लोग बार-बार पैरों से आवाजाही करते हों, वहां नहीं बनाना चाहिए. स्वस्तिक पवित्रता और शुभता का प्रतीक है, इसलिए उसके ऊपर पैर पड़ना या जूतों का स्पर्श लगना अपवित्रता और अनादर माना जाता है. ऐसा करने से घर में कलह बढ़ना, कामों में अनावश्यक रुकावट आना और अचानक खर्चों का बढ़ जाना जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
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शौचालय और गंदे स्थानों पर
शौचालय और स्नानघर के आसपास जैसे टॉयलेट के दरवाजे, उसके भीतर, नालियों, सीवर या गंदे क्षेत्रों के पास स्वस्तिक बनाना भी अत्यंत अशुभ माना जाता है. इन स्थानों को अशुद्ध माना गया है और वहां पवित्र चिन्ह का उपयोग करने से उसकी ऊर्जा का अपमान होता है. इसके कारण स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां, मानसिक चिड़चिड़ापन और घर की सकारात्मक ऊर्जा में भारी कमी देखी जा सकती है.
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शोककाल और बीमारी में
घर में किसी की मृत्यु, गंभीर बीमारी, या किसी भी प्रकार के शोककाल के दौरान स्वस्तिक बनाना वर्जित माना जाता है. शोककाल को ऊर्जा के अत्यंत निम्न स्तर वाला समय माना गया है, जबकि स्वस्तिक शुभारंभ और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है. इस विरोधाभास के कारण घर में निरंतर मानसिक तनाव बना रहना, समस्याओं का समय पर हल न मिलना और परिवार के सदस्यों में असंतुलन या अवसाद जैसी स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं.
श्मशान या मृत्यु से जुड़े स्थानों पर
स्वस्तिक को कभी भी श्मशान, शव या अंतिम संस्कार से जुड़ी जगहों पर नहीं बनाना चाहिए. स्वस्तिक जीवन, ऊर्जा और शुरुआत का प्रतीक है, जबकि मृत्यु स्थल अंत और विराम का संकेत देते हैं. इन दोनों का मिलना ऊर्जात्मक असंतुलन पैदा करता है, जिसका परिणाम भय, अनचाही नकारात्मक ऊर्जा, घर में बाधाओं का बढ़ना और व्यापार या नौकरी में लगातार रुकावटों के रूप में सामने आ सकता है.
अनुचित अवसरों पर
वास्तु शास्त्र के अनुसार गलत समय या अनुचित अवसरों पर भी स्वस्तिक बनाने से बचना चाहिए. व्रत का उल्लंघन हो रहा हो, पितृ कार्य चल रहा हो, या व्यक्ति मानसिक रूप से अत्यधिक अस्थिर हो—ऐसे समय में स्वस्तिक बनाना शुभ नहीं माना जाता. इससे बनाई गई ऊर्जा स्थिर नहीं रहती और जीवन में अनावश्यक तनाव, उलझनें और असंतोष बढ़ने की संभावना रहती है.
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।