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सिंदूर कहीं नकली तो नहीं? कैसे करें असली की पहचान, किडनी और दिमाग से खास कनेक्शन

Real Or Fake Vermillion: मार्केट में नकली सिंदूर मिलता रहा है, जिस वजह से महिलाएं बीमारियों का शिकार भी हो रही हैं। असली और नकली सिंदूर की पहचान कैसे की जाए?

Real or Fake Vermillion
How To Differentiate Real or Fake Vermillion: सिंदूर सुहागिन महिलाओं का सबसे स्पेशल 'गहना' है। हर शादीशुदा महिला पति के नाम का सिंदूर लगाती है। ज्यादातर महिलाएं हर रोज लगाती हैं। सिंदूर का लाल रंग महिला की ऊर्जा का प्रतीक होता है। सिंदूर चूना, हल्दी और मरकरी से बनाया जाता है। इसलिए इसमें कई पोषण तत्व होते हैं, लेकिन इसके फायदे कम नुकसान ज्यादा हैं। यह तनाव कम करता है और ब्रेन को एक्टिव बनाता है, लेकिन आजकल मार्केट में नकली सिंदूर भी देखने को मिल रहा है, जिस वजह से महिलाएं बीमारियों का शिकार भी हो रही हैं। ऐसे में असली और नकली सिंदूर की पहचान कैसे की जाए, आइए इस बारे में बात करते हैं... यह भी पढ़ें: माथे पर क्यों लगाते हैं तिलक? क्या है इसका महत्व, लगाने के नियम और फायदे

हिमाचल और महाराष्ट्र में मिलता सिंदूर का पौधा

आजकल मार्केट में सिंदूर मिलता है, लेकिन एक समय था, जब सिंदूर नहीं था तो प्रकृति में एक ऐसा पौधा था, जिससे पुराने जमाने की महिलाएं सिंदूर लगाती थीं। इस पौधे को सिंदूर का पौधा या कमिला कहते हैं। यह पौधा दक्षिण अमेरिका समेत कई एशियाई देशों में पाया जाता है। अमेरिका में इसके नेचुरल कलर को ब्यूटी प्रोडक्ट्स जैसे लिपस्टिक, हेयर डाई, नेल पॉलिश आदि बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। इससे पेंट भी बनाया जाता है। भारत में सिंदूर का पौधा हिमाचल और महाराष्ट्र में मिलता है। एक पौधे से सिंदूर के डेढ़ किलो बीज निकलते हैं। रंग बनाने के लिए बीजों का ही इस्तेमाल होता है। सिंदूर का पौधे लगाने के लिए खाद-पानी की जरूरत नहीं होती। यह भी पढ़ें: Interesting Facts: सांप कैसे खाते और कैसे पीते हैं पानी? सांपों के बारे में दिलचस्प और अनसुनी बातें

सिंदूर असली या नकली, कैसे करें पहचान?

असली सिंदूर पेड़ से बनता है, जो नेचुरल होता है। नकली सिंदूर लेड और सिंथेटिक कलर्स को मिलाकर बनाया जाता है। असली और नकली की पहचान करने के लिए सिंदूर को हाथ पर रखें। पहले घिसे और फिर फूंक मार कर देखें। अगर सिंदूर उड़ गया तो यह असली है। अगर सिंदूर हाथ पर चिपका रह गया तो यह नकली है। नकली सिंदूर का रंग हाथ से आसानी से नहीं जाता है, क्योंकि उसे बनाने के लिए गहरे सिंथेटिक कलर का यूज किया जाता है। खड़िया, सिंथेटिक कलर और शीशे का इस्तेमाल किया जाता है। असली सिंदूर पौधे से फल तोड़कर उसके बीज से निकाला जाता है। इन बीजों को सुखाया जाता है। सुखने के बाद इन्हें पीस कर सिंदूर तैयार किया जाता है। इसी कारण असली सिंदूर में बहुत अच्छी महक भी होती है। यह भी पढ़ें: होटल रूम या वॉशरूम में हिडन कैमरा तो नहीं, तुरंत ऐसे लगाएं पता

नकली सिंदूर लगाने के से होती बीमारियां

माथे पर एक चुटकी सिंदूर महिलाओं को कई बीमारियां दे सकता हैं। सिंदूर को तैयार करने के लिए जिन रसायनों का इस्तेमाल होता है, वह बालों के झड़ने का कारण हो सकते हैं। इससे स्किन पर चकते हो सकते हैं। खुजली की परेशानी हो सकती है। अगर सिंदूर को बनाने में पारा सल्फाइड हुआ तो यह स्किन कैंसर का जिम्मेदार हो सकता है, लेकिन सिंदूर स्ट्रेस भगाने में मददगार माना जाता है, लेकिन मिलावटी सिंदूर बनाने में लेड यानी सीसा और मरकरी इस्तेमाल होता है, जो नर्व और डाइजेशन सिस्टम, फेफड़ों, गुर्दों, आंखों और इम्यूनिटी पर बुरा असर डाल सकता है। यह ब्रेन को भी बुरी तरह प्रभावित कर सकता है।


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