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कोडीन युक्त सिरप मामला: यूपी के 36 जिलों में 118 से ज्यादा FIR, गैंगस्टर लगाने की तैयारी में योगी सरकार?

कोडीन युक्त सिरप मामले में तमिलनाडु सरकार की निष्क्रियता पर सवाल तेजी से उठ रहे हैं. फेंसिडिल सप्लाई चेन का खुलासा होने के बावजूद एमके स्टालिन सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं दिखी. देशभर में हो रही कार्रवाइयों के बीच तमिलनाडु की चुप्पी इस पूरे विवाद को और गहरा रही है.

देशभर में कोडीन युक्त सिरप फेंसिडिल (Codeine Syrup Phensedyl) के काला धंधा मामले में जारी बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा. अब यह मामला तमिलनाडु, पंजाब, हिमाचल और पश्चिम बंगाल जैसे तमाम राज्यों में सवाल बनता जा रहा है. लेकिन अब तक इस सवाल का जवाब सामने नहीं आया कि आखिर कोडीन सिरप के रूप में एक प्रिस्क्रिप्शन ड्रग सरकारों की नाक के नीचे नशे का विकल्प बना दिया गया और किसी को कुछ पता ही नहीं चला. तमिलनाडु में जहां दवा के निर्माता की फैक्ट्री है वहां अब तक कोई कार्रवाई ही नहीं हुई. इसे लोग पचा नहीं पा रहे. दूसरी तरफ यूपी की सरकार कोडीन सिरप मामले में ताबड़तोड़ कार्रवाइयों से पूरे देश का ध्यान खींचा है.

कोडीन युक्त सिरप का मामला तब चर्चा में आया जब मध्य प्रदेश में इसके सेवन से बच्चों की मौतों का खुलासा हुआ. मौतों का मामला सामने आने के बाद कोडीन युक्त सिरप और एनडीपीएस कैटेगरी की दवाइयों के अवैध भंडारण, क्रय-विक्रय, वितरण व अवैध डायवर्जन को लेकर परतें खुलने लगीं. इसमें पंजाब से लेकर तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल का नाम प्रमुखता से सामने आया. अब यह भी सामने आ रहा है कि पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश तक कोडीन युक्त कफ सिरप के गंदे कारोबार का जाल बिछा था जिसके तार विदेश में दुबई तक जुड़ते हैं.

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एमके स्टालिन की सरकार पर सवाल

दिलचस्प बात यह है कि तमिलनाडु में कोडीन सिरप बनाने वाली कंपनी की फैक्ट्री है लेकिन अभी तक एमके स्टालिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की. पंजाब में जहां कोडीन सिरप का नशे के विकल्प के रूप में इस्तेमाल होता रहा वहां भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. किसी को बताने की जरूरत नहीं कि पंजाब में भगवंत मान की आप सरकार, ड्रग और नशे की वजह से लंबे वक्त से सवालों के घेरे में है. पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश में तस्करी होती रही, लेकिन ममता सरकार की तरफ से बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले रैकेट के खिलाफ कोई बड़ा क्रैकडाउन देखने को नहीं मिलता. हिमाचल की कांग्रेस और झारखंड की इंडिया गठबंधन की सरकार भी कोडीन सिरप मामले में सवालों के दायरे से बाहर नहीं है.

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118 से ज्यादा FIR, योगी सरकार लगाएगी गैंगस्टर

कोडीन मामले के चर्चित होने के बाद उत्तर प्रदेश देश का इकलौता राज्य है जहां अब तक सर्वाधिक कार्रवाइयां हुई हैं. साल 2024 में ही यूपी सरकार ने मामले में एक्शन के लिए विशेष टीमों का गठन किया था. अब तक यूपी में अलग-अलग कार्रवाइयों के तहत 36 जिलों में करीब 275 से ज्यादा औषधि प्रतिष्ठानों पर एक्शन लिया गया है. अब तक अलग-अलग जिलों में 118 से ज्यादा प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है. ये एक्शन कोडीन युक्त सिरप और एनडीपीएस कैटेगरी की दवाइयों के अवैध भंडारण, खरीद-बिक्री और उनके डिस्ट्रीब्यूशन और अवैध डायवर्जन को लेकर किए गए हैं. खबर यह भी सामने आ रही है कि युवाओं को नशे की अंधी सुरंग में झोंकने की कोशिश करने वालों के खिलाफ यूपी सरकार गैंगस्टर एक्ट लगाने की कार्रवाई पर भी विचार कर रही है.

यूपी के गाजियाबाद, लखनऊ, बरेली, लखीमपुर खीरी, बहराइच, कानपुर, जौनपुर, बनारस आदि जगहों पर लगातार एक्शन जारी है. जिन लोगों के प्रतिष्ठानों पर एक्शन किए गए हैं उनमें कोडीन युक्त सिरप मामले के किंगपिन शुभम जायसवाल, अमित टाटा, विशाल सोनकर, विशाल उपाध्याय, आकाश मौर्य, अरुण सोनकर, इमरान, इरशाद, अनमोल गुप्ता, रोहन पचोरी जैसे लोग शामिल हैं. करीब आधा दर्जन से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

यूपी में सालभर पहले से शुरू है कार्रवाई

बताते चलें कि यूपी सरकार ने नकली कफ सिरप मामले की जांच फरवरी 2024 में शुरू कर दी थी. मंडल और प्रादेशिक स्तर पर विशेष टीमें बनाई गईं. कई राज्यों में फेंसिडिल की अवैध सप्लाई का इंटेलिजेंस मिलने के बाद यूपी सरकार ने एसटीएफ और फूड एंड ड्रग विभाग की संयुक्त टीम बनाई. एक-एक कार्रवाई के बाद समूचे रैकेट का खुलासा होने लगा.

लेकिन अभी भी कोडीन युक्त सिरप के मामले में सबसे बड़ा सवाल है कि सालभर से मामले की चर्चा हो रही थी तब हिमाचल, पंजाब, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल की सरकारों ने क्या किया? चर्चा है कि दवा के अवैध कारोबार में लगे माफियाओं को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा था.

कैसे नशे का विकल्प बना कोडीन सिरप, कौन करता है कंट्रोल?

कोडीन एक प्रिस्क्रिप्शन ड्रग है, लेकिन इसे प्रतिबंधित नहीं किया गया है. यानी अगर कोई डॉक्टर लिखता है तो मरीज यह दवा खरीदकर इस्तेमाल कर सकता है. मगर पंजाब जैसे राज्य जो नशे के लिए कुख्यात हैं वहां कोडीन सिरप को नशे के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा. उन राज्यों या जगहों पर भी यह नशे का विकल्प बन गया जहां शराब प्रतिबंधित है. देखते ही देखते यह एक सामाजिक कुरीति की तरह फैल गई.

यह भी बताते चलें कि कोडीन फॉस्फेट के रॉ मैटेरियल को केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (CBN), मध्य प्रदेश के अंतर्गत नियंत्रित किया गया है. यहीं से इसके विनिर्माण और आपूर्ति की निगरानी की जाती है. CBN की तरफ से केवल उन फार्मास्युटिकल फर्मों या फिर दवा निर्माता कंपनियों को अनिवार्य कोटा जारी किया जाता है, जिन्हें कोडीन युक्त दवा (कफ सिरप) बनाने की अनुमति है. इसके बिक्री और वितरण का रिकॉर्ड भी CBN की तरफ से संरक्षित किया जाता है.


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