उत्तर प्रदेश में कफ सिरप के मामले में शनिवार को सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने एक बार फिर प्रेस कांफ्रेंस की. इस प्रेस कांफ्रेंस में अखिलेश यादव ने योगी सरकार को हर तरफ से घेरने की कोशिश की. शेरो-शायरी भी की और आरोपों के जवाब भी दिए. लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में जवाब और सफाई देने आए अखिलेश यादव से एक चूक हो गई. वह ‘सेल्फ गोल’ कर गए. जवाब देने आए थे. जवाब तो नहीं दे पाए. उल्टे खुद ही खुद को कठघरे में खड़ा कर दिया.
दरअसल, ठीक एक दिन पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सपा पर दिए वक्तव्य का जवाब देने अखिलेश आए थे. लेकिन कोडीन के मामले में अखिलेश पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बचते रहे. जो सवाल CM योगी आदित्यनाथ ने उनसे एक दिन पहले पूछे थे- उससे प्रेस कॉन्फ्रेंस में भागते ही नजर आए. CM योगी ने शुक्रवार को कोडीन सिरप जांच के संदर्भ में सीधे समाजवादी पार्टी पर करारा हमला बोला था. मुख्यमंत्री ने कहा था कि जो भी अभियुक्त गिरफ्तार किए गए हैं, उनके संबंध सपा नेताओं से सामने आए हैं. अभी जांच जारी है. जांच रिपोर्ट आने पर दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा.
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इतना ही नहीं…मुख्यमंत्री ने सरकार को घेरने की कोशिश में जुटे अखिलेश यादव पर तंज भी किया. उन्होंने कहा- 'यही कसूर मैं बार-बार करता रहा, धूल चेहरे पर थी और आईना साफ करता रहा'. यह अखिलेश पर सीधा प्रहार था. मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद से ही माना जा रहा था कि अखिलेश पलटवार जरूर करेंगे. वही हुआ भी. लेकिन कहानी वैसी नहीं रही, जैसी पहली थी. अखिलेश के पास कहने को कुछ नहीं था. उल्टे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक दिन पहले जो आरोप लगाए थे- उसे एक तरह से स्वीकार भी कर लिया.
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प्रेस कांफ्रेंस में अखिलेश ने बिना आलोक सिंह का नाम लिए उनके साथ अपनी तस्वीर पर सफाई दी. अखिलेश यादव ने कहा कि यह सामान्य बात है कि सार्वजनिक जीवन में किसी नेता की तस्वीर, किसी के साथ हो सकती है. इसका मतलब यह नहीं कि नेता का उससे करीबी संबंध भी है.
यहां तक तो ठीक था. अखिलेश आलोक सिंह का नाम लिए बिना यह भी कह गए कि आरोपी सिपाही साल 2006 में सोना लूट कांड में पकड़ा गया था. उसे हमारी ही सरकार ने पकड़ा. यहीं अखिलेश यादव गलती कर गए. 2006 में स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. अखिलेश की ही सरकार में जिस दागी सिपाही को सोना लूट कांड में पकड़ा गया वही सिपाही अगर बाद में अखिलेश यादव से मिलता हो- तो बात अलग बन जाती है. यहां सिपाही के साथ अखिलेश की तस्वीर सामान्य नहीं मानी जाएगी. अखिलेश को, अखिलेश के साथ सिपाही को मिलाने वाले को- दागी सिपाही के अतीत के बारे में जरूर पता होगा. प्रेस कांफ्रेंस में अखिलेश ने जो यह तथ्य दिया, वह पेचीदा है.
अखिलेश ने यह बात भी मान ली कि समाजवादी पार्टी की सरकारों में पुलिस लूटपाट करती थी. पुलिस पर अलग अलग राज्यों में वसूली और लूटपाट के आरोप लगते रहे हैं. जिस मामले का अखिलेश ने जिक्र किया उसमें बर्खास्तगी तुरंत नहीं हुई थी. बल्कि मीडिया की लगातार रिपोर्टिंग के बाद दागी सिपाही पर सरकार ने एक्शन लिया था. अखिलेश के लिए यह सेल्फ गोल ऐसा है कि आलोक सिंह के साथ रिश्तों का सवाल उनका पीछा करता रहेगा. भाजपा नेताओं ने कोडीन सिरप मामले में जो आरोप लगाए हैं उसे बल भी मिलेगा. अखिलेश की स्वीकारोकति से दो चीजें पुख्ता हिन. एक- समाजवादी सरकारों में पुलिस की भूमिका आपराधिक थी. और दूसरा- अखिलेश ने एक दागी व्यक्ति का अतीत जानते हुए भी मुलाकात की. सवाल उठने पर उस व्यक्ति के अतीत से खुद को अनभिज्ञ बताया. क्या लोग अखिलेश के तर्क को पचा पाएंगे? बिल्कुल नहीं. योगी सरकार ने ही आलोक को हटाया था…
अब मजेदार बात यह है कि जिस आलोक सिंह को लेकर अखिलेश यादव लगातार हमले कर रहे थे, उसे 2019 में योगी सरकार के वक्त ही दोबारा हटाया गया था. 2006 में हटाए जाने के बाद वह कोर्ट के रास्ते दोबारा नौकरी में बहाल हो गया था. क्योंकि उसके खिलाफ पुलिस पुख्ता पैरवी ही नहीं कर पाई. या यह भी हो सकता है कि आलोक सिंह के खिलाफ सरकार ने पुख्ता पैरवी की ही नहीं. लेकिन 2019 में योगी सरकार ने आलोक के दागदार व्यवहार, सोना लूट और अन्य आपराधिक मामलों के कारण खाकी को बदनाम करने पर फिर कार्रवाई की.