दिल्ली नगर निगम के उपचुनाव ने राजधानी की राजनीति में एक साफ संदेश दिया है, जनता बदलाव नहीं, बेहतर कामकाज की वापसी चाहती है. और यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल द्वारा चुने गए समर्पित और जमीनी कार्यकर्ताओं को जनता ने दोबारा सिर-आंखों पर बिठाया है. 3 सीटों पर आम आदमी पार्टी की जीत ने स्पष्ट कर दिया कि राजधानी का जनसमर्थन तेज़ी से फिर से AAP की ओर जुट रहा है. सिर्फ 10 महीनों में ही जनता का भरोसा वापस लौटना यह दिखाता है कि दिल्ली की राजनीतिक चेतना अभी भी विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और ईमानदारी पर ही टिकती है और इन चारों स्तंभों का नाम है आम आदमी पार्टी.
इसके उलट, सत्ता में बैठी बीजेपी की स्थिति जनता ने साफ कर दी है. दिल्ली की राजनैतिक जमीन पर उनकी पकड़ पहले की तरह नहीं रही. 9 से घटकर 7 सीटों पर आ जाना इस बात का संकेत है कि दिल्ली के लोग सियासी शोर नहीं, ठोस काम देखते हैं, और इस बार जनता ने स्पष्ट रूप से बताया कि काम किसने किए और किसने सिर्फ बयान दिए.
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अरविंद केजरीवाल का यह आकलन बिल्कुल सही दिखाई देता है कि दिल्ली बहुत जल्द फिर से सकारात्मक राजनीति और अच्छे कामों की तरफ लौट रही है. उपचुनाव के नतीजे इसका पहला प्रमाण हैं. जनता ने AAP के ईमानदार कार्यकर्ताओं और जमीन से जुड़े नेतृत्व को चुना, न कि सत्ता के अहंकार को.
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दिल्ली का यह जनादेश सिर्फ़ तीन सीटों की जीत नहीं है, यह एक तेजी से लौटते विश्वास की कहानी है. यह कहानी है उस राजनीतिक संस्कृति की, जिसमें सत्ता नहीं, जनता सर्वोपरि है. यह कहानी है उस सोच की, जो दिल्ली को फिर से शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास की राजधानी बनाना चाहती है. उपचुनाव में जनता ने बता दिया है कि दिल्ली का दिल अभी भी "आम आदमी” के साथ धड़कता है.