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Chenab Rail Bridge: एफिल टॉवर से ऊंचा, भूकंप-ब्लास्ट भी बेअसर…जानें दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज की 10 खासियतें

Chenab Rail Bridge Facts: दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज पर इंजन और ट्रेन का ट्रायल रन पूरा हो चुका है। आइए जानते हैं कि इस ब्रिज से पहली ट्रेन कब दौड़ेगी और इस पुल की खासियतें क्या हैं? जो इसे दुनिया की सबसे अनूठी रचना बनाती हैं।

World Highest Chenab Rail Bridge
World Highest Chenab Rail Bridge Facts: भारत के स्वर्णिम इतिहास में एक और उपलब्धि जुड़ गई है। जी हां, देश के इंजीनियर्स ने पूरी दुनिया को इंजीनियरिंग का सबसे अनूठा और सबसे खूबसूरत नमूना दिखाया है। भारत में दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज बना है। जम्मू कश्मीर में चिनाब नदी के ऊपर बने इस रेलवे पुल की ऊंचाई 359 मीटर है। 16 जून को इस पुल पर इंजन का ट्रायल रन किया गया था। 20 जून को इस पुल पर मेमू ट्रेन का ट्रायल रन किया गया। 30 जून को ​इस पुल पर दौड़ने वाली पहली ट्रेन को हरी झंडी दिखाई जा सकती है। ट्रेन संगलदान से रियासी के बीच दौड़ेगी, जिससे जम्मू का रियासी जिला कश्मीर शहर से जुड़ जाएगा।  

ट्रायल रन पूरा, अब आगे क्या होगा?

बता दें कि चिनाब रेल ब्रिज उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) कहलाएगा। यह रेल ब्रिज जम्मू कश्मीर के रामबन जिले के संगलदान शहर को रियासी शहर से जोड़ेगा। ब्रिज के एक तरफ दुग्गा और दूसरी बक्कल रेलवे स्टेशन है। करीब 272 किलोमीटर लंबे USBRL प्रोजेक्ट का 209 किलोमीटर लंबा ट्रैक बन गया है। 118 किलोमीटर लंबा काजीगुंड-बारामुला ट्रैक का पहला फेज अक्टूबर 2009 में शुरू हुआ। जून 2013 में 18 किलोमीटर लंबे बनिहाल-काजीगुंड ट्रैक का निर्माण शुरू हुआ। जुलाई 2014 में 25 किलोमीटर लंबे उधमपुर कटरा रेल ट्रैक का निर्माण शुरू हुआ। फरवरी 2024 में 48.1 किलोमीटर लंबा बनिहाल संगलदान ट्रैक बनकर पूरा हुआ। नॉर्दर्न रेलवे के पब्लिक रिलेशन ऑफिसर दीपक कुमार ने बताया कि अब इस ब्रिज पर ट्रेन दौड़ाने का फैसला रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) डीसी देशवाल लेंगे। वे अपनी टीम के साथ ब्रिज का निरीक्षण करेंगे। यह निरीक्षण 27 और 28 जून को हो सकता है। उनकी हरी झंडी मिलते ही 30 जून से ब्रिज पर ट्रेन दौड़ने लगेगी।  

चिनाब ब्रिज की खासियतें

  • लंबाई 1315 मीटर, 1.3 किलोमीटर
  • 17 खंभों पर खड़ा, खंभों की ऊंचाई 133 मीटर
  • 485 मीटर का आर्क, 1486 करोड़ लागत
  • चिनाब नदी से ऊंचाई 359 मीटर
  • एफिल टॉवर (330 मीटर) से 35 मीटर ज्यादा ऊंचा
  • 25000 से ज्यादा मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल
  • 40 किलो तक का विस्फोटक झेलने में सक्षम
  • 220 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवा झेलने में सक्षम
  • 20 साल बनने में लगे, 2003 में घोषणा, 2004 में निर्माण शुरू
  • रिक्टर स्केल पर 8 की तीव्रता वाला भूकंप झेलने में सक्षम
  • अगले 120 साल तक रेलवे पुल के ढहने का सवाल ही नहीं
  • 17 स्पैन, 93 डेक, 100 की स्पीड वाली ट्रेन दौड़ सकती है
 


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