कोर्ट ने कहा- इसलिए अग्रिम जमानत पर रोक जारी रहेगी
कोर्ट ने पाया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम (एससी/एसटी अधिनियम) के तहत अपराधों में गिरफ्तारी से पहले जमानत देने पर रोक लागू होगी। आरोप प्रथम दृष्टया सही हैं और एससी/एसटी अधिनियम की धारा 18 और 18ए के तहत विशिष्ट रोक को देखते हुए अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती।आरोपी का क्या कहना था?
आरोपी अपीलकर्ता ने हाईकोर्ट के सामने दावा किया कि पीड़िता और उसके संबंध ठीक थे लेकिन रिश्ते में तनाव के कारण उसने रेप की झूठी शिकायत दर्ज कराई थी। पीड़िता और अपीलकर्ता आरोपी के बीच फोन कॉल की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी कोर्ट में पेश की गई और आरोपी के वकील की ओर से दावा किया गया कि कथित घटना के बाद भी दोनों के बीच संबंध सौहार्दपूर्ण थे। ये भी पढ़ें: ‘पत्नी को कैंसर है, दर्द से चिल्लाती है’, महिला को 12 सालों तक ‘टॉर्चर रूम’ में कैद रखने वाली खौफनाक कहानी इस पर पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने कहा कि भले ही पीड़िता और अपीलकर्ता के बीच कोई संबंध था, लेकिन बलात्कार का आरोप कायम रहेगा। क्योंकि अपीलकर्ता ने पीड़िता को हानिकारक तरल पदार्थ दिया था और उसे बेहोश कर वारदात को अंजाम दिया था। सब कुछ देखने के बाद, अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि अपीलकर्ता के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है और अग्रिम जमानत के लिए उसकी याचिका खारिज कर दी।और पढ़िए – देश से जुड़ी अन्य बड़ी ख़बरें यहां पढ़ें
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