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तेलंगाना में केसीआर को क्यों मिली करारी हार? बीआरएस की शिकस्त के बड़े कारण

Why KCR And BRS Lost in Telangana Election 2023: आखिर तेलंगाना में केसीआर और बीआरएस को इस चुनाव में हार का सामना क्यों करना पड़ा?

Why KCR And BRS Defeat in Telangana Election 2023
Why KCR And BRS Lost in Telangana Election 2023: तेलंगाना चुनाव में कांग्रेस ने बाजी मारी है। यहां मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव (केसीआर) के नेतृत्व वाली मौजूदा भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को हार का सामना करना पड़ा है। कुल 119 सीटों में से 64 पर कांग्रेस आगे चल रही है, वहीं केसीआर की बीआरएस 40 सीटों पर बढ़त के साथ पीछे है। यह राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में बड़े बदलाव का प्रतीक है। आखिर तेलंगाना में पिछले 10 साल से सत्ता पर काबिज केसीआर और बीआरएस को इस चुनाव में हार का सामना क्यों करना पड़ा, आइए जानते हैं...

परिवारवाद और भ्रष्टाचार का आरोप

केसीआर पर परिवारवाद और भ्रष्टाचार का आरोप लगा था। उनके खिलाफ सत्ता विरोधी लहर चल रही थी। माना जाता है कि बीआरएस के नेता जनता की सुनवाई नहीं कर रहे थे। इससे लोगों में नाराजगी थी। स्थानीय लोगों ने बीआरएस के पार्टी कार्यालयों को बड़े बंगलों में तब्दील होने के आरोप लगाए हैं। किसानों, युवाओं, दलितों और पिछड़े वर्गों सहित समाज के विभिन्न वर्गों की आकांक्षाओं को पूरा करने में विफलता बीआरएस सरकार की हार का बड़ा कारण रही। हालांकि कांग्रेस ने रणनीतिक रूप से इस असंतोष का फायदा उठाया और राज्य में बेरोजगारी, कृषि संकट, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और विकास के मुद्दों को उजागर किया। केसीआर पर आमजन की उपेक्षा करते हुए परिवार की देखरेख करने का आरोप लगा। कहा जा रहा है कि केसीआर की भाई-भतीजावादी छवि मतदाताओं को रास नहीं आई। उनके बेटे केटी रामा राव और बहनोई टी हरीश राव राजनीति में शामिल हैं। केसीआर की बेटी के कविता भी एमएलसी के रूप में तेलंगाना की राजनीति में हैं।

तेलंगाना की राजनीति में कद्दावर चेहरा

हालांकि केसीआर तेलंगाना की राजनीति में कद्दावर चेहरा रहे हैं। 'मिशन तेलंगाना' के समर्थक केसीआर 2014 में राज्य के गठन के बाद से ही सत्ता में हैं। हालांकि, इस चुनाव में उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी तेलंगाना कांग्रेस प्रमुख ए रेवंत रेड्डी आगे निकल गए। केसीआर का राजनीतिक सफर 1983 से शुरू हुआ था। जब उन्होंने अनंतुला मदन मोहन के खिलाफ चुनाव लड़ा, हालांकि वे हार गए, लेकिन केसीआर के प्रदर्शन ने कांग्रेस के दिग्गजों के करीब वोट हासिल करके कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया। इसके बाद 1989 में उनकी जीत हुई फिर उप-चुनावों में लगातार सफलता ने उनका राजनीतिक कद बढ़ा दिया। हालांकि अब तेलंगाना राज्य के संस्थापक होने के बावजूद केसीआर को 2023 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। उन्होंने दो अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों, गजवेल और कामारेड्डी से चुनाव लड़ा। दोस्त से दुश्मन बने भाजपा के एटाला राजेंदर को हराकर गजवेल निर्वाचन क्षेत्र में जीत हासिल की है। हालांकि, उन्हें कामारेड्डी निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार केवी रमना रेड्डी के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा।


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