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कौन है कश्मीर से जुड़ा मसरत आलम? जिसकी मुस्लिम लीग को अमित शाह ने ‘गैरकानूनी संघ’ किया घोषित

Who is Masarat Alam: मसरत आलम करीब 17 साल जेल में बिता चुका है। उसके संगठन पर भारत विरोधी गतिविधियों के आरोप हैं।

Muslim League Jammu Kashmir Masarat Alam faction 'Unlawful Association' under UAPA for 5 years MHA
Who is Masarat Alam: गृह मंत्रालय (MHA) ने बुधवार को मसरत आलम गुट की मुस्लिम लीग जम्मू-कश्मीर (एमएलजेके-एम) को 'गैरकानूनी संघ' घोषित कर दिया। गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत ये कार्रवाई अगले पांच साल के लिए की गई है। मसरत आलम कौन है और इसके संगठन को गैरकानूनी घोषित क्यों किया गया? आइए जानते हैं... केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मुताबिक- "राष्ट्र की एकता, संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। जो कोई भी ऐसा करेगा उसे कानून का सामना करना पड़ेगा।'' गृह मंत्री ने एक्स पर अपने पोस्ट में कहा- ''यह संगठन और इसके सदस्य जम्मू-कश्मीर में राष्ट्र-विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल हैं। वे आतंकी गतिविधियों को सपोर्ट कर लोगों को जम्मू-कश्मीर में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए उकसाते हैं।''  

कौन है मसरत आलम?

मसरत आलम भट्ट कश्मीर का अलगाववादी नेता है। वह मुस्लिम लीग जम्मू-कश्मीर मसरत आलम गुट का (MLJK-MA) अध्यक्ष है। बताया जाता है कि वह ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के गिलानी गुट के अंतरिम अध्यक्ष के रूप में भी कार्य करता है। उसे सैयद अली शाह गिलानी की मौत के बाद अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। मसरत आलम पर 27 आपराधिक मामले दर्ज हैं। हालांकि इसमें से कई में उसे जमानत मिल गई है या फिर दोषमुक्त कर दिया गया है।

करीब 17 साल जेल में बिता चुका है मसरत आलम

बताया जाता है कि मसरत भट्ट ने 2010 में हुई माछिल मुठभेड़ के खिलाफ पथराव में बड़ी भूमिका निभाई थी। मसरत आलम करीब 17 साल जेल में रह चुका है। 2010 से 2015 की शुरुआत तक उसने चार साल लगातार जेल में बिताए। उसे सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया था। हालांकि 1 मार्च 2015 को रिहा कर दिया गया। उस वक्त मुफ्ती मोहम्मद सईद ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला था।

राजनीतिक विवाद

इसके बाद भट्ट की रिहाई हुई। इस मामले पर राजनीतिक विवाद पैदा हो गया था। कहा गया कि मसरत आलम और सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद के बीच समझौता हुआ था। हालांकि मसरत ने इससे इनकार किया था। मसरत आलम पर घाटी में कश्मीर का समर्थन करने, भारत विरोधी नारे लगाने और 2008 के मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का समर्थन करने के भी आरोप लग चुके हैं।

आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध

गृह मंत्रालय के मुताबिक- MLJK-MA पाकिस्तान के समर्थक में प्रचार के लिए जानी जाती है। मंत्रालय की कार्रवाई के पीछे की वजह एक इनपुट बताया गया है। मंत्रालय का कहना है कि एमएलजेके-एमए का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर को भारत से आजादी दिलाना है। जिससे पाकिस्तान में जम्मू-कश्मीर का विलय हो सके। गृह मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक, इस गुट के सदस्य अलगाववादी गतिविधियों में लिप्त रहकर पाकिस्तान और उसके कई संगठनों से धन जुटाते हैं। आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने, गैरकानूनी गतिविधियों और सुरक्षा बलों पर पथराव करने में इनकी भूमिका रही है। मंत्रालय ने इसे देश के सौहार्द के लिए खतरा बताया है। मंत्रालय का कहना है कि आतंकवादी संगठनों के साथ एमएलजेके-एमए के संबंध दिखाने वाले कई इनपुट मिले हैं। ये भी पढ़ें: Jammu-Kashmir: ‘आप पर कोई नजर डाले, यह बर्दाश्त नहीं करेंगे’, राजनाथ सिंह ने जवानों का बढ़ाया मनोबल


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