जब भी मराठा इतिहास की बात होती है, तो छत्रपति शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज का नाम सबसे पहले लिया जाता है। लेकिन उनके साथ एक और नाम है, जिसे कभी-कभी लोग भूल जाते हैं महारानी येसुबाई। वे सिर्फ एक रानी नहीं थीं, बल्कि एक बहादुर योद्धा, समझदार नेता और मां थीं, जिन्होंने मुश्किल हालात में भी मराठा साम्राज्य को टूटने नहीं दिया। अपने पति संभाजी महाराज की दर्दनाक मृत्यु के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पूरे साम्राज्य को संभालकर दिखाया। आइए जानते हैं इस वीरांगना की प्रेरणादायक कहानी, जिसने इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ी।
छावा फिल्म में रश्मिका मंदाना ने निभाया ऐतिहासिक किरदार
हाल ही में अभिनेत्री रश्मिका मंदाना ने फिल्म ‘छावा’ में मराठा साम्राज्य की बहादुर रानी येसुबाई भोसले का किरदार निभाया है। रश्मिका ने कहा कि यह किरदार उनके करियर का सबसे खास अनुभव रहा। उन्होंने मजाक में कहा कि इस किरदार को निभाने के बाद वो खुशी-खुशी रिटायर भी हो सकती हैं। रश्मिका ने आगे कहा कि उन्हें गर्व है कि उन्हें इतनी महान महिला का किरदार निभाने का मौका मिला। रानी येसुबाई सिर्फ एक पत्नी नहीं थीं, बल्कि एक मजबूत नेता भी थीं, जिन्होंने अपने पति की क्रूर मृत्यु के बाद मराठा साम्राज्य को संभाला और उसे कमजोर नहीं होने दिया।
कौन थीं महारानी येसुबाई भोसले?
महारानी येसुबाई भोसले का जन्म राजाऊ शिरके नाम से हुआ था। वे मराठा सरदार पिलाजीराव शिरके की बेटी थीं। जब 1689 में मुगल बादशाह औरंगजेब ने उनके पति छत्रपति संभाजी महाराज को क्रूरता से मार डाला, तब रानी येसुबाई ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने मराठा साम्राज्य की रक्षा के लिए आगे कदम बढ़ाया। 1680 से लेकर 1730 तक, उन्होंने स्वराज्य की भावना को जिंदा रखा। औरंगजेब ने उन्हें और उनके बेटे शाहू महाराज को बंदी बना लिया था, लेकिन जेल में रहते हुए भी येसुबाई ने कभी हार नहीं मानी। वे गुप्त रूप से अपने बेटे से पत्रों के जरिए संपर्क में बनी रहीं। जब 1719 में उन्हें आजादी मिली तब 4 जुलाई को वे सतारा लौटीं। यह दिन आज भी “वीरता दिवस” के रूप में याद किया जाता है।
येसुबाई की राजनीतिक सूझबूझ और समझदारी
महारानी येसुबाई न केवल बहादुर थीं, बल्कि बहुत ही चतुर और समझदार नेता भी थीं। उन्होंने कई बार मराठा साम्राज्य के आंतरिक झगड़ों को शांत करने में अहम भूमिका निभाई। 1730 के आसपास उन्होंने वाराणसी की संधि (ट्रीटी ऑफ वाराणसी) में मदद की, जिससे साम्राज्य में शांति बनी रही। वे हमेशा मराठा सत्ता को एकजुट रखने का प्रयास करती रहीं। उनकी बुद्धिमानी और कूटनीति से साम्राज्य को मजबूती मिली। आज भी उन्हें एक निडर, वफादार और समझदार महिला के रूप में याद किया जाता है।
फिल्मों और टीवी में येसुबाई का किरदार
रश्मिका मंदाना से पहले भी कई अभिनेत्रियों ने येसुबाई का किरदार निभाया है। इनमें अमृता खानविलकर, आयशा मधुकर, मोहिनी पोटदार, प्राजक्ता गायकवाड़ और जिल्लू जैसी कलाकारों के नाम शामिल हैं। हर किसी ने अपने अंदाज में येसुबाई की बहादुरी और गरिमा को दर्शकों के सामने लाने की कोशिश की। महारानी येसुबाई की कहानी आने वाली पीढ़ियों को साहस, नारी शक्ति और नेतृत्व का संदेश देती है। वे सिर्फ इतिहास की रानी नहीं, बल्कि आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।
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