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कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत जो बनने जा रहे देश के 53वें CJI? इस दिन लेंगे शपथ

केंद्र सरकार ने देश के अगले प्रधान न्यायाधीश को चुनने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. वर्तमान CJI बीआर गवई 23 नवंबर को रिटायर होंगे. ऐसे में अगले सीजेआई को चुनने की प्रक्रिया महीने भर पहले से ही शुरू कर दी जाती है. मिली जानकारी के अनुसार, CJI बीआर गवई के बाद सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज जस्टिस सूर्यकांत अगले CJI बनने जा रहे हैं.

Who is Justice Suryakant: केंद्र सरकार ने देश के अगले प्रधान न्यायाधीश को चुनने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. वर्तमान CJI बीआर गवई 23 नवंबर को रिटायर होंगे. ऐसे में अगले सीजेआई को चुनने की प्रक्रिया महीने भर पहले से ही शुरू कर दी जाती है. मिली जानकारी के अनुसार, CJI बीआर गवई के बाद सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज जस्टिस सूर्यकांत अगले CJI बनने जा रहे हैं.

वहीं, अगर प्रक्रिया और नियम की बात की जाए तो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति, ट्रांसफर और प्रमोशन के नियम को निर्धारित करने वाले डॉक्युमेंट्स में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में भारत के सीजेआई के पद पर नियुक्ति उस अदालत के सबसे वरिष्ठ जज की ही होनी चाहिए जिन्हें पद धारण करने के लिए सबसे उपयुक्त माा जाए. ऐसे में केंद्रीय कानून मंत्री वर्तमान CJI से उनके उत्तराधिकारी के लिए सिफारिश मांगेंगे.

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कहां जन्मे जस्टिस सूर्यकांत?

हरियाणा के हिसार के एक मिडिल क्लास परिवार में 10 फरवरी, 1962 को सूर्यकांत का जन्म हुआ था. वह अभी सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई गवई के बाद सबसे सीनियर जज हैं. बता दें कि सूर्यकांत ने 1981 में गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, हिसार से ग्रेजुएशन किया था. इसके बाद 1984 में रोहतक की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई पूरी की थी. इस यूनिवर्सिटी से उन्होंने बैचलर की डिग्री पूरी की थी. उसी साल 1984 में ही उन्होंने हिसार के जिला अदालत में प्रैक्टिस शुरू की थी. बाद में 1985 में वे पंजाब एंव हरिय़ाणा हाईकोर्ट में प्रेक्टिस करने के लिए चंडीगढ़ आ गए थे.

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सूर्यकांत बने सबसे युवा एडवोकेट जनरल

सूर्यकांत की प्रतिभा और मेहनत ने उन्हें बहुत कम उम्र में बड़ी जिम्मेदारियां दिलाईं. 7 जुलाई 2000 को वे हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल बने थे. अगले ही वर्ष उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा मिला, जिसने उनके करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया.
9 जनवरी 2004 को उन्हें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया.

प्रोफेशनल सफर: तेज तरक्की और बड़ी जिम्मेदारियां

2000: हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल नियुक्त
2001: वरिष्ठ अधिवक्ता (सीनियर एडवोकेट) का दर्जा
9 जनवरी 2004: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बने
5 अक्टूबर 2018: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त
24 मई 2019: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने

उन्होंने कई विश्वविद्यालयों, सरकारी बोर्डों, निगमों और यहां तक कि हाईकोर्ट की ओर से भी महत्वपूर्ण मामलों में पैरवी की. वे 9 फरवरी 2027 को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होंगे. यानी वह लगभग सवा दो साल तक भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य करेंगे.

यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, SC-ST एक्ट पर लागू नहीं होगा हिंदू एक्ट

जस्टिस कांत होंगे देश के पहले हरियाणवी CJI

जस्टिस कांत की यात्रा हरियाणा के हिसार के एक छोटे से गांव पेटवार से शुरू हुई. वह उन सुविधाओं से दूर पले-बढ़े जो अक्सर सत्ता के गलियारों से जुड़ी होती हैं. उन्होंने पहली बार कोई शहर तब देखा जब वह अपनी क्लास X के बोर्ड एग्जाम के लिए हिसार के एक छोटे से शहर हांसी गए थे.

क्लास VIII तक, उन्होंने एक गांव के स्कूल में पढ़ाई की जहां बेंच भी नहीं थीं. एक स्टूडेंट के तौर पर, उन्होंने ग्रामीण जीवन की रोजमर्रा की जिम्मेदारियां निभाईं - किसी भी दूसरे ग्रामीण लड़के की तरह अपने परिवार का सहारा बनने के लिए खाली समय में खेतों में काम किया. उनके पिता एक टीचर थे. औपचारिक पुष्टि होने पर, वह CJI बनने वाले पहले हरियाणवी होंगे.


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