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इसमें क्या ऐतिहासिक है… संसद में पेश हुए महिला आरक्षण बिल पर विपक्ष का विरोध शुरू

Oppositions on Women Reservation Bill: देश की नई संसद में आज यानी मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से महिला आरक्षण बिल पेश किया गया है। पीएम मोदी ने इस दौरान 19 सितंबर को ऐतिहासिक तारीख बताया तो विपक्ष के एक बड़े नेता ने कह दिया कि इसमें क्या ऐतिहासिक है? बिल पेश होने के […]

Oppositions on Women Reservation Bill: देश की नई संसद में आज यानी मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से महिला आरक्षण बिल पेश किया गया है। पीएम मोदी ने इस दौरान 19 सितंबर को ऐतिहासिक तारीख बताया तो विपक्ष के एक बड़े नेता ने कह दिया कि इसमें क्या ऐतिहासिक है? बिल पेश होने के बाद विपक्ष ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। हालांकि कई नेताओं ने इस बिल का समर्थन भी किया है।

जानें किसने क्या कहा?

महिला आरक्षण बिल पर पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री मोदी को बधाई देना चाहता हूं। कम से कम उन्होंने कैबिनेट में निर्णय लिया है। 1996 में मेरे नेतृत्व वाली यूएफ (संयुक्त मोर्चा) ने 1996 में महिला आरक्षण मुद्दे को उठाया था, तभी से ये लंबित था। संसद में पहले भी बिल पेश किया गया था, राज्यसभा में पास भी हो गया था, अब उसे वापस लिया जाएगा। ये अब लाया गया है, ये 2029 से पहले लागू नहीं होगा। हम तो इसका समर्थन कर रहे हैं...मैं जानता हूं सदन में जो बहुमत प्राप्त लोग हैं वे एंटी-OBC हैं। वे OBC महिलाओं को आरक्षण नहीं देंगे: सपा सांसद रामगोपाल यादव कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने बताया कि आपको (भाजपा सरकार) यह बिल लाने में साढ़े नौ साल क्यों लग गए? क्या यह 2014 में एक मील का पत्थर नहीं लग रहा था? आपको लग रहा है कि शायद महिला आरक्षण से चुनाव में आपको राहत मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि ये कांग्रेस का बिल था जो आज सदन में रखा गया। हम इसका स्वागत करते हैं। कांग्रेस पहले से ही चाहती थी कि महिलाओं को सदन में आरक्षण मिले। महिला आरक्षण बिल पर सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि इसमें क्या एतिहासिक है? यह कहते हैं कि आपको महिला आरक्षण 2029 में मिलेगा। उन्होंने कहा कि इसमें परिसीमन होना जरूरी है। अगर यह (परिसीमन) नहीं होगा तो क्या होगा? यह महिलाओं को एक सपना दिखा रहे हैं कि आपको 2029 में आरक्षण मिलेगा। इसके बाद उन्होंने सवाल उठाया कि इनको आज महिला आरक्षण की याद क्यों आ रही हैं? उन्होंने कहा कि इनकी सोच राजनीतिक है। यह राजनीति के अलावा सोच ही नहीं सकते हैं। महिला आरक्षण बिल पर कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि बिल आया... ये अच्छी बात है, लेकिन इसमें कुछ और करने की जरूरत थी। महिलाओं को आरक्षण के तहत SC, ST का आरक्षण तो ठीक है, लेकिन अन्य OBC समुदाय भी आरक्षण का इंतजार कर रहा है। सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वे ओबीसी के लिए क्या करने जा रहे हैं? वे कह रहे हैं कि परिसीमन के बाद ही इसे लागू किया जाएगा तो महिलाओं को अब और कितने दिनों तक इंतजार करना होगा? समाजवादी पार्टी सांसद एसटी हसन ने कहा कि हम महिला आरक्षण बिल के समर्थन में हैं, लेकिन अभी नहीं पता कि इसमें SC/ST, OBC और मुस्लिम का आरक्षण है या नहीं? हम चाहते हैं कि इसमें भी इनका आरक्षण हो। हमारी मांग की यह बिल चुनाव आयोग के ऊपर ना डाला जाए बल्कि पार्टियों को जरूरी किया जाए कि वे अपने हिसाब से अपने प्रतिनिधियों को टिकट दें। महिला आरक्षण बिल पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इसे (महिला आरक्षण बिल) आने दीजिए। हमने इसे स्थानीय निकायों में उस स्तर पर लागू किया है जो हमारे लिए जरूरी था। हमने इसे भारत सरकार से बहुत पहले, 5 अगस्त 2019 से बहुत पहले लागू कर दिया था। महिला आरक्षण बिल पर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि एनडीए की सरकार को 10 साल होने वाले हैं। अगर उन्होंने यह पहले किया होता तो 2024 के चुनाव में महिलाओं को बड़ी तादाद में भाग लेने का मौका मिलता, लेकिन देर आए, दुरुस्त आए, अच्छी बात है। देश की तरक्की में यह एक अहम कदम होगा। शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि मैं उम्मीद करती हूं कि यह तुरंत लागू होगा, लेकिन बिल में लिखा है कि यह परिसीमन के बाद ही लागू होगा। इसका यह मतलब हुआ कि यह आरक्षण 2029 तक लागू नहीं हो सकता। इससे साफ होता है कि आपने दरवाजे तो खोल दिए हैं, लेकिन महिलाओं के लिए अभी 'नो एंट्री' है। महिला आरक्षण बिल पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि इससे पहले भी जब ऐसा बिल पेश हुआ था तब हमारी पार्टी ने विरोध किया था। इस बिल में सबसे बड़ी कमी ये है कि इसमें ओबीसी और मुसलमान महिलाओं के लिए कोटा नहीं रखा गया, इसलिए हम इसके खिलाफ हैं। महिला आरक्षण बिल सीपीएम नेता वृंदा करात ने कहा कि यह बिल सुनिश्चित करता है कि अगले परिसीमन अभ्यास तक महिलाएं चुनाव से वंचित रहेंगी। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो 2024 के चुनावों और 18वीं लोकसभा के गठन तक संसद में 1/3 महिलाएं नहीं होंगी, कई विधानसभा चुनावों में 1/3 महिलाएं नहीं होंगी। क्या महिलाओं को मोदी सरकार द्वारा लाए गए इस बिल के लिए आभारी होना चाहिए? मैं कहूंगी कि बिल्कुल भी नहीं। महिला आरक्षण बिल पर सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा कि सरकार को 9 साल पूरे हो गए हैं। अगर इन्हें महिला आरक्षण बिल लाना था तो ये पहले ला सकते थे। ये इसे आखिरी साल में ला रहे हैं, जब चुनाव हैं...सपा ने हमेशा इसका समर्थन किया है और हम सभी चाहते हैं कि OBC महिलाओं का भी इसमें आरक्षण निर्धारित हो क्योंकि जो आखिरी पंक्ति में खड़ी महिलाएं हैं उन्हें उनका हक मिलना चाहिए। देश की खबरों के लिए यहां क्लिक करेंः-


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