देश में शांत माहौल नहीं देखना चाहती बीजेपी…वक्फ बोर्ड में बदलाव पर कांग्रेस नेता शकील अहमद का बड़ा बयान
Waqf Board Act Shakeel Ahmad Bihar: केंद्र सरकार जल्द ही वक्फ बोर्ड के अधिकारों को कम करने का प्लान बना रही है। खबरों की मानें तो सरकार वक्फ बोर्ड अधिनियम लाने की तैयारी में है। इसे लेकर देश में सियासी तूफान आ गया है। मोदी सरकार के इस फैसले को लेकर विपक्ष भी मुखर नजर आ रहा है। विपक्ष के सभी बड़े नेताओं ने इस फैसले पर विरोध दर्ज किया है। इसी कड़ी में कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान का भी बयान सामने आया है।
शकील अहमद का बयान
वक्फ बोर्ड में बदलाव पर आपत्ति दर्ज कराते हुए शकील अहमद का कहना है कि बीजेपी देश में शांत माहौल नहीं देखना चाहती है। इसलिए वक्फ बोर्ड के अधिकारों पर संशोधित बिल लाने की बात कर रही है। बीजेपी के सहयोगी दल नीतीश कुमार, चिराग पासवान और जीतन राम मांझी की पार्टियों ने भी इस मामले पर चुप्पी साध रखी है।
वक्फ बोर्ड में संशोधन के खिलाफ
शकील अहमद खान के अनुसार वक्फ बोर्ड का मतलब होता है दान। अब बीजेपी अल्पसंख्यक और पुरखों की दान की हुई जमीन को हड़पना चाहती है। वक्फ बोर्ड दान में मिली जमीन पर कई सामाजिक काम करता है। हिंदी में वक्फ बोर्ड का मतलब दान बोर्ड होता है। शकील अहमद का आरोप है कि वक्फ बोर्ड में संशोधन करके बीजेपी अल्पसंख्यक समाज के लिए चल रहे सामाजिक सहायता के काम को रोकना चाहती है। यह अल्पसंख्यक समाज का अपमान है। देश में इतनी महंगाई और गरीबी है। सरकार आर्थिक सुधारों पर बिल नहीं लाती। मगर देश में शांति का माहौल बिगड़े इसलिए बीजेपी ऐसे मुद्दों पर विवाद पैदा करने की कोशिश करती है।
विपक्ष नहीं करेगा समर्थन
शकील अहमद ने बिहार की सत्तारूढ़ पार्टियों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जदयू, लोजपा और जीतनराम मांझी की पार्टी खुद को सेकुलर बताती है। बीजेपी अल्पसंख्यकों और संविधान को बचाने का दम भरती है। विपक्ष इस बिल का विरोध करते हुए केंद्र सरकार का समर्थन नहीं करेगा।
प्रशांत किशोर की पार्टी पर बोले शकील
प्रशांत की जन सुराज पार्टी पर बात करते हुए शकील अहमद कहते हैं कि उन्होंने तीसरे मोर्चे के रूप में नई पार्टी की नींव रखी है। प्रशांत किशोर को विश्वास है कि उनकी सलाह के बाद पार्टियां जीतती हैं मगर कई जगहों पर पार्टियां हारी भी हैं। राजनीतिक गलियारों में प्रशांत किशोर बीजेपी की बी टीम हैं। हालांकि वो दूसरों पर आरोप लगाकर चुनाव नहीं जीत सकते हैं। प्रशांत किशोर जैसे कई लोग चुनाव में आए और चले गए। उन्होंने बिहार की राजनीति में कोई तोप नहीं चलाई है, जिसे जनता पसंद करके उन्हें वोट देगी।
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