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बिहार चुनाव में जेडीयू को हो सकता है नुकसान! जानें वक्फ बिल के पाॅलिटिकल साइड इफेक्ट

वक्फ बिल लोकसभा में पास हो गया है। अगले एक साल में होने वाले विधानसभा चुनाव में इस बिल की बड़ी भूमिका होगा। इन राज्यों के मुस्लिम वोटर्स कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग कर सकते हैं। आइये जानते हैं पूरा समीकरण।

Waqf Bill Election Impact
वक्फ बिल को लेकर देश में इन दिनों सियासत चरम पर है। इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में यह बिल बिहार की दशा और दिशा भी तय करने वाला होगा। हालांकि 2014 के बाद से मुस्लिम ये तो समझ गए हैं कि केवल उनके जनमत किसी भी राज्य की पाॅलिटिकल स्थिति नहीं बदलने वाली है। ऐसे में बिहार में आरजेडी जहां मुस्लिमों की हमदर्द बनने की कोशिश कर रही है तो वहीं दूसरी ओर जेडीयू करो या मरो वाली स्थिति में है। बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें ऐसी हैं जहां पर हार-जीत का फैसला मुस्लिम वोटर्स करते हैं। वक्फ बिल पर कौन दल पक्ष में हैं और कौन दल विरोध में है यह तो क्लियर हो चुका है। इंडिया गठबंधन के तमाम बड़े दल इस बिल के विरोध में हैं। हालांकि कुछ दल न्यूट्रल स्थित में हैं उसमें बीजेडी और बीआरएस शामिल हैं। दोनों दलों ऐसी स्थिति में नहीं है कि एनडीए सरकार इनसे कोई मोल-भाव करें।

6 राज्यों में ठीक-ठाक मुस्लिम वोटर्स

अगले एक साल में 6 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें बंगाल, बिहार, असम, तमिलनाडु और केरल प्रमुख हैं। सभी राज्यों में बड़ी तादाद में मुस्लिम वोटर्स है। बिहार में 47 सीटों पर मुस्लिम वोटर्स का प्रभाव है। नीतीश कुमार की जदयू एनडीए के साथ हैं, ऐसे में चुनाव में उसे झटका लग सकता है। वहीं आरजेडी वक्फ बिल के विरोध में हैं। ऐसे में उसका जनाधार बढ़ना तय है। हालांकि एआईएमआईएम उसका खेल बिगाड़ सकती है। वहीं बंगाल में टीएमसी इस बिल के पक्ष में हैं। बंगाल में विधानसभा की 292 सीटें हैं। टीएमसी को परंपरागत तौर पर मुस्लिम वोट मिलते रहे हैं। प्रदेश की 60 से अधिक सीटों पर मुस्लिम वोटर्स प्रभावी है। ये भी पढ़ेंः वक्फ बिल पास होने पर क्या बदलेगा? 8 पॉइंट्स में समझें नए-पुराने बिल में अंतर

असम-तमिलनाडु में मुस्लिमों का कितना प्रभाव

असम में विधानसभा की 126 सीटें हैं। यहां पर 30 सीटें ऐसी हैं जहां पर मुस्लिम वोटर्स निर्णायक भूमिका में है। कांग्रेस और उसकी सहयोगी एआईयूडीएफ इस बिल के विरोध में हैं। ऐसे में चुनाव में दोनों पार्टियों का मुस्लिमों का समर्थन पहले से ज्यादा हो सकता है। केरल में विधानसभा की 140 सीटें हैं। ऐसे में 35 से अधिक सीटों पर मुस्लिम वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं। यहां कांग्रेस और इंडियन नेशनल लीग को मुस्लिमों के वोट मिल सकते हैं। हालांकि वामदलों को भी मुस्लिम वोट मिलता रहा है। वहीं तमिलनाडु की 234 सीटों पर भी मई 2026 में चुनाव होने हैं। प्रदेश में 6 प्रतिशत आबादी मुस्लिमों की है। ऐसे में डीएमके और एआईएडीएमके दोनों के लिए मुस्लिम वोटर्स निर्णायक भूमिका में होते हैं। ऐसे में वक्फ बिल आने वाले एक साल तक भारतीय राजनीति में बड़ी भूमिका निभाएगा। राज्यों में होने वाले चुनाव में कांग्रेस को इसमें बड़ा फायदा हो सकता है। हालांकि कांग्रेस मुस्लिम वोटर्स के दम पर सरकार बना पाए। ये संभव नहीं है। कांग्रेस विपक्षी दलों का समीकरण बिगाड़ सकती है। ये भी पढ़ेंः वक्फ बिल लोकसभा में पेश होने से पहले जानें कौन साथ- कौन खिलाफ?


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