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केदारनाथ और हेमकुंड साहिब Ropeway Project को मिली मंजूरी, यह होगा रूट

Kedarnath and Hemkund Sahib Ropeway Project : सोनप्रयाग से लेकर केदारनाथ तक रोपवे का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोपवे प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है।

Kedarnath and Hemkund Sahib Ropeway Project, file photo
Kedarnath and Hemkund Sahib Ropeway Project : उत्तराखंड के तीर्थ स्थलों की यात्रा को और सुगम बनाने के लिए एक बड़ी पहल की गई है। केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में बाबा केदारनाथ और हेमकुंड साहिब के दर्शन को आसान बनाने के लिए केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोपवे प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय मोदी कैबिनेट ने लिया है, जिससे अब श्रद्धालुओं को इन दोनों पवित्र स्थलों तक पहुंचने में कठिन रास्तों और लंबी यात्रा से राहत मिलेगी। इस परियोजना के तहत केदारनाथ और हेमकुंड साहिब तक पहुंचने के लिए रोपवे (केबल कार) सेवा का संचालन किया जाएगा। जिससे तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा अधिक सुविधाजनक और सुरक्षित हो जाएगी।

केदारनाथ रोपवे प्रोजेक्ट

केदारनाथ जो समुद्र तल से करीब 11,755 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, यहां तक पहुंचने का रास्ता दुर्गम और कठिन होता है। खासकर सर्दी और बर्फबारी के मौसम में यहां तक पहुंचने कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन आने वाले समय में यह यात्रा सुगम बनाने के लिए सरकार ने केदारनाथ रोपवे प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। इस रोपवे के निर्माण से अब श्रद्धालु बिना कठिनाई के आराम से रोपवे के माध्यम से बाबा के दर्शन कर सकेंगे। रोपवे की सुविधा से तीर्थयात्रियों का यात्रा समय कम होगा और वे आसानी से इस पवित्र स्थल तक पहुंच सकेंगे। इससे ना केवल यात्रा का अनुभव बेहतर होगा, बल्कि केदारनाथ आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी वृद्धि होने की संभावना है।

हेमकुंड साहिब रोपवे प्रोजेक्ट

हेमकुंड साहिब समुद्र तल से 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, सिख समुदाय के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यहां तक पहुंचने के लिए भक्तों को पहले कठिन पहाड़ी रास्तों का सामना करना पड़ता है, जो चुनौतीपूर्ण होता है। अब इस स्थान तक पहुंचने के लिए भी रोपवे सेवा की शुरुआत की जाएगी। हेमकुंड साहिब रोपवे के निर्माण से यहां आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा अधिक सुरक्षित और सरल होगी। यह परियोजना घिरि गांव से हेमकुंड साहिब तक के रास्ते को कवर करेगी और श्रद्धालुओं को बर्फबारी और कठिन मौसम की स्थितियों में भी यात्रा की सुविधा प्रदान करेगी।

आर्थिक और पर्यावरणीय पहलू

केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी देते समय यह सुनिश्चित किया है कि परियोजना के निर्माण में पर्यावरणीय सुरक्षा को सर्वोपरि रखा जाए। साथ ही इसका उद्देश्य उत्तराखंड के विकास में योगदान देना और वहां के निवासियों को भी लाभ पहुंचाना है। इस प्रोजेक्ट के चलते राज्य को पर्यटन से जुड़ी नई ऊंचाइयों तक पहुंचने का अवसर मिलेगा। केंद्र सरकार ने इस परियोजना को जल्द शुरुआत करने का निर्णय लिया है और उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इसके निर्माण कार्य की शुरुआत होगी।

यह होगें प्रमुख तीन स्टेशन

केदारनाथ धाम के लिए सोनप्रयाग से केदारनाथ तक के लिए रोपवे का निर्माण किया जाएगा। लगभग 12 किलोमीटर के इस रास्ते में तीन प्रमुख स्टेशन बनाए जाएंगे। इसमें सोनप्रयाग, गौरीकुंड और केदारनाथ शामिल होंगे। वहीं छोटे स्टेशनों में चीरबासा और लिनचोली में होंगे। वहीं अगर कुल टावरों की बात करें तो इस रोपवे में 20 टावर लगाए जाएंगे। इसमें 10 से 12 ट्राली एक बार में चलाई जा सकेंगी जिनमें एक घंटे में लगभग 500 से 1000 यात्री आराम से बाबा केदारनाथ के दर्शन कर सकेंगे।


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