कहीं नहीं लगाए जाते ताले तो कहीं होता है ‘ओलंपिक’! ये हैं भारत के 10 सबसे अनोखे गांव
Unique Villages of India
India's 10 Most Unique Village In Hindi : भारत को गांवों का देश कहा जाता है। इनमें से कई गांवों की परंपराएं और अनोखी जीवनशैली किसी को भी हैरान करने का माद्दा रखती है। कई गांव ऐसे भी हैं जिनके बारे में जानकर आपके होश उड़ जाएंगे। पढ़िए देश के 10 ऐसे ही गांवों के बारे में जिन्हें सबसे अनोखा माना जाता है।
शनि शिंगणापुर
महाराष्ट्र में स्थित एक गांव का नाम है शनि शिंगणापुर। यहां रहने वाले लोग अपनी सुरक्षा के लिए पूरी तरह से भगवान शनि पर भरोसा करते हैं। इस गांव की खास बात यह है कि यहां कोई भी व्यक्ति अपने घरों में ताला नहीं लगता है। इनकी भगवान शनि में पूरी आस्था है कि वह कुछ गलत नहीं होने देंगे। कहा जाता है कि अगर कोई इसका फायदा उठाने की कोशिश करता है तो उसका परिणाम बहुत बुरा होता है।
धनुषकोडी
तमिलनाडु में मौजूद धनुषकोडी को घोस्ट टाउन या भूतों की जगह के रूप में देखा जाता है। दरअसल साल 1964 में यहां साइक्लोन आया था जिसमें पूरा कस्बा समुद्र में समा गया था। यहां केवल खंडहर हैं जिनमें इमारतों के बचे-खुचे ढांचे और एक रेलवे लाइन है। चक्रवात में तबाह हो जाने के बाद दोबारा इसे बसाया भी नहीं गया। पहले इस जगह के बारे में लोकप्रिय पर्यटन स्थल बनने की उम्मीद जताई जाती थी।
हिवरे बाजार
महाराष्ट्र के इस गांव को ग्रामीण विकास का मॉडल कहा जा सकता है। यहां के लोग पर्यावरण सस्टेनेबिलिटी को लेकर बहुत जागरूक हैं। एक समय में सूखे की मार झेलने वाले हिवरे बाजार को जल संरक्षण, सतत खेती, जानवरों को रखने के काम और शिक्षा के जरिए आत्मनिर्भर बनाया गया है। एक खास बात यह भी है कि साल 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार तब यहां 305 घर थे जिनमें से 80 परिवार करोड़पति थे।
किला रायपुर
किला रायपुर पंजाब का ऐसा गांव है जहां एक अनोखा स्पोर्ट्स फेस्टिवल होता है। इसे यहां के लोग ग्रामीण ओलंपिक कहते हैं। हर साल होने वाले इस कार्यक्रम में पारंपरिक पंजाबी खेलों का प्रदर्शन किया जाता है। इनमें बैलगाड़ी दौड़, ट्रैक्टर रेस और शारीरिक ताकत दिखाने वाली प्रतियोगिताएं आदि शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि ग्रामीण ओलंपिक का आनंद लेने के लिए इस गांव में पूरे देश से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।
कोडिन्ही
केरल में स्थित गांव कोडिन्ही इसलिए अनोखा है क्योंकि यहां की आबादी में जुड़वां बच्चों की संख्या बहुत अधिक है। साल 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार उस समय इस गांव में 400 से ज्यादा जुड़वां बच्चे थे। इस गांव के अधिकतर परिवारों में जुड़वां बच्चों का ही जन्म होता है। इस रहस्य का जवाब ढूंढने के लिए कई वैज्ञानिक भी इस गांव का दौरा कर चुके हैं। लेकिन इस अद्भुत राज पर से पर्दा कोई भी नहीं उठा पाया है।
कुलधरा
राजस्थान के जैसलमेर में स्थित गांव कुलधरा भारत का एक ऐसा गांव है जिसे लोगों ने छोड़ दिया था। इसका इतिहास भी काफी रहस्यमयी है। कहा जाता है कि इस गांव में रहने वाले पालीवाल ब्राह्मण 19वीं सदी में रातोंरात इस गांव को खाली करके चले गए थे। इसके साथ ही उन्होंने गांव को श्राप भी दिया था। इस वजह से अब इसे शापित गांव भी कहते हैं। राजस्थान की सरकार ने इसे पर्यटन स्थलों में शामिल किया है।
मलाना
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में मौजूद गांव मलाना अपने आप में काफी अनोखा है। इसे दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्रों में से एक माना जाता है। यहां की संस्कृति और भाषा तक बाकी जगहों से अलग हैं। बाहरी लोग इस गांव के लोगों सहित दीवारों या घरों को भी नहीं छू सकते हैं। एक समय तक तो गांव के अंदर बाहरी लोगों को जाने की अनुमति ही नहीं थी। दुनियाभर से बड़ी संख्या में पर्यटक हर साल यहां पहुंचते हैं।
मत्तूर
कर्नाटक का मत्तूर ऐसा गांव है जहां रहने वाले लोग आज भी संस्कृत भाषा में ही बातचीत करते हैं। 21वीं सदी से इसके जुड़ानव के बावजूद यह गांव सक्रिय रूप से पारंपरिक भारतीय संस्कृति को प्रोत्साहित करता है और वैदिक जीवनशैली का पालन करता है। इस गांव के लोग रोजाना की बातचीत में भी संस्कृत के उपयोग पर जोर देते हैं। बता दें कि संस्कृत सीखने के लिए यहां देश के साथ विदेशों से भी लोग आते हैं।
मौलिन्नोंग
मेघालय का मौल्लिन्नोंग एशिया का सबसे सबसे साफ गांव है। इस गांव को इसकी साफ-सफाई, बांस से हैंडीक्राफ्ट, बैलेंसिंग रॉक्स और समुदाय आधारित पर्यटन को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है। बता दें कि साल 2003 में इसे डिस्कवर इंडिया मैगजीन की ओर से 'क्लीनेस्ट विलेज इन एशिया' का टाइटिल दिया गया था। इसके बाद साल 2005 में इसे भारत का सबसे स्वच्छ गांव भी घोषित किया गया था।
लेपाक्षी
आंध्र प्रदेश में स्थित लेपाक्षी को इसकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक के लिए अनोखा माना जाता है। 16वीं शताब्दी का वीरभद्र मंदिर यहां है। इसमें एक हैंगिंग पिलर है जो जमीन को नहीं छूता है। इसे आर्किटेक्चर का नमूना माना जाता है। इसके साथ ही इस गांव में विजयनगर साम्राज्य के दौरान बनाए गए भगवान विष्णु और शिव के भी कई मंदिर मौजूद हैं। राजधानी बेंगलुरु से इस गांव की दूरी लगभग 120 किलोमीटर है।
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