Explainer: ‘एक देश एक कानून’ क्यों आज तक लागू नहीं हुआ? UCC से क्या-क्या बदल जाएगा?
Uniform Civil Code
All You Need To Know About Uniform Civil Code: देश में पहली बार यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की तैयारी चल रही है। उत्तराखंड सरकार ब्लूप्रिंट तैयार कर चुकी है और कानून बनाने के लिए विधानसभा सत्र बुलाने का कभी भी ऐलान कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बयान दे चुके हैं कि एक घर में एक शख्स के लिए एक कानून, दूसरे के लिए दूसरा कानून, क्या इस डबल सिस्टम के साथ देश चल पाएगा? क्यों न एक देश एक कानून का सिस्टम लागू कर दिया जाए। इसे लेकर देश के विधि आयोग ने जनता से सुझाव भी मांगे थे, लेकिन लोगों ने इसे जरूरत नहीं बताया। इसके बाद विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट बनाकर दी, जिसमें कहा गया कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड की जरूरत नहीं है, लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड भाजपा के 3 टारगेट में से एक है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हट चुका है। अयोध्या में राम मंदिर बन चुका है। अब भाजपा यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने के लिए जोर लगा रही है।
क्या है UCC और दुनिया में कहां-कहां लागू?
यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ ‘एक देश एक कानून’ से है। देश में शादी, तलाक, बच्चों को गोद लेने के नियम, उत्तराधिकार और संपत्तियों को लेकर अलग-अलग धर्मों में अलग-अलग कानून हैं, लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद सभी के लिए एक कानून होगा, चाहे इंसान किसी भी जाति या धर्म का नागरिक हो, सभी पर एक कानून लागू होगा। सभी को समान अधिकार मिलेंगे। महिलाओं को समान अधिकार मिलेंगे। अगर दुनिया की बात करें तो यूनिफॉर्म सिविल कोड अमेरिका, आयरलैंड, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्किये, इंडोनेशिया, सूडान, मिस्र, इजराइल, जापान, फ्रांस और रूस में आदि देशों में लागू है। यूरोप के कई देश एक धर्मनिरपेक्ष कानून को मानते हैं। इस्लामिक देशों में शरिया कानून लागू है।
सिर्फ गोवा में UCC लागू, पर पूरे भारत में नहीं
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में गोवा में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है। गोवा देश का विशेष राज्य है, जहां UCC को गोवा सिविल कोड कहा जाता है, जिसके तहत हिंदू, मुस्लिम, ईसाई समेत सभी धर्म जातियां एक हैं। वहां कोई तीन तलाक नहीं दे सकता। रजिस्ट्रेशन कराए बिना शादी कानूनी नहीं। मैरिज रजिस्ट्रेशन के बाद तलाक सिर्फ कोर्ट करा सकती। प्रॉपर्टी पर पति-पत्नी का एक बराबर अधिकार है। सिविल कोड के अनुसार, आधी प्रॉपर्टी के मालिक बच्चे होंगे, जिनमें बेटियों का भी हिस्सा होगा। मुस्लिम 4 शादियां नहीं सकते। हिंदुओं को 2 शादी करने की छूट है। संविधान के अनुच्छेद-44 में भी नागरिकों के लिए एक समान कानून लागू करने की बात है, लेकिन फिर भी भारत में इसे लागू नहीं किया जा सका, क्योंकि देश में कई स्तरों पर काफी विविधताएं हैं।
यह भी पढ़ें: देश में सबसे पहले उत्तराखंड में लागू होगा Uniform Civil Code; ब्लूप्रिंट तैयार, मंजूरी मिलने का इंतजार
UCC पर सुप्रीम कोर्ट और भाजपा का तर्क
सुप्रीम कोर्ट यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के पक्ष में है। 1985 में शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संसद को UCC लागू होने से कानून के समक्ष सभी समान होंगे। 2015 में एक केस के सिलसिले में कहा था कि क्यों ईसाई महिला को अपने बच्चे का 'नैचुरल गार्जियन' नहीं माना जा सकता, अविवाहित हिंदू महिला को क्यों माना जाता है? एक मामले में 2 तरह के कानून क्यों? 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार कानून में 2005 में किए गए संशोधन का उदाहरण देते हुए कहा कि एक केस में फैसला दिया था कि बेटियां भी बेटों की तरह पैतृक संपत्ति में हिस्सेदार होंगी। वहीं UCC कोड भाजपा का खास एजेंडा है। यह हमेशा से भाजपा के चुनावी घोषणा पत्रों का हिस्सा रहा है। पूर्व कानून मंत्री किरेन रिजिजू दिसंबर 2022 में UCC पर लिखित बयान दे चुके हैं।
यह भी पढ़ें: Exclusive: देखिए LOC पर सेना के जवान कैसे मनाते दिवाली, कैसे करते देश की सरहदों की रक्षा?
यूनिफार्म सिविल कोड क्यों लागू नहीं हो रहा?
देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की मांग पुरानी और विरोध भी काफी पुराना है। 1948 में राजेंद्र प्रसाद ने जवाहर लाल नेहरु को सुझाव दिया था कि हिन्दू समाज में कई अल्पसंख्यक वर्ग हैं, जिनके विकास के पर्सनल लॉ में बदलाव होना चाहिए। उन दिनों सरदार पटेल, MA अयंगर, मदनमोहन मालवीय, पट्टाभि सीतारमैया, कैलाशनाथ काटजू ने विरोध किया था। 1949 में भी हिंदू कोड बिल पर बहस हुई थी। 28 में से 23 लोगों ने इसका विरोध किया था। वर्तमान में UCC लागू करने की राह में सबसे बड़ा पेंच मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड है, जिसने आपत्ति जताई है। क्योंकि अगर देश में एक कानून लागू हुआ तो वह मुस्लिमों पर भी लागू होगा। इससे उनके अधिकारों का हनन होगा। एक कानून बनने से धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार और समानता के अधिकार के बीच संतुलन बनाना मुश्किल होगा। धर्म या जातीयता के आधार पर कई व्यक्तिगत कानून भी संकट में आ जाएंगे।
यह भी पढ़ें: ‘जज साहब मैं जिंदा हूं…’ सुप्रीम कोर्ट में लड़के को क्यों देना पड़ा खुद के जीवित होने का सबूत?
UCC लागू हुआ तो क्या असर पड़ेगा, क्या बदलाव होंगे?
यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होते ही हिंदुओं, मुसलमानों, ईसाइयों और पारसियों को लेकर बने कानून खत्म हो जाएंगे। देश में एकरूपता आएगी। सभी धर्मों के लिए शादी, तलाक, बच्चा गोद लेने, प्रॉपर्टी के बंटवारे जैसे विषयों पर एक जैसे नियम लागू होंगे। शादी करने की उम्र एक जैसी हो जाएगी। रजिस्ट्रेशन के बिना शादी मान्य नहीं होगी। मैरिज रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो लोग सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पाएंगे। किसी भी धर्म का व्यक्ति एक पत्नी के रहते एक से ज्यादा शादी नहीं कर पाएगा। तलाक के लिए पति-पत्नी दोनों को समान अधिकार मिलेंगे। माता-पिता की संपत्ति में बेटा-बेटी को एक जैसे हक मिलेंगे। बच्चा गोद लेने के मामले में भी एक जैसे नियम लागू होंगे।
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world
on News24. Follow News24 and Download our - News24
Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google
News.