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स्‍कूली किताबों में पढ़ाए जा सकते हैं रामायण-महाभारत, NCERT पैनल ने की सिफारिश

Teach Ramayana Mahabharata part of history NCERT panel: एनसीईआरटी पैनल ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि कक्षा 7 से 12 तक के छात्रों को रामायण और महाभारत पढ़ाना महत्वपूर्ण है। रिटायर्ड इतिहास प्रोफेसर सीआई इस्साक ने कहा कि समिति ने छात्रों को सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को पढ़ाने पर जोर दिया है।

Teach Ramayana Mahabharata part of history NCERT panel: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की एक हाई लेवल कमिटी ने स्कूली किताबों में रामायण और महाभारत महाकाव्य पढ़ाने की सिफारिश की है। साथ ही यह भी प्रस्ताव दिया है कि कक्षा की दीवारों पर संविधान की प्रस्तावना स्थानीय भाषाओं में लिखी जाए। कमिटी ने सिफारिश की है कि रामायण और महाभारत को 'भारत के शास्त्रीय काल' के तहत इतिहास पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए। स्कूली सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए पिछले साल गठित सात सदस्यीय पैनल ने पाठ्यपुस्तकों में भारतीय ज्ञान प्रणाली, वेदों और आयुर्वेद को शामिल करने का भी सुझाव दिया था।

कक्षा 7 से 12 तक के छात्रों को रामायण और महाभारत पढ़ाना महत्वपूर्ण

एनसीईआरटी पैनल ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि कक्षा 7 से 12 तक के छात्रों को रामायण और महाभारत पढ़ाना महत्वपूर्ण है। पैनल का नेतृत्व कर रहे रिटायर्ड इतिहास प्रोफेसर सीआई इस्साक ने कहा कि समिति ने छात्रों को सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को पढ़ाने पर जोर दिया है। हम सोचते हैं कि किशोरावस्था में छात्र अपने राष्ट्र के लिए आत्म-सम्मान, देशभक्ति और गौरव का निर्माण करते हैं। हर साल हजारों छात्र देश छोड़कर दूसरे देशों में नागरिकता चाहते हैं क्योंकि उनमें देशभक्ति की कमी है। इसलिए उनके लिए अपनी जड़ों को समझना और अपने देश और अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम विकसित करना महत्वपूर्ण है।   ये भी पढ़ें: News Bulletin: जल्द बाहर आएंगे टनल में फंसे मजदूर; राहुल गांधी के पनौती वाले बयान पर मचा बवाल

शास्त्रीय काल के तहत पढ़ाया जाए

सामाजिक विज्ञान पर अपने अंतिम 'स्थिति पत्र' के लिए समिति की सिफारिशें नई एनसीईआरटी पुस्तकों के विकास की नींव रखने के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। पैनल ने इतिहास को चार कालों में वर्गीकृत करने की सिफारिशें की हैं। शास्त्रीय काल, मध्यकालीन काल, ब्रिटिश काल और आधुनिक भारत। फिलहाल, भारतीय इतिहास के केवल तीन वर्गीकरण हुए हैं, प्राचीन, मध्ययुगीन और आधुनिक। इस्साक ने कहा कि हमने सिफारिश की है कि रामायण और महाभारत को शास्त्रीय काल के तहत पढ़ाया जाना चाहिए। पैनल ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि पाठ्यपुस्तकों में केवल एक या दो के बजाय भारत पर शासन करने वाले सभी राजवंशों को जगह दी जानी चाहिए। पैनल की सिफारिश पर अब 19 सदस्यीय राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शिक्षण शिक्षण सामग्री समिति द्वारा विचार किया जाएगा, जिसे पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण सामग्री को अंतिम रूप देने के लिए जुलाई में अधिसूचित किया गया था। ये भी पढ़ें: UGC NET 2023: बदलने जा रहा है यूजीसी नेट के सभी सब्जेक्ट्स का सिलेबस, बैठक में हुआ बड़ा फैसला


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