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बिहार को और अधिक जाति जनगणना डाटा जारी करने से नहीं रोक सकते…Supreme Court ने जारी किए निर्देश

Supreme court instruction on caste census case: जाति जनगणना डाटा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश जारी किए हैं। शीर्ष न्यायालय ने बिहार सरकार को ऐतिहासिक जाति सर्वेक्षण के आधार पर कार्रवाई करने से रोकने से मना कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अधिक डाटा जारी करने से बिहार को रोका नहीं जा सकता। […]

Supreme court instruction on caste census case: जाति जनगणना डाटा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश जारी किए हैं। शीर्ष न्यायालय ने बिहार सरकार को ऐतिहासिक जाति सर्वेक्षण के आधार पर कार्रवाई करने से रोकने से मना कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अधिक डाटा जारी करने से बिहार को रोका नहीं जा सकता। मामले में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने सुनवाई की। कोर्ट में पटना हाई कोर्ट के 1 अगस्त के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। मामले में औपचारिक नोटिस जारी किया गया, जिसमें राज्य सरकार को जाति जनगणना करने की अनुमति दी गई थी। अब पीठ ने मामले की अगली हियरिंग के लिए तीन माह बाद जनवरी की डेट दी है। बिहार सरकार को भी अपना जवाब रिकॉर्ड में लेने के आदेश दिए गए हैं। पीठ ने याचिकाकर्ताओं की वकील अपराजिता सिंह से कहा कि नीतियां डाटा पर आगे बढ़ती हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से जाति सर्वेक्षण डाटा के संग्रह को निजता का उल्लंघन बताया गया था कि ये सब राज्य सरकार की विधायी शक्तियों से बाहर है। यह भी पढ़ें-सैनिकों के विकलांगता पेंशन में हुए बड़े बदलाव, जवानों को मिलेंगे कई लाभ कोर्ट ने कहा कि इसमें विवाद सिर्फ एक डाटा के टूटने से है। आखिर कितना हिस्सा सरकार पब्लिकली कर सकती है। शीर्ष अदालत की सुनवाई के बाद माना जा रहा है कि भूमि और वाहन स्वामित्व, शिक्षा के साथ आय लेवल और रोजगार को लेकर जो डाटा का अगला बैच सरकार जारी करने वाली है। उसके सामने आने वाली कानूनी बाधाएं दूर हो गई हैं। बिहार के मंत्री और जदयू नेता अशोक चौधरी ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।

कोर्ट में दलील-डाटा का पहला सेट जारी करना अदालती कार्रवाई में बाधा

उन्होंने कहा कि जो लोग डाटा जारी करने का समर्थन करते हैं, उनके लिए ये खुशी की बात है। नीतीश कुमार ने पिछड़ों को पंचायती राज व्यवस्था में मजबूत किया है। दलितों और महिलाओं के लिए सशक्तीकरण का काम किया है। बिहार ने पिछले सप्ताह जातिगत डाटा जारी किया था। जिसमें दिखाया गया था कि अत्यंत पिछड़े समुदायों की आबादी 36.01 प्रतिशत, पिछड़े वर्गों की 27.12 प्रतिशत थी। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट में वकील सिंह ने शिकायत की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 2 अक्टूबर को जो डाटा का पहला सेट जारी किया, वह कोर्ट की कार्रवाई को रोकने वाला है। आगे डाटा जारी करने पर रोक लगाई जाए। लेकिन पीठ ने इससे इन्कार किया। पीठ ने कहा कि हो सकता है कि डाटा एक्स के आधार पर दिया है। लेकिन डाटा का ब्रेकडाउन दिए जाने को लेकर सवाल किया जा सकता है।


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