सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के जामनगर स्थित पशु बचाव एवं पुनर्वास केंद्र, वनतारा के मामलों की जांच के लिए गठित SIT (विशेष जांच दल) द्वारा की गई जांच पर संतोष व्यक्त किया है. न्यायमूर्ति पंकज मिथल और प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने कहा कि वह सीलबंद रिपोर्ट के निष्कर्षों पर विचार करने के बाद इस मुद्दे पर अपना निर्णय सुनाएगी.
न्यायालय ने यह भी कहा कि वह सरकारी अधिकारियों को वनतारा के कामकाज में सुधार के संबंध में सुझाव या सिफारिशें, यदि कोई हों, तो इसको लेकर भी निर्देश देगा. सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि एक बार जब वह इस बात से संतुष्ट हो जाता है कि वनतारा पशुओं की सुरक्षा से संबंधित सभी कानूनों का पालन करता है तो वह किसी भी पक्ष को बचाव केंद्र के खिलाफ अनावश्यक आपत्तियां उठाने की अनुमति नहीं देगा.
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सुनवाई के दौरान न्यायालय ने टिप्पणी की, "अब हमारे पास एक स्वतंत्र समिति की रिपोर्ट है. हम उसी के अनुसार चलेंगे. उन्होंने विशेषज्ञों की भी मदद ली है. सभी अधिकारी समिति द्वारा की गई किसी भी सिफारिश पर सुझाव लेने के लिए स्वतंत्र होंगे. हम किसी को भी बार-बार आपत्तियां उठाने की अनुमति नहीं देंगे."
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वनतारा के वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट से कहा कि रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जानी चाहिए! नहीं तो न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे अखबार रिपोर्ट का कुछ हिस्सा छापकर नैरेटिव गढ़ेंगे. इस पर कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होगी! हम किसी को और आरोप लगाने की अनुमति नहीं देंगे.
न्यायालय ने कहा, "संपूर्ण रिकार्ड पर विचार करने के बाद हम इस बात से पूरी तरह संतुष्ट हैं कि वनतारा में उपलब्ध सुविधाएं कुछ मामलों में पशुपालन, पशु चिकित्सा देखभाल और कल्याण के निर्धारित मानकों के साथ-साथ केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा निर्धारित वैधानिक मानदंडों से भी बेहतर हैं."
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एसआईटी रिपोर्ट को संतोषजनक रूप से स्वीकार करने के बाद न्यायालय ने कहा कि वह वनतारा के खिलाफ उन्हीं आरोपों के आधार पर आगे कोई शिकायत या कार्यवाही नहीं करेगा. न्यायालय ने यह भी कहा कि विशेष जांच दल (SIT) ने अपनी रिपोर्ट में वनतारा के संबंध में कुछ सुझाव दिए हैं इसलिए, न्यायालय ने संस्थान को उन सुझावों पर विचार करने और उन्हें लागू करने का निर्देश दिया.