TrendingNavratri 2024Iran Israel attackHaryana Assembly Election 2024Jammu Kashmir Assembly Election 2024Aaj Ka Mausam

---विज्ञापन---

दुष्कर्म पीड़िता के अबॉर्शन पर Supreme Court ने गुजरात HC को लगाई फटकार; पूछा क्यों बर्बाद किया वक्त

नई दिल्ली: देश की सबसे ऊंची अदालत ने शनिवार को गुजरात हाईकोर्ट को फटकार लगाई है। मामला दुष्कर्म पीड़िता के अबॉर्शन का है। इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट के रवैये पर कड़ी आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, ‘ऐसे मामलों में तत्कालता की भावना होनी चाहिए न कि इसे एक सामान्य मामला मानकर […]

नई दिल्ली: देश की सबसे ऊंची अदालत ने शनिवार को गुजरात हाईकोर्ट को फटकार लगाई है। मामला दुष्कर्म पीड़िता के अबॉर्शन का है। इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट के रवैये पर कड़ी आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, 'ऐसे मामलों में तत्कालता की भावना होनी चाहिए न कि इसे एक सामान्य मामला मानकर असुविधाजनक रवैया अपनाना चाहिए'। अब इसी के साथ मामले की अगली सुनवाई 21 अगस्त को होनी है और इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता को दोबारा मेडिकल जांच कराने का आदेश देते हुए अस्पताल से 20 अगस्त को रिपोर्ट देने को कहा है। दरअसल, गुजरात की 25 साल की एक दुष्कर्म पीड़ित महिला की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई है। 17 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे इस मामले की सुनवाई में शनिवार को न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने पूछा है, '11 अगस्त को इसे 23 अगस्त तक के लिए रोक दिया गया। किस उद्देश्य से? तब से अब तक कितने दिन बर्बाद हो चुके हैं?' पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट की तरफ से शुरू में मामले को स्थगित करने की वजह से बहुत समय बर्बाद हुआ है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अब गुजरात सरकार से भी जवाब तलब किया है।

यह है वक्त बर्बाद किए जाने जैसी टिप्प्णी की वजह

इससे पहले उच्च्तम न्यायालय को याचिकाकर्ता के वकील विशाल अरुण मिश्रा ने बताया कि महिला ने 7 अगस्त को गुजरात हाईकोर्ट में अपनी गर्भावस्था के निरस्तीकरण संबंधी अपील की थी। 8 अगस्त को इस मामले की सुनवाई करते हुए गर्भ की स्थिति पता लगाने और याचक महिला की स्वास्थ्य जांच के लिए एक मेडिकल बोर्ड के गठन का आदेश दिया। 10 अगस्त को मेडिकल कॉलेज ने रिपोर्ट पेश की तो 11 अगस्त को हाईकोर्ट ने मामले को 23 अगस्त को सूचीबद्ध कर दिया। अब इस मामले को सुप्रीम कोर्ट लेकर पहुंची याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि जब मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया था, तब याचक महिला के गर्भ का 26वां सप्ताह था।

ये है गर्भावस्था को समाप्त करने की ऊपरी सीमा

उधर, यह बात भी ध्यान देने वाली है कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (MTP) एक्ट के तहत विवाहित महिलाओं, दुष्कर्म महिलाओं और अन्य कमजोर महिलाओं (विकलांग और नाबालिग भी शामिल) के लिए अनचाहे गर्भ को समाप्त करने की ऊपरी सीमा 24 सप्ताह तय की गई है।


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.