सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एनडीए में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे, गुरुग्राम, गाजियाबाद प्राधिकरणों में स्थित कई प्रोजेक्ट की प्रारंभिक जांच के आदेश दिए। अदालत ने कहा कि एक तरफ बैंकों और दूसरी तरफ बिल्डर-कम-डेवलपर्स के बीच सांठगांठ है, जिससे आम लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है और इसकी जांच होनी जरूरी है। बिल्डर-बैंक नेक्सस की सीबीआई जांच होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबमेंशन प्लान के तहत बैंकों, घर खरीदने वालों और बिल्डरों-डेवलपर्स के बीच ज्यादातर त्रिपक्षीय समझौते करके लोन लिए गए। ये परियोजनाएं 2013-15 में लॉन्च की गई थीं। अधिकांश बिल्डरों एवं डेवलपर्स ने 2018-19 में ईएमआई के भुगतान में चूक करना शुरू कर दी। बैंकों ने घर खरीदने वालों पर ईएमआई के भुगतान का दबाव बनाना शुरू कर दिया, जबकि अबतक फ्लैट नहीं बने थे। इसके बाद यह मामला कोर्ट पहुंच गया।
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सुप्रीम कोर्ट ने जांच के दिए आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक के अलावा उन बिल्डरों की अलग से जांच करने के आदेश दिए हैं, जिनके पास दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, चंडीगढ़, मोहाली आदि में ऐसी परियोजनाएं हैं। जस्टिस सूर्यकांत और एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सीबीआई को दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में मेसर्स सुपरटेक लिमिटेड द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं के संबंध में प्रारंभिक जांच करने और दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के बाहर अन्य बिल्डरों द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं के संबंध में भी यही जांच करने का आदेश दिया।
घर खरीदने वालों ने लगाया आरोप
घर खरीदने वालों ने सबवेंशन स्कीम के बारे में भी मुद्दे उठाए, जिसके तहत बैंक घर खरीदने वालों को ऋण स्वीकृत करते हैं, लेकिन उन ऋणों के खिलाफ ईएमआई का भुगतान बिल्डरों द्वारा त्रिपक्षीय समझौते के अनुसार किया जाना है। हालांकि, जब बिल्डरों ने इन भुगतानों में चूक की तो बैंकों ने घर खरीदने वालों के खिलाफ वसूली की कार्यवाही शुरू कर दी, घर खरीदने वालों ने आरोप लगाया है।
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