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Subrata Roy का वो सपना जो अधूरा रह गया, आखिरी सांस तक करते रहे पूरा करने की कोशिश

Subrata Roy Last Wish Unfulfilled: सुब्रत रॉय एक अधूरी ख्वाहिश लेकर दुनिया से चले गए। उनका एक सपना पूरा नहीं हो पाया, जबकि वे उसे पूरा करने की कोशिश आखिरी समय तक करते रहे।

Subrata Roy Funeral
Sahara India Owner Subrata Roy Last Wish Unfulfilled: सहारा इंडिया के संस्थापक सुब्रत रॉय आज पंचतत्व में विलीन में हो गए। गुरुवार दोपहर को लखनऊ में बैकुंठ धाम में पोते हिमांक ने मुखाग्नि देकर उन्हें अंतिम विदाई दी, हालांकि उनके अंतिम संस्कार में दोनों बेटे शामिल नहीं हो पाए, लेकिन पत्नी स्वप्ना मौजूद रहीं। उन्होंने भी हाथ जोड़कर पति को आखिरी सलाम कहा। बेशक सुब्रत रॉय ने लग्जरी लाइफ जी। भरा-पूरा परिवार था। अरबों का कारोबार, अरबों का नेटवर्थ था। लाखों कर्मचारी और करोड़ों ग्राहक थे। दुनियाभर के लोग उनके हिम्मत और जज्बे के मुरीद थे, इसके बावजूद सुब्रत रॉय एक अधूरी ख्वाहिश लेकर दुनिया से चले गए। उनका एक सपना पूरा नहीं हो पाया, जबकि वे उसे पूरा करने की कोशिश आखिरी समय तक करते रहे।  

क्या थी सुब्रत रॉय की आखिरी ख्वाहिश?

सुब्रत रॉय के सहारा इंडिया परिवार में करीब 3 करोड़ देशवासियों ने इन्वेस्ट किया, लेकिन किन्हीं कारणों से विवादों में फंस गए। उन्हें जेल तक जाना पड़ा। हालांकि वे पैरोल पर जेल से बाहर आ गए, लेकिन कंपनी ने घाटे में जाने से वे लोगों के पैसे का भुगतान नहीं कर पाए और मामला पटना हाईकोर्ट में चला गया। जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो सहारा प्रमुख को राहत मिल गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 3 करोड़ लोगों का रिफंड देने का आदेश दिया। आखिरी सांस तक वे रिफंड देने की कोशिश करते रहे। खुद को विवादों से निकालने की, खुद को सही साबित करने की कोशिश करते रहे। इन्हीं कोशिशों के चलते वे परिवार से दूर रहते थे, लेकिन उनका यह सपना अधूरा ही रह गया। वे अपने ग्राहकों को उनका पैसा लौटाए बिना दुनिया से चले गए।

विवाद में जेल जाना पड़ा तो पतन हो गया

बता दें कि सुब्रत रॉय सहारा का 75 वर्ष की उम्र में मंगलवार को निधन हो गया था। सुब्रत रॉय ने रियल एस्टेट, फाइनेंस, मीडिया और हॉस्पिटेलिटी समेत कई क्षेत्रों में नाम कमाया। रेलवे के बाद देश में सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाली सहारा के पास अरबों की प्रॉपर्टी है। रियल एस्टेट से लेकर एयरलाइन, क्रिकेट, सिनेमा की दुनिया में सहारा इन्वेस्ट कर चुकी है। गोरखपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद 1976 में सुब्रत ने संघर्षरत चिटफंड कंपनी सहारा फाइनेंस का अधिग्रहण किया और गोरखपुर से ही बिजनेस की दुनिया में कदम रखा। 1978 तक उन्होंने इसे सहारा इंडिया परिवार में बदल दिया, जो आगे चलकर भारत के सबसे बड़े बिजनेस ग्रुपों में से एक बन गया। रॉय के नेतृत्व में सहारा ने कई बिजनेस विस्तार किए। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सेबी के साथ एक विवाद के बाद अदालत में उपस्थित नहीं होने पर उन्हें लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी, जिसके बाद वे पतन की ओर चले गए।


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