Independence Day: फंदे को चूमने से ठीक पहले भी वर्जिश कर रहे थे ये अमर शहीद, जवाब जानेंगे तो फट जाएंगे गर्व से
Story Of Martyr Rajendranath Lahiri, कोलकाता: पुरखों की वीरता का ही नतीजा है कि पिछले 76 साल से हम आजाद आब-ओ-हवा में सांस ले रहे हैं। अब जबकि 15 अगस्त को हम जश्न-ए-आजादी मना रहे हैं तो हमें यह शुभ पल देने वाले देश के अमर सेनानियों को याद करना हमारा परम कर्तव्य है। देशभक्ति के नाम का उपदेश करने वाले तो एक ढूंढने पर कई सौ मिल जाएंगे, हकीकत में 'Nation First, Always First' का जज्बा दिल में पाले भारत माता पर न्यौछावर हो गए। इन्हीं में से एक नाम है राजेंद्रनाथ लाहिड़ी, जो फांसी के फंदे को चूमने से कुछ घंटे पहले भी वर्जिश कर रहे थे। इतना ही नहीं, जब एक अंग्रेज सैनिक ने मौत का खौफ न मानते हुए ऐसा करने की वजह पूछी तो उसके बाद जो जवाब लाहिड़ी ने दिया, वह हम सबका सीना गर्व से 2 गज चौड़ा कर देगा। जानें देशभक्ति के जज्बे की यह अमर गाथा...
राजेंद्रनाथ लाहिड़ी 29 जून 1901 को बंगाल के पाबना जिले के एक गांव में जमींददार पिता के यहां जन्मे थे। स्वाधीनता संग्राम से जुड़ी उस शख्सियत ने कई बार जेल यात्राएं की। उन्हीं से प्रेरणा लेकर राजेंद्रनाथ बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान शचींद्रनाथ सान्याल के संपर्क में आए, जो हेल्थ यूनियन के सेक्रेटरी और बंगाल साहित्य परिष्द के ऑनररी सेक्रेटरी थे। बंगाली साहित्य में रुचि होने की वजह से राजेंद्रनाथ को काशी से प्रकाशित पत्रिका बंग वाणी का संपादक बना दिया गया। इसके बाद वह क्रांतिकारियों के साथ संपर्क में आ गए। राजेंद्र लाहिड़ी को काकोरी कांड के लिए जाना जाता है। उसकी योजना उन्होंने ही बनाई थी।
यह वही प्रकरण है, जब 9 अगस्त 1925 को शाहजहांपुर से लखनऊ जा रही 8 नंबर डाउन ट्रेन को काकोरी के पास लूट लिया गया था। इसमें भारतीयों के खून-पसीने की कमाई थी, जिससे अंग्रेज अपना खजाना भरना चाहते थे। राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, चंद्रशेखऱ आजाद, राजेंद्रनाथ लाहिड़ी, मनमथ नाथ गुप्ता और अन्य ने ने ट्रेन को लूट लिया। इसी दौरान मनमथ नाथ गुप्ता से अनजाने मे गोली भी चल गई थी, जिसमें एक यात्री की मौत हो गई थी।
इस घटना के बाद राम प्रसाद बिस्मिल ने लाहिड़ी को बम बनाना सीखने के लिए भेजा तो वहां टीम के एक मेंबर की छोटी सी लापरवाही से बम फट गया और राजेंद्रनाथ को गिरफ्तार कर लिया गया। उधर, काकोरी कांड में पकड़े गए क्रांतिकारियों में भी राजेंद्रनाथ का नाम आया। कई धाराओं में मुकदमा चला और लाहिड़ी समेत कई क्रांतिकारियों को फांसी की सजा का फैसला सुनाया गया। अंग्रेजों ने तय तारीख से दो दिन पहले यूपी की गोंडा जेल में लाहिड़ी को फांसी दे दी।
गजब की बात थी कि इससे थोड़ी देर पहले जब लाहिड़ी कसरत कर रहे थे तो हैरान-परेशान जेलर ने पूछा कि जब आज मौत ही होनी है तो इस कसरत का क्या मतलब? इस पर राजेंद्रनाथ लाहिड़ी ने ने कहा, 'मैं हिंदू हूं और पूर्वजन्म में मेरी आस्था है। मैं चाहता हूं कि अगले जन्म में भी स्वस्थ शरीर के साथ पैदा होऊं, ताकि अधूरा काम पूरा कर सकूं और मेरा देश आजाद हो जाए'।
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