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भारत के सूर्य मिशन पर आई खुशखबरी, 6 जनवरी को लक्ष्य पर पहुंच जाएगा Aditya L-1

Indian Solar Mission Aditya L-1: इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने आईआईटी बॉम्बे के इवेंट में कहा कि भारत का सूर्य मिशन आदित्य एल-1 जनवरी के पहले सप्ताह में अपने लक्ष्य तक पहुंच जाएगा। 

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Indian Solar Mission Aditya L-1 : भारत का सूर्ययान सफलता की नई कहानी लिखने जा रहा है। 2 सितंबर 2023 को लॉन्च हुआ सूर्ययान आदित्य एल-1 अपने मिशन की ओर लगातार आगे बढ़ रहा है। अब भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) की ओर से सूर्ययान मिशन पर नई खुशखबरी आई है। आदित्य एल-1 2024 के पहले महीने यानी जनवरी के पहले ही सप्ताह में अपने लक्ष्य तक पहुंच जाएगा। इसरो के चीफ एस सोमनाथ ने कहा है कि सूर्य और पृथ्वी के मध्य वाले लैग्रेंज बिंदु-1 (L1 प्वाइंट) पर 6 जनवरी तक आदित्य एल-1 पहुंच जाएगा। यहां से बिना किसी ग्रहण के सूरज को देखा जा सकता है। आईआईटी बॉम्बे के इवेंट में एस सोमनाथ ने कहा कि आदित्य एल-1 लगभग वहां पहुंच गया है। वह लैग्रेंज प्वाइंट-1 पर 6 जनवरी को शाम 4 बजे तक पहुंच जाएगा। हम आदित्य एल-1 के इंजन को बहुत नियंत्रित तरीके से शुरू करेंगे ताकि वह हेलो ऑर्बिट में प्रवेश कर सके।

वैज्ञानिकों ने इसलिए चुना लैग्रेंज प्वाइंट-1

बता दें कि लैग्रेंज बिंदु सूरज और पृथ्वी के बीच का वो हिस्सा है, जहां गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाता है। ग्रहण के समय भी इस प्वाइंट से सूरज को साफ-साफ देखा जा सकता है। वैज्ञानिकों ने इसीलिए लैग्रेंज बिंदु-1 को चुना है, ताकि हर समय सूरज की गतिविधि का अध्ययन किया जा सके। हालांकि इसरो चीफ एस सोमनाथ कहते हैं कि यहां गुरुत्वाकर्षण का पूरी तरह से बेअसर होना संभव नहीं है क्योंकि चंद्रमा, मंगल, शुक्र जैसे अन्य पिंड भी हैं। उन्होंने कहा कि सभी छह पेलोड का परीक्षण किया जा चुका है और वो अच्छे से काम कर रहे हैं। सभी बहुत अच्छा डाटा दे रहे हैं। एस सोमनाथ ने बताया कि जब तक आदित्य एल-1 ठीक रहेगा और डाटा भेजता रहेगा, उसे सूरज का अध्ययन करने के लिए रखा जाएगा। हम सौर कोरोना, द्रव्यमान प्रक्षेपण और अंतरिक्ष के मौसम पर प्रभाव के बीच बहुत सारे संबंधों का पता लगाने की कोशिश करेंगे।

चंद्रयान-3 मिशन पर क्या बोले सोमनाथ

भारत के चंद्र मिशन चंद्रयान-3 पर सोमनाथ ने कहा कि चंद्रमा की सतह पर डाटा जुटाने में योगदान के 14 दिनों के बाद से प्रज्ञान रोवर अब काम नहीं कर रहा। उन्होंने कहा, 'ये हमेशा के लिए सो गया है। दुर्भाग्य से हम उम्मीद कर रहे थे कि ये जाग जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जब हमने लैब में सिस्टम का अध्ययन किया तो ये काम कर रहा था। सोमनाथ ने बताया कि लैब में काम करने वाले कुछ सिस्टम रेडिएशन जैसे कई कारणों से चंद्रमा की सतह पर काम नहीं कर सकते।


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