Trendingvande mataramIndigoBigg Boss 19

---विज्ञापन---

नहीं रहे पूरी जिंदगी वंचित, शोषित और मजदूरों के लिए लड़ने वाले बाबा आढाव, 95 साल की उम्र में निधन

बाबा आढाव की 12 दिन पहले ज्यादा तबीयत खराब हो गई थी. इसके बाद उन्हें पुणे के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

बाबा आढाव को महाराष्ट्र के सामाजिक और श्रम आंदोलनों का स्तंभ माना जाता था.

पुणे में सोमवार शाम सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. बाबा आढाव का निधन हो गया. उन्होंने 95 वर्ष की उम्र में आखिरी सांस ली. वह महाराष्ट्र के श्रम और सामाजिक न्याय आंदोलनों की बहुत ही बड़ी हस्ती थे. वह कई दिनों से बीमार चल रहे थे. उनका पुणे के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था. उनके दो बेटे - असीम और अंबर हैं. उनका पूरा नाम बाबाराव पांडुरंग आढाव था, लेकिन उन्हें 'बाबा आढाव' नाम से ही जाना जाता था.

12 दिन से अस्पताल में भर्ती

बाबा आढाव की 12 दिन पहले ज्यादा तबीयत खराब हो गई थी. इसके बाद उन्हें पुणे के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने उनके सहयोगी नितिन पवार के हवाले से लिखा है कि अस्पताल में भर्ती के दौरान, बाबा आढाव को लाइफ सपोर्ट पर रखा गया था. लेकिन रात 8.25 बजे कार्डियक अरेस्ट की वजह से उनका निधन हो गया.

---विज्ञापन---

पूरा जीवन वंचित, शोषित और मजदूरों को समर्पित

बाबा आढाव ने अपना पूरा जीवन वंचितों, शोषितों और मजदूरों के अधिकारों के लिए समर्पित कर दिया था. उन्हें महाराष्ट्र के सामाजिक और श्रम आंदोलनों का स्तंभ माना जाता था. 'हमाल पंचायत' की स्थापना के पीछे उनकी बहुत बड़ी भूमिका थी. 'हमाल पंचायत' सिर पर बोझ ढोने वाले मजदूरों वालों की एक ट्रेड यूनियन है. इसके जरिए, आढाव ने पुणे और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों के कुलियों को इकट्ठा किया. इसे उनके दशकों लंबे सामाजिक कार्य में एक अहम मील का पत्थर माना जाता था. बाबा आढाव समाज में समानता के समर्थक रहे हैं. उन्होंने जातिवाद के खिलाफ एक सामाजिक आंदोलन 'एक गाँव एक पाणवठा (जलस्रोत)' का नेतृत्व किया था.

---विज्ञापन---

पीएम मोदी, राहुल गांधी समेत कई नेताओं ने जताया दुख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, एनसीपी नेता शरद पवार और महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस समेत कई लोगों ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया है. राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है, "सामाजिक न्याय के मजबूत स्तंभ और महान श्रमिक नेता बाबा आढाव जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद और एक अपूरणीय क्षति है. वंचितों, शोषितों और मजदूरों के अधिकारों के लिए उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया. पुणे से उठी उनकी संघर्ष की ज्योति ने देश भर में मशाल बन कर सामाजिक न्याय की राह को रोशन किया. इस दुःख की घड़ी में उनके शोकाकुल परिवारजनों और असंख्य साथियों को अपनी हार्दिक संवेदनाएं व्यक्त करता हूं."


Topics:

---विज्ञापन---