Chandrayaan-3 Latest Update: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा पिछले महीने 14 जुलाई को लॉन्च चंद्रयान-3 की सफलता का क्रम जारी है। इसके साथ ही आगामी 23 अगस्त को चंद्रयान-3 के चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की पूरी संभावना है। ऐसे में अगर सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता मिलती है तो भारत भी अमेरिका, रूस और चीन के बाद ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। उधर, इसरो से जुड़े वैज्ञानियों को भी पूरा विश्वास है कि चंद्रयान-3 अपने मिशन और लक्ष्य में पूरी तरह सफल होगा।
चांद में गड्ढों की भरमार
इस बीच चंद्रयान-3 पिछले सप्ताह पांच अगस्त को ही चांद की कक्षा में प्रवेश कर चुका है और उसने लगातार चांद की कई तस्वीरें भेजी हैं। चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान ने 5 अगस्त को ही चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था और वहां की सतह पर मौजूद गड्ढों की तस्वीरें लेनी शुरू कर दीं। इन तस्वीरों में साफतौर पर छोटे और बड़े गड्ढे देखे जा रहे हैं। इनमें कुछ तस्वीरें लॉन्ग शार्ट की हैं तो कुछ क्लोजअप भी हैं। इसके अलावा, इसरो ने चंद्रयान पर लगे कैमरों से ली गई तस्वीरों का एक वीडियो बनाकर शेयर किया है।
[caption id="attachment_299102" align="alignnone" ] chandrayan 3[/caption]
साफ-साफ दिख रहे चंद्रमा के क्रेटर्स
सामने आ रही जानकारी के अनुसार, 22 दिन के सफर के बाद चंद्रयान-3 मिशन की कड़ी में 5 अगस्त को ही शाम को 7 बजकर 15 मिनट पर चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा था। इसके तत्काल बाद चंद्रयान-3 के कैमरों ने चांद की तस्वीरें भी खींची थीं। इसरो ने अपनी वेबसाइट पर इसका एक वीडियो बनाकर शेयर किया है। इन तस्वीरों में चंद्रमा के क्रेटर्स साफ-साफ दिख रहे हैं।
कम की गई थी गति
बताया जा रहा है कि यह यान चंद्रमा की ग्रैविटी में कैप्चर हो सके, इसके लिए उसकी स्पीड कम की गई थी। स्पीड कम करने के लिए इसरो वैज्ञानिकों ने यान के फेस को पलटकर थ्रस्टर 1835 सेकेंड यानी करीब आधे घंटे के लिए फायर किए। ये फायरिंग 5 अगस्त की शाम 7 बजकर 12 बजे शुरू की गई थी।
[caption id="attachment_299113" align="alignnone" ] chandrayan 3[/caption]
गौरतलब है कि वर्ष 2019 में चीन ने अपने चांग' ई-4 से चंद्रमा की तस्वीरें साझा कीं थीं। इस अंतरिक्ष यान ने जनवरी 2019 में चंद्रमा के सुदूर हिस्से पर मानवता की पहली सॉफ्ट लैंडिंग हासिल की। वहीं, इसरो ने ये भी बताया है कि चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया है।
जानिये कुछ और अहम बातें
चंद्रयान को 23 अगस्त को लैंडिंग से पहले कुल 4 बार अपनी ऑर्बिट कम करनी है।
चंद्रमा पर 14 दिन तक प्रयोग किया जाएगा। लैंडर और रोवर चंद्रयान-3 में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक वहां प्रयोग करेंगे।
प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा।
चंद्रयान -3 के अंतर्गत मिशन के जरिए इसरो यह भी पता लगाएगा कि चांद की सतह पर भूकंप कैसे आते हैं? यहां पर वह चंद्रमा की मिट्टी का अध्ययन भी करेगा।