Same Gender Marriage: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- शादी के लिए अलग-अलग जेंडर के पार्टनर जरूरी? जानें पूरा मामला
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Same Gender Marriage: सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली 20 याचिकाओं पर गुरुवार को लगातार तीसरे दिन सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुकदमों की संख्या इतनी अधिक है। संविधान पीठ के मामलों को तब तक सूचीबद्ध करना असंभव है, जब तक बहस के लिए समय निर्धारित न किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे की बहस के लिए 13 वकीलों के नाम गिनाए। साथ ही कहा कि याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस सोमवार को खत्म होगी। इसके लिए वकील आपस में चर्चा कर समय का बंटवारा कर लें।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम सवाल भी किया। पूछा कि क्या शादी जैसी संस्था के लिए दो अलग-अलग जेंडर वाले पार्टनर्स का होना जरूरी है?
बता दें कि इस केस में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे हैं। जबकि याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और अभिषेक मनु सिंघवी बहस कर रहे हैं।
याचिकाओं पर सीजेआई की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ सुनवाई कर रही है। जिसमें न्यायमूर्ति एसके कौल, न्यायमूर्ति रवींद्र भट, न्यायमूर्ति हेमा कोहली और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा शामिल हैं।
बुधवार को सीजेआई ने कहा- सरकार के पास ऐसा कोई आंकड़ा नहीं
सुनवाई के दूसरे दिन सुप्रीम के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि समलैंगिक विवाह को शहरी एलीट अवधारणा नहीं का जा सकता है। हां, अधिक शहरी जरूर लग सकता है, क्योंकि शहरों से लोग ज्यादा बाहर आ रहे हैं। लेकिन सरकार के पास इसे साबित करने के लिए कोई डेटा नहीं है कि यह एलीट अवधारणा है।
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि राज्य किसी व्यक्ति के खिलाफ एक ‘विशेषता’ के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता है। बता दें कि केंद्र सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का विरोध कर रहा है। कोर्ट में दलील दी है कि यह केवल विधायिका ही नए सामाजिक संबंध के निर्माण पर निर्णय ले सकती है।
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