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RSS प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू समाज की एकता पर दिया जोर, बोले- यह देश का जिम्मेदार समाज

RSS chief Mohan Bhagwat: पश्चिमी बंगाल के बर्धमान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चीफ मोहन भागवत ने हिंदू समाज की एकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि यह देश का जिम्मेदार समाज है।

Mohan Bhagwat News: पश्चिमी बंगाल के बर्धमान जिले में आयोजित कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहन भागवत ने हिंदू समाज की एकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज देश का जिम्मेदार समाज है, जो मानता है कि एकता में ही विविधता जरूरी है। एकता में ही विविधता समाई हुई है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि लोग उनसे सवाल करते हैं कि आप हिंदू समाज पर ही क्यों ध्यान देते हैं? उनका जवाब ये है कि हिंदू ही देश का जिम्मेदार समाज है। यह भी पढ़ें:New Delhi Stampede: ‘बदइंतजामी, लापरवाही, एक और नाकामी’…भगदड़ हादसे पर बोले राहुल गांधी बर्धमान जिले के साई ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि लोग आज आश्चर्य व्यक्त करते हैं कि संघ क्या जानना चाहता है? अगर उनसे जवाब मांगा जाता तो वे यही कहते कि हिंदू समाज को संगठित करना चाहता है, क्योंकि हिंदू समाज देश का जिम्मेदार समाज है। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने विश्व की विविधता को स्वीकार करने पर भी जोर दिया। भागवत ने कहा कि भारत सिर्फ भूगोल नहीं है, भारत की एक प्रकृति है। यह भी पढ़ें:New Delhi Stampede: लोग मर रहे थे, जेबें कट रही थीं…रेलवे स्टेशन की भगदड़ में चश्मदीदों ने देखी मानवता की मौत कुछ लोग इन मूल्यों को नहीं मान रहे, इन मूल्यों के मुताबिक नहीं रह सके। उन लोगों ने एक अलग देश बना लिया था, लेकिन जो लोग स्वाभाविक रूप से यहीं रह गए, उन्होंने भारत के इस सार को अपना लिया। और ये सार सिर्फ हिंदू समाज है, जो दुनिया की विविधता को स्वीकार करने की ताकत रखता है। हम लोग सिर्फ विविधता की एकता पर बल देते हैं। हिंदू समाज भी विविधता की एकता पर जोर देता है।

भगवान राम का किया जिक्र

भागवत ने कहा कि भारत कभी भी अपने राजाओं और सम्राटों को याद नहीं करता। सिर्फ एक ऐसे राजा को याद करता है, जो अपने पिता के वचन को पूरा करने के लिए 14 साल के बनवास पर गए थे। गौरतलब है कि ये सब भागवत ने भगवान राम के संदर्भ में कहा था। उन्होंने भरत का जिक्र भी किया, जिन्होंने अपने भाई की पादुकाएं सिंहासन पर रखीं और उनको लौटने पर राज्य सौंप दिया था।


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