दिल्ली के सुमित चौधरी ने नोएडा में इन्वेस्टमेंट के मकसद से एक नामी सोसायटी में फ्लैट खरीदा। हर महीने सैलरी से अलग एक स्थायी आमदनी के मकसद से उन्होंने अपना वह फ्लैट 30000 रुपये प्रति माह किराए पर भी दे दिया। शुरू में किराएदार भी बेहद अच्छा लगा उसने एडवांस सिक्योरिटी और किराया दिया।
किराएदार जाते हुए नहीं लेकर गया सिक्योरिटी मनी वापस
मामला तब पेचीदा हो गया जब उनका ये किराएदार कुछ दिन बाद बिना बताए चला गया और अब उसका फोन भी बंद जा रहा है। पहले तो वह बेहद खुश हुए कि उसने सिक्योरिटी राशि भी वापस नहीं मांगी। लेकिन सुमित चौधरी का बुरा समय जब शुरू हुआ जब उनके उस फ्लैट के एड्रेस पर लाखों का जीएसटी देनदारी का नोटिस पहुंचा।
मकान मालिक को कोर्ट और जीएसटी ऑफिस के लगाने पड़ सकते हैं चक्कर
पूर्वी दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में वकील मनीष भदौरिया ने बताया कि उनके पास इस तरह के कई केस आते हैं। जब किराएदार चला जाता है और मकान मालिक जीएसटी के ऑफिस में चक्कर काटता रहता है। उन्होंने बताया कि लोग अपने घर या फ्लैट को थोड़ी सी एक्ट्रा इनकम के लिए किराए पर तो दे देते हैं, लेकिन उन्हें ऐसा करते हुए बेहद सावधानी बरतनी चाहिए और उसके कानूनी पहलू भी जान लेने चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी केस में किसी जगह का एड्रेस एक बार दर्ज हो जाए तो मकान मालिक मुकदमों में फंस सकता है।
रेंट एग्रीमेंट में लिखवाई जानी चाहिए ये सभी शर्तें
इस बारे में मध्य प्रदेश में कार्यरत एडिशनल एसपी डॉ. प्रशांत चौबे ने बताया कि इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए मकान मालिक को रेंट एग्रीमेंट बनवाते हुए बेहद चौंकन्ना रहना चाहिए। उनका कहना था कि एग्रीमेंट में आप स्पष्ट रूप से ये लिखवाएं कि आपके फ्लैट या घर को किराएदार किसी भी बिजनेस, ऑनलाइन ट्रेडिंग या अन्य किसी काम के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि ठग आपके एड्रेस का यूज कर विभिन्न ट्रेडिंग करता है और बाद में सरकारी एजेंसियां उस एड्रेस पर टैक्स का नोटिस लेकर मकान मालिक से पूछताछ करती हैं।
रेंट एग्रीमेंट ठगी से ऐसे करें अपना बचाव
किराएदार का पुलिस वेरीफिकेशन जरूर करवाएं।
ज्यादा किराए के लालच में अपराधिक प्रवृत्ति और संदिग्ध लोगों को अपना फ्लैट किराए पर न दें।
एग्रीमेंट में नियम-शर्तों का ध्यान रखें।
फ्रॉड होने पर तुरंत इस बारे में पुलिस को लिखित शिकायत दें और कानूनी मदद लें।