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नहीं रहे साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल, कई दिनों से चल रहे थे बीमार, 89 साल की उम्र में निधन

विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी 1937 को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में हुआ था. विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य के स्तंभ माने जाते थे.

पिछले महीने ही विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया था.

हिंदी के साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का 89 साल की उम्र में निधन हो गया है. वह काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. बीमारी के चलते उन्हें रायपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया था. उनका जन्म 1 जनवरी 1937 को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में हुआ था. विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य के स्तंभ माने जाते थे.

उन्हें पिछले महीने ही ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया था. इसके अलावा 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' और 'मातृभूमि बुक ऑफ द ईयर' जैसे बड़े सम्मानों से भी सम्मानित किया गया था. उनका पहला कविता-संग्रह ‘लगभग जय हिन्द’ 1971 में प्रकाशित हुआ था. उनका कहानी संग्रह महाविद्यालय और पेड़ पर कमरा भी काफी फेमस हैं. इसके अलावा 'खिलेगा तो देखेंगे', 'दीवार में एक खिड़की रहती थी' और 'नौकर की कमीज' जैसे उपन्यास भी चर्चा में बने रहे हैं. उनके 'नौकर की कमीज' उपन्यास पर तो फिल्मकार मणिकौल ने मूवी भी बनाई थी.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ के 25वें स्थापना दिवस पर रायपुर गए हुए थे. तभी उन्होंने विनोद कुमार शुक्ल से उनका हाल-चाल जाना था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान विनोद कुमार शुक्ल ने पीएम से कहा था कि मैं जल्दी घर लौटकर लिखना जारी रखना चाहता हूं.

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पीएम मोदी ने उनके निधन पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है, 'ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है. हिन्दी साहित्य जगत में अपने अमूल्य योगदान के लिए वे हमेशा स्मरणीय रहेंगे. शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं. ओम शांति.'


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