अमेरिका का अंतरिक्ष मिशन
नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस अधिनियम (नासा) ने मून मिशन की शुरुआत सर्वेयर प्रोग्राम से की। इसके अंतर्गत वर्ष 1966 से 1968 के बीच नासा ने 7 मानवरहित विमान भेजे थे। चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इसने मिट्टी के नमूने जुटाए गए। इसके बाद अमेरिका ने अपने अपोलो मिशन के जरिए पहली बार अंतरिक्षयात्री चांद पर उतारे। ऐसा करने वाला वह दुनिया का पहला देश है। वर्ष 1969 में लॉन्च हुए अपोलो 11 से पहली बार अंतरिक्ष यात्री चांद की सतह पर उतरे। ये अंतरिक्ष यात्री थे नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन थे।चीन का अंतरिक्ष मिशन
दुनिया के कामयाब देशों में शुमार चीन ने अपने मून मिशन चांग’ई 4 को वर्ष 2019 में लॉन्च किया था। यह मिशन काफी सफल रहा, क्योंकि इसके जरिये चांद की संरचना के बारे में कई जानकारियां हासिल की गईं। इसके बाद 23 नवंबर 2020 से 16 दिसम्बर 2020 तक चांग ई-5 मिशन चला। ऐसा पहली बार हुआ जब कोई देश की चांद की सतह को खोदकर वहां से नमूने लेकर लौटा।रूस का लूना मिशन
रूस ने पहले मून मिशन की शुरुआत लूना से की। इसके अंतर्गत 2 जनवरी, 1959 को सोवियत संघ (रूस) ने लूना-1 अंतरिक्षयान से इसकी शुरुआत की। यह चंद्रमा के पास पहुंचने वाला पहला अंतरिक्ष विमान था। वहीं, बड़ी सफलता दूसरी बार लूना 2 मिशन में मिली। यहां पर बताना जरूरी है कि पहली बार चांद की कक्षा में रूस का पहला कृत्रिम उपग्रह पहुंचाया। इसने चांद की सतह के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी। बताया कि चांद पर किसी भी तरह का चुम्बकीय क्षेत्र नहीं है। इस सफलता के बाद रूस ने लूना 3 लॉन्च किया, जिसके जरिए यह पता चला कि चांद पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं।भारत का चंद्रयान-3
इसरो ने मिशन चंद्रयान-3 पिछले महीने 14 जुलाई को लॉन्च किया। वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रयान को लैंडिंग की प्रक्रिया पूरा करने में 42 दिन का समय लगेगा और यह 23 अगस्त को चांद की सतह पर उतरेगा। इसके बाद चंद्रयान-3 उसकी सतह मिनरल्स की जानकारी हासिल करने के साथ यहां आने वाले भूकंपों, सतह की थर्मल प्रापर्टी और प्लाज्मा के साथ ही धरती से चांद की सटीक दूरी का पता लगाया जाएगा। इसके साथ-साथ मिट्टी में मौजूद केमिकल और मिनिरल्स का स्तर पता लगाने का भी प्रयास किया जाएगा।---विज्ञापन---