भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रकिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) को बदलने के लिए लाए गए तीन महत्वपूर्ण विधेयकों को लोकसभा के बाद गुरुवार को राज्य सभा की भी मंजूरी मिल गई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इन विधेयकों के कानून बनने के बाद देश की आपराधिक न्यायिक प्रणाली में टेक्नोलॉजी का व्यापक योगदान होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी विधेयकों के दोनों सदनों से पारित होने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी है।
'औपनिवेशिक युग के कानूनों के अंत का प्रतीक हैं विधेयक'
पीएम मोदी ने एक्स (जिसे पहले ट्विटर कहा जाता था) पर किए अपने पोस्ट में कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, भारतीय न्याय संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 का पारित होना हमारे इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण है। उन्होंने कहा कि ये विधेयक औपनिवेशिक युग के कानूनों के अंत का प्रतीक हैं।
'एक नए युग की हुई शुरुआत'
प्रधानमंत्री ने कहा कि सार्वजनिक सेवा और कल्याण पर केन्द्रित कानूनों से एक नये युग की शुरुआत होती है। ये परिवर्तनकारी विधेयक सुधार के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण हैं। वे प्रौद्योगिकी और फोरेंसिक विज्ञान पर ध्यान केंद्रित करते हुए हमारी कानूनी, पुलिसिंग और जांच प्रणालियों को आधुनिक युग में लाते हैं।
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राज्यसभा में विधेयकों पर बहस का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि नए आपराधिक कानूनों के लागू होने से अपराध का अंत होगा, तीन साल में न्याय मिलेगा और तारीख पर तारीख का दौर समाप्त होगा। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है, जब 150 साल पुराने आपराधिक न्याय प्रणाली को नियंत्रित करने वाले तीन कानूनों में बदलाव किए गए हैं।
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शाह ने कहा कि तीनों विधेयकों का उद्देश्य सजा देना नहीं, बल्कि न्याय देना है। उन्होंने कि तीन नए कानून लागू होने के बाद भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली टेक्नोलॉजी का सबसे ज्यादा लाभ उठाएगी।
सरकार ने हटाई राजद्रोह की धारा
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ने राजद्रोह की धारा हटा दी है। अब इसकी जगह देशद्रोह की धारा लेगी। गौरतलब है कि भारती न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 क्रमश: आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट की जगह लेंगे।
पीएम मोदी ने कहा कि ये विधेयक हमारे समाज के गरीबों, हाशिए पर मौजूद और कमजोर वर्गों के लिए बढ़ी हुई सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। साथ ही, ये विधेयक संगठित अपराध, आतंकवाद और ऐसे अपराधों पर कड़ा प्रहार करते हैं जो प्रगति की हमारी शांतिपूर्ण यात्रा की जड़ पर हमला करते हैं। उनके माध्यम से, हमने राजद्रोह पर पुरानी धाराओं को भी अलविदा कह दिया है।