Rahul Gandhi Disqualified: कांग्रेस नेता राहुल गांधी को शुक्रवार (24 मार्च) को बड़ा झटका लगा है। सूरत कोर्ट का आदेश आने के बाद लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की सदस्यता को रद्द कर दिया है। मोदी सरनेम मामले में टिप्पणी को लेकर सूरत सत्र न्यायालय ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी।
बता दें कि राहुल गांधी अकेले ऐसे नेता नहीं हैं, जिनकी सदन सदस्यता गई है। बिहार में लालू प्रसाद यादव, उत्तर प्रदेश में आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला, झारखंड में ममता देवी समेत कई लोगों पर कोर्ट से सजा सुनाए जाने के बाद सदस्यता से हाथ धोना पड़ा था।
इन सासंदों और विधायकों की भी जा चुकी है सदस्यता
लालू प्रसाद यादवः लालू यादल को रांची की एक विशेष अदातल ने 3 अक्टूबर 2013 को चारा घोटाले मामले में दोषी करार दिया था। इसके बाद संसदीय अधिसूचना से उनकी लोकसभा सदस्यता अयोग्य घोषित कर दी गई थी।
आजम खानः उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और रामपुर सदर सीट से विधायक रहे आजम खान की विधानसभा सदस्यता भी कुछ दिन पहले ही समाप्त हुई है। आजम खान के खिलाफ वर्ष 2019 में हेट स्पीच का एक मुकदमा दर्ज था। कोई में आरोप सिद्ध होने के बाद आजम को सजा सुनाई गई, जिसके बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा से उनकी सदस्यता को समाप्त किया गया।
अब्दुल्ला आजमः आजम खान के बेटे और रामपुर की स्वार विधानसभा से विधायक अब्दुल्ला आजम खान की भी विधानसभा सदस्यता रद्द की गई थी। उनके खिलाफ उम्र विवाद के मामले में कोई ने अपना फैसला दिया था। जिसके बाद उनके निर्वाचन को शून्य कर दिया गया था।
विक्रम सैनीः मुजफ्फर नगर के विक्रम सैनी का नाम भी विधानसभा की सदस्यता खत्म होने वाले विधायकों में शामिल है। विक्रम सैनी यहां की खतौली सीट से विधायक रहे थे। बताया जाता है कि वे 2013 में हुए मुजफ्फर नगर दंगों में दोषी पाए गए थे। जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें सजा सुनाई।
ममता देवी: झारखंड के रामगढ़ जिले में हुआ गोला हिंसा के मामले में विधायक ममता देवी को भी सदन से अयोग्य करार दिया गया था। बताते हैं कि वर्ष 2016 में हुए दंगों में उन्हें रामपुर की एक कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए पांच साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद रामगढ़ विधानसभा सीट खाली हुई थी।
अशोक चंदेलः वर्ष 2019 में हमीरपुर जिले भाजपा के विधायक रहे अशोक चंदेल को इस कार्रवाई का सामना करना पड़ा था। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत उनकी सदस्यता को रद्द किया गया था। बताया जाता है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या के एक मामले में उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
कुलदीप सेंगरः यूपी के उन्नाव से बांगरपुर से विधायक कुलदीप सेंगर को नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा में उनकी सदस्यता को रद्द किया गया था।
अनंत कुमार सिंह: साहनी के अलावा बिहार से एक और विधायक अनंत कुमार सिंह की सदस्यता पर भी कार्रवाई की जा चुकी है। बताते हैं के मोकामा विधायक अनंत कुमार सिंह के घर से पुलिस ने भारी संख्या में हथियार और विस्फोटक सामग्री बरामदगी की थी। बिहार की राजधानी पटना की एक अदालत ने इस मामले में उन्हें दोषी पाया। सजा होने के बाद उनकी सदस्यता को रद्द किया गया।
रशीद मसूदः कांग्रेस से राज्यसभा सांसद रहे रशीद मसूद को भी अपने सदस्यता से हाथ धोना पड़ा था। वर्ष 2013 में एमबीबीएस सीट घोटाले के एक मामले में उन्हें चार साल की सजा हुई थी। बताते हैं कि घोटाले के वक्त वे केंद्र में स्वास्थ्य मंत्री थे।
मोहम्मद फैजल: लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल की भी सदस्यता रद्द हो चुकी है। एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि फैजल पर कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री पीएम सईद व मोहम्मद सालिया पर हमले का आरोप था। कोर्ट में पहुंचे इस मामले में सांसद समेत 32 लोगों को दोषी ठहराया गया ता। हालांकि बताया गया है कि यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
खब्बू तिवारी: उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले की गोसाइगंज सीट से विधायक रहे इंद्र प्रताप सिंह उर्फ खब्बू तिवारी पर भी सदस्यता रद्द की कार्रवाई हुई थी। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि उन्हें फर्जी मार्कशीट के मामले में कोर्ट ने दोषी पाया था। इसके बाद अयोध्या की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 18 अक्टूबर 2021 को उन्हें 5 साल सजा सुनाई थी।
अनिल कुमार साहनी: बिहार की कुरहानी विधानसभा से आरजेडी के विधायक अनिल कुमार साहनी की भी विधानसभा सदस्यता गंवनी पड़ी थी। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2012 में उन्हें फर्जी तरीके से एयर इंडिया की ई-टिकट दिखा यात्रा भत्ता पाने के मामले में दोषी पाया गया था। उन्होंने फर्जी तरीके से 23.71 लाख रुपये के बिल लगाए थे।
जितेंद्र सिंह तोमर: आम आदमी पार्टी के विधायक रहे जितेंद्र सिंह तोमर की विधानसभा सदस्यता भी एक मामले में रद्द कर दी गई थी। जितेंद्र सिंह तोमर साल 2015 में फर्जी डिग्री के मामले में गिरफ्तार किए गए थे, जिसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिया था। दोषी सिद्ध होने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी। उस वक्त यह मामला सुर्खियों में आया था, क्योंकि तोमर दिल्ली सरकार में मंत्री भी थे। जितेंद्र सिंह ने चुनावी हलफनामें में वकालत की डिग्री दर्शाई थी, लेकिन एक आरटीआई से इस बात का खुलासा हुआ था कि उनकी डिग्री बोगस है। जब इस मामले की जांच हुई तो उनकी डिग्री फर्जी पाई गई थी। जिसके बाद उन पर कार्यवाही हुई थी।
देश की खबरों के लिए यहां क्लिक करेंः-