खेती-किसानी से लेकर बढ़ईगिरी तक… राहुल गांधी के बदलते अवतार, क्या कांग्रेस के लिए बनेंगे तारणहार?
Rahul Gandhi Congress Jananayak Lok Sabha Elections 2024: 2024 आम चुनाव में कुछ ही महीनों का वक्त बचा है। इसी बीच 'भारत जोड़ो यात्रा' के बाद से जिस तरह से राहुल गांधी आम लोगों के बीच जाकर उनसे मिल रहे हैं, उनकी समस्याओं को समझ रहे हैं, निश्चित रूप से इस फैसले ने उनकी पॉपुलेरिटी में इजाफा किया है। कांग्रेस तो राहुल गांधी को अपना जननायक भी बताने लगी है।
राहुल कभी खेती किसानी करते नजर आते हैं, तो कभी कुली बन जाते हैं.. कभी ट्रक पर सवारी करते हैं, तो कभी ट्रेन में आम जनता के साथ सफर करते दिखाई देते हैं... मौका मिलते ही वे बढ़ईगिरी भी करने लग जाते हैं। उनके इस बदले अंदाज को देखकर सवाल उठता है कि उनका बदलता अवतार 2024 में कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित होना तय है।
दरअसल, 2014 में नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से यूपीए को पछाड़कर केंद्र की सत्ता हासिल की थी, उसमें काफी हद तक उनकी छवि का महत्वपूर्ण किरदार था। लोग उन्हें जमीन से जुड़ा नेता मानते थे, लोगों का मानना था कि वे आम जनता की परेशानियों को समझते हैं, लिहाजा वे केंद्र में काबिज होने के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त हैं। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर शायद राहुल गांधी आम जनता के बीच जा रहे हैं, उनसे मिल रहे हैं, उनकी समस्याओं को समझ रहे हैं।
2024 के आम चुनावों के पहले देश की दो बड़ी राजनीतिक पार्टियों की तैयारियों को देखें तो लगता है कि 2024 की जंग मोदी वर्सेज राहुल ही होनी है। कहा तो ये जा रहा है कि जिस तरह आम जनता के बीच जाकर राहुल ने अपनी लोकप्रियता को बढ़ाया है, अपने तौर-तरीकों को बदला है, उससे भाजपा के चेहरे पर शिकन दिखने लगी है।
राहुल को लेकर आखिर कैसे टेंशन में है भाजपा?
कांग्रेस और राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' से पहले तक भाजपा के बड़े से छोटे नेता तक राहुल गांधी पर निशाना साधते थे। उनका कहना होता था कि राहुल गांधी कुछ करेंगे, तो उससे कांग्रेस का नुकसान और भाजपा को फायदा होगा। अब वही भाजपा राहुल गांधी के बदलते अवतारों से शिकन में दिख रही है। जिस राहुल गांधी को लेकर पीएम मोदी तक कभी तंज कसते थे, अब उसी राहुल के जमीनी अवतार से वे इस कदर घबराएं हैं कि कांग्रेस को अर्बन नक्सली वाली पार्टी कहने से भी नहीं चूक रहे। पीएम मोदी ने हाल ही में मध्य प्रदेश की एक सभा में कहा था कि कांग्रेस को अर्बन नक्सली चला रहे हैं। हालांकि पीएम मोदी ने राहुल गांधी का नाम नहीं लिया था।
मोदी की ही तरह राहुल के पास भी जुटने लगी है भीड़
2014 के चुनावों के पहले पीएम मोदी के लिए जिस तरह जनता का प्यार उमड़ता था, लोग उनके साथ सेल्फी के लिए पागल हो जाते थे, वैसी ही क्रेज अब राहुल गांधी के लिए भी दिख रहा है। पिछले दिनों दिल्ली के कीर्तिनगर में राहुल गांधी एशिया की सबसे बड़ी फर्नीचर मार्केट में पहुंचे। यहां उन्होंने फर्नीचर की दुकान में आरी चलाई, रंदा चलाया। राहुल को अपने बीच पाकर बढ़ईयों का मजमा तो जुटा ही, आसपास के लोग भी राहुल गांधी से मिलने, उन्हें देखने पहुंच गए। इस दौरान राहुल गांधी के समर्थन में जमकर नारेबाजी की गई। इस दौरान भीड़ ने राहुल गांधी से संघर्ष करने की अपील भी की।
कीर्तिनगर में बढ़ईयों के साथ गुजारे गए पल की कुछ तस्वीरों को कांग्रेस ने अपने ऑफिशियल X हैंडल पर शेयर किया और लिखा कि दिल्ली के कीर्तिनगर स्थित एशिया के सबसे बड़ी फर्नीचर मार्केट पहुंचे जननायक राहुल गांधी। राहुल गांधी ने बढ़ई भाइयों से मुलाकात कर, उनकी समस्याएं सुनीं और उनके हुनर को करीब से जानने और समझने की कोशिश की। 'भारत जोड़ो यात्रा' जारी है।
एक तरफ मोदी हैं, जिनकी खास छवि है, उनकी एक पॉलिटिकल अप्रोच और स्टाइल है, तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष के सबसे साधारण चेहरे के तौर पर राहुल गांधी हैं। बात सिर्फ कीर्तिनगर के फर्नीचर मार्केट तक ही सीमित नहीं है। इससे पहले आनंद विहार रेलवे स्टेशन के बाहर उनके कुली बनने वाली तस्वीर भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। इससे पहले वे दिल्ली से चंडीगढ़ की यात्रा के बीच अंबाला में रूककर ट्रक से यात्रा की थी। इस मुलाकात को लेकर भी कांग्रेस ने उन्हें जननायक बताया था।
राहुल गांधी ने खुद कहा था- ये मेरा पुनर्जन्म है
राहुल गांधी की बदली हुई छवि को लेकर पहली बार जिक्र नहीं हो रहा है। 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान जब एक पत्रकार ने राहुल गांधी से पूछा था कि यात्रा के बाद आपकी छवि कितनी बदली है? तो राहुल गांधी ने जवाब दिया था कि मैंने अपने अंदर के राहुल गांधी को मार दिया है, ये मेरा जो रूप आप देख रहे हैं, ये मेरा पुनर्जन्म है।
राहुल गांधी ने पिछले कुछ महीनों में जो कुछ भी किया है, उससे तो उनकी बातें बिलकुल सटीक लगती हैं, चाहे अडाणी मामले को लेकर भाजपा पर हमलावर होना हो या फिर विपक्षी गठबंधन को यूनिक नाम देना हो। राहुल गांधी भी जानते हैं कि अगर जनता तक पहुंच बनानी है तो केंद्र सरकार की खामियों को लेकर जनता के बीच जाना ही होगा। शायद यही वजह है कि कभी राहुल गांधी बाइक मैकेनिक बन जाते हैं, तो कभी डिलीवरी ब्याय के साथ बाइक की सवारी करने लगते हैं।
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