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ईद-उल-अजहा पर पेश की मानवता की मिसाल, रक्तदान करने के साथ लिया देहदान का संकल्प

MSM Blood Donation Camp: महाराष्ट्र के पुणे में ईद-उल-अजहा पर भाईचारे की अनोखी पहल देखने को मिली। यहां मुस्लिम सत्यशोधक मंडल (MSM) की ओर से राष्ट्र सेवा दल परिसर में रक्तदान शिविर का आयोजन कर जीवन बचाने का संकल्प लिया गया। मुस्लिमों ने देहदान के फॉर्म भी भरे, जो मानवता के लिए मिसाल है।

बकरीद का त्योहार।
Eid-ul-Adha: हर साल की तरह इस बार भी महाराष्ट्र के पुणे में ईद-उल-अजहा के मौके पर मुस्लिम सत्यशोधक मंडल (MSM) ने भाईचारे की अनोखी मिसाल पेश की। मुस्लिमों ने न केवल रक्तदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, बल्कि देहदान का संकल्प लेते हुए भी काफी फॉर्म भरे। मुस्लिमों ने ईद-उल-अजहा को अनोखे ढंग से मनाते हुए मानवता की मिसाल कायम की। एमएसएम की स्थापना 22 मार्च 1970 को प्रसिद्ध समाज सुधारक हामिद दलवई ने मानव कल्याण के उद्देश्य से की थी। यह भी पढ़ें:कंट्रोवर्शियल का टैग, बेबाक बोल, अब बकरीद पर बयान, Swara Bhasker बोलीं- क्यों नहीं मिलता काम? इस बार भी ईद-उल-अजहा पर एमएसएम ने मुस्लिमों से रक्तदान और देहदान किए जाने की मांग की थी। जिसके जवाब में मुस्लिमों ने राष्ट्रवाद, वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास और लोकतांत्रिक मूल्यों का शानदार उदाहरण पेश किया। पिछले 15 वर्षों से हर ईद-उल-अजहा पर एमएसएम की ओर से रक्तदान शिविर लगाया जाता है।

देहदान के बाद लोगों ने जताई खुशी

इस बार रक्तदान के अलावा लोगों से मृत्यु के बाद देहदान किए जाने का संकल्प लेने की अपील की गई थी। जिसका अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। तर्कवादी डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की ओर से स्थापित महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (MANS) ने भी इस शानदार पहल का समर्थन किया है। पशु अधिकार कार्यकर्ता डॉ. कल्याण गंगवाल भी कार्यक्रम में मौजूद रहे। एमएसएम के अध्यक्ष प्रो. शमशुद्दीन तंबोली ने कहा कि कुर्बानी का असली अर्थ समाज के लिए बलिदान करना है। पशु बलि की प्रथा अधविश्वास को जाहिर करती है। सभी समुदायों के लिए रक्तदान करना ही वास्तव में अच्छी मानवीय पहल है। यह भी पढ़ें:क्या RSS का दखल स्वीकार कर पाएगी मोदी-शाह की BJP? चुनाव परिणाम के बाद बदले संघ के तेवर ईद-उल-अजहा पर एमएसएम ने पहला ब्लड डोनेशन कैंप डॉ. दाभोलकर की मौजूदगी में लगाया था। जिसमें 25 लोगों ने पहल की थी। इस बार 34 लोगों ने रक्तदान में भाग लिया है। मैकेनिकल इंजीनियर और एमएसएम के पदाधिकारी अल्ताफुसेन रमजान नबाब ने एमएसएम की पहल की सराहना की। वहीं, श्रीरूपा बागवान ने कहा कि वे देहदान का फॉर्म भरने के बाद खुश हैं। वे एमएसएम के साथ मिलकर महिला अधिकारों और ट्रिपल तलाक, हलाला के खिलाफ काम कर रही हैं।


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