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वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ असदुद्दीन ओवैसी का बड़ा फैसला, कल चलेगा यह अभियान

एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध तेज करने का ऐलान किया है। ओवैसी ने इस बिल को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे एक्ट का विरोध करें। ओवैसी ने 30 अप्रैल को विशेष अभियान चलाने का भी ऐलान किया है।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) सुप्रीमो और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ बड़ा ऐलान किया है। ओवैसी ने कहा कि 30 अप्रैल को 'लाइट बंद करो' अभियान चलाया जाएगा। ANI की रिपोर्ट के मुताबिक ओवैसी ने लोगों से बुधवार रात 9 बजे से 15 मिनट के लिए लाइट बंद करके अभियान का समर्थन करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा शुरू किए गए प्रदर्शन के तहत अपना विरोध दर्ज करने के लिए रात 9 से 9.15 बजे तक 'लाइट बंद' करने का कार्यक्रम शुरू किया गया है। यह भी पढ़ें:‘पाकिस्तान के प्रवक्ता…’, सपा पर भड़के योगी आदित्यनाथ, पहलगाम आतंकी हमले को लेकर दे डाली ये नसीहत ओवैसी ने लोगों से अपील की कि वे अपने घरों/दुकानों की लाइट बंद करके प्रदर्शन में हिस्सा लें, ताकि पीएम मोदी को संदेश दिया जा सके कि यह अधिनियम मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। यह काला कानून मौलिक अधिकारों के खिलाफ बनाया गया है। इससे पहले 27 अप्रैल को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने कर्नाटक के कलबुर्गी में वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया था।

25 अप्रैल को केंद्र ने दाखिल किया था हलफनामा

25 अप्रैल को केंद्र सरकार ने अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने की अपील शीर्ष न्यायालय से की है। केंद्र सरकार ने अपना प्रारंभिक हलफनामा दायर किया था। सरकार का दावा है कि यह कानून किसी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है। संशोधन केवल संपत्तियों के प्रबंधन के संबंध में धर्मनिरपेक्ष पहलू के नियमन के लिए किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता का कोई उल्लंघन नहीं किया गया है।

5 अप्रैल को मिली थी राष्ट्रपति की स्वीकृति

केंद्र सरकार ने कोर्ट से मांग की थी कि अधिनियम के किसी भी प्रावधान पर रोक न लगाई जाए। कानून में यह स्थापित स्थिति है कि संवैधानिक अदालतें किसी वैधानिक प्रावधान पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोक नहीं लगाएंगी और मामले का अंतिम फैसला करेंगी। गौरतलब है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक 2 अप्रैल को लोकसभा और 3 अप्रैल को राज्यसभा में पेश किया गया था। दोनों सदनों में पारित होने के बाद 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई, जिसके बाद यह कानून बन गया है। असदुद्दीन ओवैसी समेत कई लोगों ने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। यह भी पढ़ें:‘कांग्रेस एक फ्यूज बल्ब…’, ‘गायब’ पोस्ट पर विष्णु देव साय का पलटवार; इमरजेंसी का किया जिक्र


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