What Is Polygamy: दुनिया में ऐसी कई प्रथाएं ऐसी है जिन्हें समझने के बाद आप सोच में पड़ जाएंगे कि आखिर इतने मॉर्डन जमाने में आज भी इस तरह की प्रथाएं कैसे चल सकती हैं. हम बात कर रहे हैं बहुविवाह प्रथा के बारे में… आज इस खबर में जानेंगे कि आखिर बहुविवाह प्रथा क्या है और असम सरकार ने इसे बैन क्यों किया.
क्या है बहुविवाह प्रथा?
देश में शादी को लेकर कई तरह की प्रथाएं प्रचलित हैं. जिनमें से एक है बहुविवाह प्रथा. हालांकि कई जगहों पर इसे अब प्रतिबंधित कर दिया गया है. इस प्रथा का मलतब है कि अगर कोई व्यक्ति चाहे तो वह एस से अधिक शादियां कर सकता है. जिसे बहुविवाह कहते हैं. इस प्रथा में एक व्यक्ति एक साथ कई जीवनसाथी रख सकता है.
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देश में कब बैन हुई थी बहुविवाह प्रथा?
1955 से पहले इस तरह की बहुविवाह प्रथाएं प्रचलंन में थीं हालांकि हिंदू विवाह अधिनियम 1955 ने इस प्रथा को गैर कानूनी घोषित कर दिया था. लेकिन कई राज्यों और क्षेत्रों में ऐसी प्रथाएं प्रचलित थीं जिनमें से एक राज्य असम ने बहुविवाह को लेकर कानून पास कर उस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दी.
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क्या है असम का बहु विवाह निषेध विधेयक 2025?
असम सरकार द्वारा हाल ही में पारित 'असम बहु विवाह निषेध विधेयक, 2025' का मुख्य उद्देश्य राज्य में बहुविवाह की प्रथा को पूरी तरह से समाप्त करना है. भारतीय कानून के तहत, हिंदू, ईसाई, और पारसी समुदायों के लिए बहुविवाह पहले से ही प्रतिबंधित है, लेकिन यह विधेयक इसे सभी समुदायों के लिए एक आपराधिक कृत्य बनाता है.
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पकड़े गए तो मिलेगी ये सजा
असम सरकार ने अपने बहु विवाह निषेध विधेयक 2025 में दोषी पाए जाने पर 7 साल की जेल और जुर्माने का भी प्रावधान दिया है. साथ ही अगर कोई व्यक्ति अपनी मौजूदा शादी को छिपाकर दूसरी शादी करता है तो उसे 10 साल की कारावास की सजा मिलेगी.
असम में कहां लागू नहीं होगा ये विधेयक?
बता दें कि असम सरकार का यह कानून छह अनुसूचित क्षेत्रों में लागू नहीं होगा. संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत परिभाषित अनुसूचित जनजातियों पर लागू नहीं होगा. इस विधेयक के साथ असम में बहुविवाह को एक अपराध माना जाएगा.
क्या कहता है इंडियन पीनल कोड का सेक्शन 494?
"पति या पत्नी के जीते जी दूसरी शादी करना- जो कोई भी, पति या पत्नी के ज़िंदा होते हुए, ऐसी किसी भी हालत में शादी करता है, तो उसे सात साल तक की जेल हो सकती है, और जुर्माना भी देना होगा.
हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि यह नियम उन हालात पर लागू नहीं होता है जहां शादीशुदा ज़िंदगी में से एक पति या पत्नी 'सात साल' तक "लगातार गैरहाजिर" रहा हो. इसका मतलब है कि शादी में छोड़ देने के मामले में, कानून छोड़े गए पति या पत्नी को दूसरी शादी करने से नहीं रोकता है. इसके अलावा, यह नियम उन शादियों पर भी लागू नहीं होता है जिन्हें कोर्ट ने रद्द घोषित कर दिया हो.
कोर्ट दूसरी शादी को कैसे डिफाइन करता है?
आइए इसे एक काल्पनिक सिचुएशन की मदद से समझते हैं. मान लीजिए कि एक आदमी ने दूसरी शादी कर ली है, जबकि उसकी पत्नी ज़िंदा है. अब, पहली पत्नी अपने पति के खिलाफ कंप्लेंट फाइल करेगी कि उसने दूसरी शादी की है. कोर्ट अब यह देखेगा कि क्या पति ने दूसरी शादी की है जो कानूनी तौर पर वैलिड है. आसान शब्दों में, "शादी" कहलाने के लिए, दूसरी शादी को तय रीति-रिवाजों के हिसाब से करना होगा. अगर दूसरी शादी वैलिड नहीं है और सिर्फ एक एडल्टरस रिश्ता है, तो इसे कानून के तहत आगे की कार्रवाई के लिए वैलिड शादी नहीं माना जाएगा.
अगर दूसरे पति या पत्नी को पहली शादी के बारे में पता न हो तो क्या होगा?
ऐसी स्थिति में भी, कानून बेगुनाहों को बचाने की कोशिश करता है. इंडियन पीनल कोड का सेक्शन 495 दूसरी शादी की स्थिति में दूसरे पति या पत्नी के अधिकारों की रक्षा करता है. यह सेक्शन किसी व्यक्ति को जेल और जुर्माने की सजा देता है अगर वह दूसरी शादी करता है और दूसरी पत्नी से पहली शादी की बात छिपाता है.