‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान के बाद जय अनुसंधान’, जानें लाल किले से पीएम की 10 बड़ी बातें
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से देश के 130 करोड़ लोगों को संबोधित करते हुए स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि जय जवान, जय किसान का लाल बहादुर शास्त्री जी का मंत्र आज भी देश के लिए प्रेरणा है। अटल जी ने जय विज्ञान कह कर उसमें एक कड़ी जोड़ दी थी। लेकिन अब अमृत काल के लिए एक और अनिवार्यता है, वो है जय अनुसंधान। जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान। आइए जानते हैं पीएम मोदी के भाषण की 10 बड़ी बातें।
1- देश के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं...
पीएम मोदी ने कहा कि देश के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं। पहली चुनौती भ्रष्टाचार है जबकि दूसरी चुनौती भाई-भतीजावाद, परिवारवाद है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ना है। एक तरफ वो लोग हैं जिनके पास रहने के लिए जगह नहीं है और दूसरी तरफ वो लोग हैं जिनके पास चोरी किया माल रखने की जगह नहीं है। ये स्थिति अच्छी नहीं है। उन्होंने कहा कि ये ठीक है कि चुनौतियां बहुत हैं। अगर इस देश के सामने करोड़ों संकट हैं, तो इतने ही समाधान भी हैं। मेरा 130 करोड़ देशवासियों पर भरोसा है। निर्धारित लक्ष्य के साथ, संकल्प के प्रति समर्पण के साथ जब 130 करोड़ देशवासी आगे बढ़ते हैं, तो हिंदुस्तान 130 कदम आगे बढ़ जाता है।
2- देश की सेना के जवानों का हृदय से अभिनंदन करना चाहता हूं...
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज देश की सेना के जवानों का हृदय से अभिनंदन करना चाहता हूं। मेरी आत्मनिर्भर की बात को संगठित स्वरूप में, साहस के स्वरूप में, सेना के जवानों और सेनानायकों ने जिस जिम्मेदारी के साथ कंधे पर उठाया, उनको आज मैं सैल्यूट करता हूं। आजादी के 75 साल के बाद जिस आवाज को सुनने के लिए हमारे कान तरस रहे थे। आज 75 साल के बाद वो आवाज सुनाई दी है। 75 साल के बाद लाल किले पर तिरंगे को सलामी देने का काम पहली बार मेड इन इंडिया तोप ने किया है।
3- अंतरिक्ष से लेकर समंदर की गहराई तक रिसर्च के लिए मिले भरपूर मदद...
पीएम मोदी ने कहा कि हमारा प्रयास है कि देश के युवाओं को असीम अंतरिक्ष से लेकर समंदर की गहराई तक रिसर्च के लिए भरपूर मदद मिले। इसलिए हम स्पेस मिशन, Deep Ocean Mission का विस्तार कर रहे हैं। स्पेस और समंदर की गहराई में ही हमारे भविष्य के लिए जरूरी समाधान हैं। ये हमारे नौजवान हैं, जो आज नई नई खोज के साथ दुनिया के सामने आ रहे हैं। गुलामी की मानसिकता को हमें तिलांजली देनी पड़ेगी, अपने सामर्थ्य पर भरोसा करना होगा।
4- आत्मनिर्भर भारत सरकारी एजेंडा नहीं, समाज का जनआंदोलन है...
पीएम मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत, ये हर नागरिक का, हर सरकार का, समाज की हर एक इकाई का दायित्व बन जाता है। आत्मनिर्भर भारत, ये सरकारी एजेंडा या सरकारी कार्यक्रम नहीं है, ये समाज का जनआंदोलन है, जिसे हमें आगे बढ़ाना है।
5- हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए...
पीएम मोदी ने कहा कि आज विश्व पर्यावरण की समस्या से जूझ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं के समाधान का रास्ता हमारे पास है। इसके लिए हमारे पास वो विरासत है, जो हमारे पूर्वजों ने हमें दी है। हमने देखा है कि कभी कभी हमारे टैलेंट भाषा के बंधनों में बंध जाते हैं। ये गुलामी की मानसिकता का परिणाम है। हमें हमारे देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए। हम वो लोग हैं, जो जीव में शिव देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नर में नारायण देखते हैं। हम वो लोग हैं, जो नारी को नारायणी कहते हैं, हम वो लोग हैं, जो पौधे में परमात्मा देखते हैं। हम वो लोग हैं, जो नदी को मां मानते हैं, हम वो लोग हैं, जो कंकड़-कंकड़ में शंकर देखते हैं।
6- समस्याओं का समाधान भारत की धरती पर दुनिया खोजने लगी है...
पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के इतने दशकों बाद पूरे विश्व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल चुका है। विश्व, भारत की तरफ गर्व और अपेक्षा से देख रहा है। समस्याओं का समाधान भारत की धरती पर दुनिया खोजने लगी है। विश्व का ये बदलाव, विश्व की सोच में ये परिवर्तन 75 साल की हमारी यात्रा का परिणाम है। कोरोना के कालखंड में दुनिया वैक्सीन लेने या न लेने की उलझन में जी रही थी। उस समय हमारे देश लोगों ने 200 करोड़ डोज लेकर दुनिया को चौंका देने वाला काम करके दिखाया। अनुभव कहता है कि एक बार हम सब संकल्प लेकर चल पड़ें, तो हम निर्धारित लक्ष्यों को पार कर लेते हैं।
7- आजादी के अमृत काल के लिए मोदी के 'पंच प्रण'...
पीएम मोदी ने कहा कि आने वाले 25 साल के लिए हमें 'पंच प्रण' पर अपनी शक्ति, संकल्पों और सामर्थ्य को केंद्रित करना होगा। ये पंच प्रण हैं....
- अब देश बड़े संकल्प लेकर ही चलेगा और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत।
- किसी भी कोने में मन के भीतर अगर गुलामी का एक भी अंश है, हमें उससे मुक्ति पानी ही होगी।
- हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए।
- एकता और एकजुटता।
- नागरिकों का कर्तव्य।
8- एक ऐसा दृष्टिकोण जिसे महात्मा गांधी ने प्रिय माना था...
पीएम मोदी ने कहा कि भारत की भावना के बारे में मेरी समझ ने मुझे यह महसूस कराया कि न्यू इंडिया के विकास के लिए हमें पूरे देश में समावेशी विकास सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। एक ऐसा दृष्टिकोण जिसे महात्मा गांधी ने प्रिय माना था। प्रधानमंत्री ने कहा कि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास राष्ट्र समर्थक नीतियों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने और विकास को अंतिम मील तक ले जाने की आधारशिला बने। जब शासन में स्थिरता होती है, तेजी से निर्णय लेने की भावना होती है, जनभागीदारी की भावना राष्ट्र के विकास के लिए प्रबल होती है।
9- सामूहिक चेतना हमारे लिए बहुत कीमती है...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमने देखा है कि देश भर में सामूहिक चेतना का पुनर्जागरण हुआ है। वे आकांक्षाएं अब साकार हो रही हैं। यह सामूहिक चेतना हमारे लिए बहुत कीमती है। मोदी ने कहा, "भारत एक आकांक्षी समाज है जहां सामूहिक भावना से परिवर्तन हो रहे हैं। भारत के लोग सकारात्मक बदलाव चाहते हैं और उनमें योगदान भी देना चाहते हैं। हर सरकार को इस आकांक्षा को पूरा करना होगा।"
10- अगले 25 वर्षों के लिए युवाओं से की ये अपील...
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब सपने बड़े होते हैं, तो कड़ी मेहनत भी उतनी ही कठिन होती है। हमें अपने स्वतंत्रता सेनानियों के संकल्प और दृढ़ संकल्प से प्रेरित होने की जरूरत है, जिन्होंने एक स्वतंत्र भारत का सपना देखा था। मैं युवाओं से अगले 25 वर्षों को देश के लिए समर्पित करने का आग्रह करता हूं। राष्ट्र के विकास के लिए, पूरी मानवता के विकास हम एक साथ मिलकर काम करेंगे। यही भारत की ताकत है।
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