CISF Personnel New Security Policy: दिल्ली में संसद भवन की सुरक्षा में 24 घंटे CISF के जवान तैनात रहते है, लेकिन अब जवानों से लेकर अधिकारियों तक में जोश भरने के लिए CISF की तरफ से पोस्टिंग पॉलिसी में एक नया संसोधन किया गया है. वहीं यह बदलाव इसलिए भी किया गया है कि आने वाले समय में अग्निवीरों के पहले बैच का कार्यकाल समाप्त होने वाला है और अग्निवीरों की भर्ती पॉलिसी के मुताबिक, 10 प्रतिशत जवानों की भर्ती CISF को अपने विभाग में करनी है.
नई पॉलिसी का मकसद अपडेट और सुधार
पोस्टिंग नीति में बदलाव को CISF में जवानों की तादाद में बढ़ोतरी के तौर पर भी देखा जा रहा है, क्योकि CISF का लक्ष्य फोर्स की अपडेट तैयारी और लगातार इसमें सुधार करने को लेकर है. CISF के वरिष्ठ कमांडेट ने News 24 को जानकारी दी कि नई पॉलिसी के तहत संसद भवन की सुरक्षा में तैनात जवानों की सेवा अवधि में एक साल की बढ़ोतरी कर दी गई है, यानी 3 साल की जगह अब 4 साल की तैनाती रहेगी. परफार्मेंस को देखते हुए कार्यकाल को एक और साल के लिए बढ़ाया जा सकता है.
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अलग-अलग वर्ग के लिए होंगे अलग मापदंड
नई व्यवस्था के तहत गजटेड और नॉन-गजटेट अफसरों के लिए अलग व्यवस्था की गई है. वहीं संसद की सुरक्षा में तैनाती के लिए अलग मापदंड भी बनाया गया है. प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल यानी PHC ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों का सर्विस रिकॉर्ड देखा जाएगा. अगर रिकॉर्ड बेहतर हुआ तो उनके कार्यकाल को बढ़ाने के साथ ही उनकी तैनाती संसद भवन में की जाएगी. नए मापदंड के मुताबिक, नॉन-गजटेड कर्मियों पर कोई अनुशासन से संबंधित कार्रवाई भी नहीं हुई हो.
4 प्रकार के खास टेस्ट देने होंगे अग्निवीरों को
संसद भवन की सुरक्षा में तैनाती की इच्छा रखने वाले कर्मियों को 4 प्रकार के टेस्ट से गुजरना होगा. इनमें साइकोलॉजिकल टेस्ट, वार फिजिकल एफिशिएंसी टेस्ट, इंटरनल ट्रेनिंग के अलावा सभी तरह के कानूनी क्लीयरेंस होना शामिल है. यह नया मापदंड इसलिए भी लाया गया है कि भविष्य में संसद की सुरक्षा और बेहतर हो जाए. इसके अलावा भविष्य में जिन नए अग्निवीरों को भर्ती किया जाएगा, उनकी संसद के प्रति बौद्धिक समझ को भी परखने का मौका मिलेगा.
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जवानों की फायरिंग क्षमता भी परखी जाएगी
अगर बात करें अधिकारी लेवल की तो इनके लिए अलग मापदंड CISF की तरफ से तैयार किया गया है. जिन अधिकारियों का चयन संसद भवन के लिए किया जाएगा, उन्हें कई टेस्ट से गुजरना होगा. उन्हें जैविक रासायनिक लड़ाई, आंतकी हमला, ड्रोन हमला, साइबर हमला, बम से उड़ाने की धमकी समेत कई मामलों से कैसे निपटेंगे, इसके लिए टेस्ट देना होगा. इस चरण के पूरा होने के बाद अधिकारियों का फायरिंग टेस्ट भी लिया जाएगा कि कम रोशनी या फिर अंधेरे में उनकी फायरिग क्षमता कितनी है? यह नीति CISF की तरफ से इसलिए अपनाई गई है ताकि साल 2023 जैसी घटना दुबारा न हो पाए.
क्या हुआ था साल 2023 में?
13 दिसबंर 2023 को संसद पर हमला हुआ था. 2 युवक पब्लिक वेल में कूद कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे और वे पीले रंग का धुंआ भी छोड़ रहे थे. उस घटना को साल 2001 में हुए संसद हमले के बाद सुरक्षा में सबसे बड़ी चूक माना गया. साल 2014 में भी संसद की सुरक्षा में चूक हुई थी, जब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बॉडीगार्ड हथियार के साथ ही संसद में प्रवेश कर गए थे, जिसे बाद में भूलवश हुई गलती बताकर माफी मांगी गई थी.