Parliament Attack 24th Anniversary: साल 2001, तारीख 13 दिसंबर। भारत में लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर यानी संसद में जनता के लिए शीतकालीन सत्र चल रह था। संसद में महिलाओं के हितों के लिए महिला आरक्षण बिल पर बहस चल रही थी। सत्ता पक्ष और विपक्ष में जोरदार हंगामा मचा था। देश की जनता के लिए संसद का शोर कुछ ही देर में गोलियों के शोर में बदल गया। 5 आतंकी एके-47 लेकर संसद परिसर में दाखिल हो चुके थे। जानकारी के अनुसार, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई और नेता प्रतिपक्ष सोनिया गांधी कुछ देर पहले ही सदन से रवाना हुईं थी। सदन में तब के गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी बिल पर भाषण दे रहे थे।
संसद के अंदर और बाहर अफरा तफरी का माहौल बन गया। किसी को कुछ समझ नहीं आया। देश के सबसे सुरक्षित इलाके लुटियंस दिल्ली में सबसे मजबूत जगह यानी संसद में हमले का कभी किसी ने सोचा भी नहीं होगा। हमले के वक्त कई दिग्गज नेताओं के साथ सदन बड़ी संख्या में बड़े पत्रकार भी मौजूद थे।
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आनन फानन में दिल्ली पुलिस ने व्यवस्था संभालने की कोशिश की। संसद में परिसर में करीब 45 मिनट तक गोलीबारी हुई। इस गूंज ने लोगों को हिलाकर रख दिया। पुलिस ने स्थिति को देखते हुए सभी नेताओं और पत्रकारों को सदन के अंदर ही रहने को कहा। संसद परिसर को पूरी तरह सील कर दिया गया।
बता दें कि 13 दिसंबर 2001 को सुबह करीब साढ़े 11 बजे संसद के गेट नंबर 12 से एक एंबेसडर कार रफ्तार से परिसर में घुसी। कार पर गृह मंत्रालय और संसद के फर्जी स्टीकर लगे थे। सुरक्षा कर्मियों को शक हुआ तो वह कार के पीछे दौड़े। सुरक्षा कर्मियों को पीछे दौड़ते देख आंतकी घबरा गए। आनन-फानन में उन्होंने उप राष्ट्रपति की कार में टक्कर मार दी। टक्कर के बाद आतंकियों को बचने की कोई उम्मीद नहीं बची दिखी तो कार से उतरते ही पांचों ने फायरिंग शुरू कर दी।
जब सदन में घुसने लगे आतंकी....
फायरिंग के बाद ही संसद परिसर में खूनी खेल शुरू हो गया। बाहर से सुरक्षाबलों ने दरवाजे बंद करके मोर्चा संभाल लिया। अंदर तैनात सुरक्षा अलर्ट मोड में गए। एक आतंकी मौका पाकर गेट नंबर 1 से सदन में घुसने की कोशिश लगा, जहां गृह मंत्री समेत तमाम नेता और पत्रकार मौजूद थे। इसी बीच एक सुरक्षाकर्मी ने उस आतंकी को ढेर कर दिया। बाकी 4 आतंकी गेट नंबर 4 की तरफ सदन में जाने के लिए बढ़े। सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई में 3 आतंकी ढेर हो गए। आखिरी बचा आतंकी अपनी जान बचाकर गेट नंबर 5 की तरफ भागा लेकिन बच न सका। हालांकि यह खेल कुछ घंटों का नहीं बल्कि सुबह साढ़े 11 बजे से लेकर शाम के 4 बजे तक चलता रहा।
देश ने गवाएं 9 सपूत
इस आतंकी हमले में देश ने 9 जवानों को खो दिया। लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर की रक्षा करते हुए दिल्ली पुलिस के 5 जवान, CRPF की 1 जवान, राज्यसभा सचिवालय के 2 कर्मचारी और 1 माली शहीद हो गए। इन्हीं सपूतों की वजह से आतंकी सदन तक नहीं पहुंच सके।
दो दिन में साजिश का पर्दापाश
इस हमले ने पूरे देश को झकजोर दिया था। हमले के ठीक दो दिन बाद 15 दिसंबर को दिल्ली पुलिस ने साजिश का खुलासा किया था। पुलिस ने साजिश के मास्टर माइंड अफजल गुरु, एसएआर गिलानी, अफशान गुरु और शौकत हुसैन को गिरफ्तार किया। सभी पर सुप्रीम कोर्ट में लंबी सुनवाई चली। बाद में कोर्ट ने गिलानी और अफशान को केस से बरी कर दिया। शौकत हुसैन की सजा कम कर दी गई। इसके अलावा मास्टर माइंड अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई।
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