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आतंकियों के खिलाफ ‘ऑपरेशन त्रिनेत्र’ का चौथा दिन, घने जंगल में दहशतगर्दों की तलाश में जुटे सुरक्षाकर्मी

पंकज शर्मा, श्रीनगर: आतंक के ‘ऑपरेशन त्रिनेत्र’ का आज चौथा दिन है। राजौरी सेक्टर के कंडी के घने जंगलों में सेना के जवान, पैरा कमांडो, स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप, अर्द्ध सैनिक के जवान आतंकियों की तलाश में जुटे हैं। बता दें कि पिछले शुक्रवार को आतंकी मुठभेड़ में पांच जवानों की शहादत के बाद सेना के […]

प्रतीकात्मक फोटो।
पंकज शर्मा, श्रीनगर: आतंक के 'ऑपरेशन त्रिनेत्र' का आज चौथा दिन है। राजौरी सेक्टर के कंडी के घने जंगलों में सेना के जवान, पैरा कमांडो, स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप, अर्द्ध सैनिक के जवान आतंकियों की तलाश में जुटे हैं। बता दें कि पिछले शुक्रवार को आतंकी मुठभेड़ में पांच जवानों की शहादत के बाद सेना के सर्च ऑपरेशन में शनिवार को एक आतंकी को मुठभेड़ में मार गिराया गया था जबकि एक दहशतगर्द जख्मी हो गया था। ऑपरेशन त्रिनेत्र के चौथे दिन आज आंतकियों की तलाश में बड़े पैमाने पर कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया है ताकि जितने भी आतंकी घने जंगलों में छिपे हुए हैं, उन्हें चुन-चुन कर ढेर किया जाए।

पाकिस्तानी सीमा से सटे पुंछ और राजौरी में 18 महीने में 8 आतंकी हमले

पाक‍िस्‍तानी सीमा से सटे पुंछ और राजौरी जिलों में आतंकवादियों ने अक्टूबर 2021 से अब तक आठ हमले क‍िए हैं। बता दें कि 1990 के दशक में पीर पंजाल, केसरी हिल का इलाका आंतक का गढ़ माना जाता था। 2007 में ये इलाका आंतकवाद मुक्त हो गया था, लेकिन एक बार फिर पाकिस्तान की ओर से पीर पंजाल और चिनाब वैली में आंतकवाद को जिंदा करने की कोशिश की जा रही है। 1990 में आतंकियों के लिए यह इलाका कश्मीर घाटी तक जाने का पारंपरिक रूट रहा है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने दशहतगर्दों को राजौरी और पूंछ में आतंकवाद को एक बार फिर रिवाइव करने के लिए जिम्मा सौंपा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस इलाके में 8 से 9 आतंकी सक्रिय हैं। ये छिपने के लिए कंडी के घने जंगलों में अपना ठिकाना बनाते हैं। इन घने जंगलों में कई जगह पर सुरंगे हैं जिनको दहशतगर्द हाइडआउट के तौर पर इस्तेमाल करते हैं।

जंगलों में इसलिए छिपते हैं आतंकी

जंगलों में आतंकी इसीलिए छपते हैं क्योंकि इनमें नेचुरल केव बनी होती हैं और टोंक होती हैं। टोंक यानी कि जो पहाड़ों के ऊपर कच्चे मकान बने होते हैं। अक्सर आतंकी टोंक के अंदर बैठे रहते हैं क्योंकि आसपास कोई आबादी नहीं होती। टोंक में बकरवाल समुदाय के लोग सिर्फ 6 महीने रहते हैं। जब सर्दियां होती हैं तो ये लोग टोंक से निकलकर मैदानी इलाकों में या निचले इलाकों में आ जाते हैं और जब गर्मी होती है तो दोबारा ऊपरी इलाकों में वापस चले आते हैं।

क्या है पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI का प्लान?

अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा के जरिए पाकिस्तान आतंकियों को घुसपैठ करवाने की कोशिश कर रहा है। नियंत्रण रेखा पर बर्फ पिघलना शुरू हो चुकी है और लॉन्चिंग पैड में सैकड़ों की तादाद में आतंकी मौजूद हैं, जो भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं। आतंकियों के हर मंसूबे को नाकाम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बीएसएफ के जवान अलर्ट हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पुंछ जिले के मेंढर का रहने वाला रफीक नाई उर्फ सुल्तान मौजूदा समय में पीओके में है और वहां से राजौरी पुंछ में आंतक को जिंदा करने की साजिश रच रहा है। एक अन्य आतंकी मोहम्मद अमीन बट उर्फ खुबैब (डोडा निवासी) भी पीओके में मौजूद है और वहीं से ऑपरेट कर रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पुंछ और रजौरी में आतंकी हमले के पीछे इन दोनों आतंकियों का भी हाथ हो सकता है।


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