Operation Sindoor: पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने के लिए चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद, पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में भारतीय सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले करने की कोशिश की। लेकिन भारत की मजबूत वायु सुरक्षा प्रणाली ने हर एक मिसाइल को रास्ते में ही नष्ट कर दिया, और कोई भी हमला अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच सका।
यह सफल प्रतिरोध भारत की उस मजबूत वायु रक्षा प्रणाली का परिणाम है, जिसे पिछले 11 वर्षों में लगातार सशक्त किया गया है। इस नेटवर्क में S-400 ट्रायम्फ सिस्टम, बाराक-8 मिसाइल, आकाश मिसाइलें, और DRDO द्वारा विकसित एंटी-ड्रोन टेक्नोलॉजी शामिल हैं, जिन्होंने मिलकर एक अटूट ‘एरियल शील्ड’ तैयार किया।
₹35,000 करोड़ की लागत से 5 S-400 स्क्वाड्रन का सौदा (2018), जिनमें से 3 अब सक्रिय हैं
• बाराक-8 मिसाइल प्रणाली ($2.5 बिलियन का इजरायल के साथ समझौता)
• स्वदेशी ‘आकाश’ मिसाइल बैटरियां
• 2024 में तैनात किया गया मैन-पोर्टेबल काउंटर-ड्रोन सिस्टम (MPCDS)
भारतीय टेक्नोलॉजी की नई शक्ति
इस ऑपरेशन में पहली बार भारतीय निर्मित ‘लोइटरिंग म्यूनिशन’ (आत्मघाती ड्रोन) का युद्ध में इस्तेमाल हुआ, जिन्होंने पाकिस्तान की रक्षा पंक्तियों को चौंका दिया। इसके साथ ही इजरायली मूल के ‘हारोप’ ड्रोन (जो अब भारत में बने) का प्रयोग कर कराची और लाहौर में एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह किया गया। रफाल विमानों से SCALP और HAMMER मिसाइलों की तैनाती ने भारत की ‘सर्जिकल स्ट्राइक क्षमता’ को और सशक्त किया।
अब भारत सिर्फ रक्षा नहीं करता, आकाश पर नियंत्रण रखता है
सरकार की रक्षा नीति दिखावटी कार्रवाइयों तक सीमित नहीं रही, बल्कि एक मल्टी-लेयर्ड, तकनीक-संपन्न सुरक्षा ढांचा खड़ा करने पर केंद्रित रही है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद यह संदेश साफ है कि भारत अब केवल अपने आकाश की रक्षा नहीं करता, बल्कि उसे नियंत्रित भी करता है।
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