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5 साल में तीसरी बार केरल में टूटा निपाह का कहर; जानें फिर से क्यों फैल रहा खतरनाक वायरस?

Nipah Deadly Virus Outbreak Again: पांच साल में ये तीसरी बार है, जब केरल में निपाह वायरस (NiV) का प्रकोप एक बार फिर फैला है। फिलहाल, इस खतरनाक वायरस ने केरल में 30 अगस्त और 11 सितंबर को एक-एक मरीज की जान ले ली। राज्य के कोझिकोड इलाके में 9 पंचायतों को कंटेनमेंट जोन बनाया गया […]

Nipah Deadly Virus Outbreak Again: पांच साल में ये तीसरी बार है, जब केरल में निपाह वायरस (NiV) का प्रकोप एक बार फिर फैला है। फिलहाल, इस खतरनाक वायरस ने केरल में 30 अगस्त और 11 सितंबर को एक-एक मरीज की जान ले ली। राज्य के कोझिकोड इलाके में 9 पंचायतों को कंटेनमेंट जोन बनाया गया है। यहां के निपाह वायरस से संक्रमित 5 और मरीजों का अस्पतालों में इलाज चल रहा है। राज्य में पहली बार 2018 में निपाह का कहर टूटा था। हालांकि निपाह बार-बार केरल में क्यों कहर बरपा रहा है, इस संबंध में कोई जानकारी सामने नहीं आ पाई है। निपाह संक्रिमत मरीजों के घरों के 5 किलोमीटर के दायरे में कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं। बताया जा रहा है कि 15 लोगों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। वहीं, स्थिति का जायजा लेने और निपाह संक्रमण के प्रबंधन में राज्य सरकार की सहायता करने के लिए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, RML अस्पताल और NIMHANS के विशेषज्ञों की 5 लोगों की टीम को केरल भेजा गया है।

सैंपल टेस्टिंग के लिए ग्राउंड जीरो पर मौजूद टेस्टिंग लैब

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICNR) ने निपाह वायरस से निपटने के लिए राज्य सरकार के अनुरोध पर मोनोक्लोनल एंटीबॉडी बांटी है। संक्रमण के इलाज के लिए एंटीवायरल सरकार के पास उपलब्ध एकमात्र विकल्प है, हालांकि इसकी प्रभावकारिता अभी तक चिकित्सकीय रूप से सिद्ध नहीं हुई है। कोझिकोड जिले में वायरस के सैंपल्स की टेस्टिंग के लिए एक मोबाइल BSL-3 (बायोसेफ्टी लेवल-3) लैब को भी ग्राउंड जीरो पर भेजा गया है। चमगादड़ और सूअर से इंसानों में फैलने वाले इस वायरस से 2018 में 21 लोगों की मौत हुई थी। निपाह वायरस सबसे पहले 1999 में सिंगापुर और मलेशिया समेत अन्य देशों में पाया गया था। हालांकि उसके बाद से वहां निपाह वायरस के नए केस नहीं आए हैं, लेकिन 2001 के बाद ये वायरस भारत और बांग्लादेश में समय-समय पर अपना प्रकोप दिखाता रहता है।

क्या है निपाह वायरस?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, निपाह एक ज़ूनोटिक वायरस है, जिसका अर्थ है कि यह जानवरों से मनुष्यों में फैल सकता है। मानव शरीर में पहुंचने के बाद ये वायरस गंभीर श्वसन संक्रमण का कारण बन सकता है और मस्तिष्क पर हमला कर सकता है।

कैसे फैलता है निपाह वायरस?

WHO के अनुसार, भारत और बांग्लादेश में वायरस के संक्रमण का सबसे बड़ा कारण फल उत्पादों की खपत को माना जाता है। तर्क दिया जाता है कि खजूर का फल चमगादड़ों के मूत्र या लार से दूषित होता है।

क्या हैं निपाह संक्रमण के लक्षण?

यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, निपाह वायरस से संक्रमित मरीज को शुरुआत में बुखार और सिरदर्द होता है। इसके बाद खांसी या फिर गले में खराश जैसी समस्या होती है। माना जाता है कि संक्रमित के संपर्क में आने के बाद निपाह वायरस दो सप्ताह के अंदर अपना लक्षण दिखाना शुरू कर देता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, संक्रमण से मरीज को दौरे आ सकते हैं और वो एन्सेफलाइटिस यानी मस्तिष्क की सूजन का शिकार हो सकता है, जिससे 24 से 48 घंटों के भीतर मरीज कोमा में भी जा सकता है।

कितना खतरनाक है निपाह वायरस?

निपाह वायरस से डर बेहद जरूरी है। इसे हल्के में लेने की गलती कतई नहीं करनी चाहिए। एक अनुमान के मुताबिक, 40 से 75% संक्रमित मरीजों की मौत हो जाती है।

कैसे होता है निपाह संक्रमित मरीज का इलाज?

मनुष्यों या जानवरों के लिए निपाह के कोई टीके उपलब्ध नहीं हैं, न ही कोई प्रभावी उपचार हैं। सीडीसी के अनुसार, शोधकर्ता वर्तमान में मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज - इम्यूनोथेराप्यूटिक दवाएं विकसित कर रहे हैं जो सीधे वायरस से लड़ेंगी, लेकिन अभी तक कोई लाइसेंस प्राप्त उपचार उपलब्ध नहीं है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपलब्ध कराने के लिए काम कर रहा है।

किन अन्य देशों ने निपाह वायरस का प्रकोप?

अब तक ये वायरस एशियाई देशों तक ही सीमित है, जिनमें भारत के अलावा बांग्लादेश, सिंगापुर, मलेशिया और फिलीपींस शामिल है।

संक्रमण से बचाव के क्या हैं तरीके?

  • निपाह से संक्रमित के पास जाने से पहले मास्क और ग्लव्स पहनें।
  • परिवार में कोई संक्रमित है, तो अपने हाथों की अच्छे से सफाई करें।
  • अस्पताल जाने से पहले, कंटेनमेंट जोन में जाने से पहले PPE किट पहनें।


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