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Karnataka: मैसूर और हुबली में NIA की कार्रवाई, SDPI नेता के साथ PFI के पूर्व सचिव के घर पर की छापेमारी

NIA Raids: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कर्नाटक के हुबली और मैसूर में छापेमारी की है। आतंकवाद विरोधी टास्क फोर्स ने सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के दो नेताओं के आवासों पर छापेमारी की। जानकारी के मुताबिक, हुबली में एसडीपीआई नेता इस्माइल नलबंद के घर की तलाशी ली गई है। वहीं, मैसूर में एनआईए ने प्रतिबंधित […]

NIA Raids: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कर्नाटक के हुबली और मैसूर में छापेमारी की है। आतंकवाद विरोधी टास्क फोर्स ने सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के दो नेताओं के आवासों पर छापेमारी की। जानकारी के मुताबिक, हुबली में एसडीपीआई नेता इस्माइल नलबंद के घर की तलाशी ली गई है। वहीं, मैसूर में एनआईए ने प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पूर्व सचिव सुलेमान के आवास पर छापा मारा।

PFI पर टेरर फंडिंग सांठगांठ के आरोपों के बाद पांच साल का प्रतिबंध लगाया गया है। एनआईए और ईडी की ओर से देश भर में पीएफआई और उसके सदस्यों पर विशेष रूप से सितंबर 2022 में कई छापे मारने के बाद सरकार की ओर से ये कदम उठाया गया था। छापेमारी के शुरुआती दौर में 106 पीएफआई सदस्यों को हिरासत में लिया गया था। इस बीच, ऑपरेशन की दूसरी श्रृंखला के दौरान 247 पीएफआई सदस्यों को पकड़ा गया या गिरफ्तार किया गया।

10 अक्टूबर को महाराष्ट्र में हुई थी छापेमारी

बता दें कि पीएफआई पर प्रतिबंध के बाद भी जांच एजेंसियां आतंकी लिंक और देश भर में उनके अभियानों पर अपनी कार्रवाई बनाए रखी है। 10 अक्टूबर को, महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने रायगढ़ जिले से चार पीएफआई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। असम पुलिस ने 21 अक्टूबर को असम के कामरूप जिले के नगरबेरा इलाके से प्रतिबंधित पीएफआई के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया था। अधिकारियों ने पीएफआई से जुड़े एक अन्य व्यक्ति को भी हिरासत में लिया। गृह मंत्रालय द्वारा कट्टरपंथी संगठन पर प्रतिबंध लगाने के आदेश के बाद, यह खुलासा हुआ कि पुलिस और एनआईए द्वारा विभिन्न राज्यों में पीएफआई और उसके प्रमुख संगठनों के कैडरों के खिलाफ 1,300 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से कुछ मामले गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की अन्य जघन्य धाराओं के तहत भी दर्ज किए गए थे।

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