TrendingMaha Kumbh 2025Ranji TrophyIPL 2025Champions Trophy 2025WPL 2025mahashivratriDelhi New CM

---विज्ञापन---

भारतीयों की सेहत के अदृश्य शत्रु: बच्चों से बुजुर्गों तक…कौन सी बीमारियां खामोशी से कर रही हैं प्रहार?

Bharat Ek Soch: अदृश्य बीमारियों ने देश की बड़ी आबादी को एक तरह से टाइम बम पर बैठा दिया है। ये अकाल मृत्यु की भी बड़ी वजह बन रही हैं।

News 24 Editor in Chief Anurradha Prasad Show
Bharat Ek Soch: गोस्वामी तुलसीदास के रामचरितमानस में एक चौपाई है- दैहिक, दैविक, भौतिक तापा, रामराज काहू नहीं व्यापा। मतलब, त्रेतायुग में श्रीराम के राज्य में लोगों को दैहिक यानी बीमारी, दैविक यानी प्राकृतिक आपदा और भौतिक यानी आर्थिक परेशानियां नहीं थीं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिंदगी जीने का वो कौन सा सलीका था, जिसमें इंसान बीमारियों से आजाद था। इतिहास के किसी कालखंड में कभी ऐसा दौर था भी या नहीं ये एक रिसर्च का विषय है, लेकिन हजारों साल पहले लिखा गया आयुर्वेद...इस बात का सबूत है कि भारत एक बेहतर स्वास्थ्य प्रणाली को लेकर कितना सचेत और कितनी आगे की सोच रखता था। 'भारत एक सोच' में आज बात देश के एक अरब चालीस करोड़ लोगों की सेहत की। चुनावी माहौल को देखते हुए राजनेता बात जाति के जोड़-तोड़ की कर रहे हैं...हिंदू-मुस्लिम की कर रहे हैं...राष्ट्रवाद की कर रहे हैं... फ्रीबीज की कर रहे हैं... मुफ्त दवाई की बात कर रहे हैं ... लेकिन, इस बात पर ईमानदारी से मंथन नहीं हो रहा है कि भारत के लोग तेजी से बीमार होते जा रहे हैं। कोई ज्यादा नमक खाने से बीमार हो रहा है...किसी की खुशियां चीनी छीन रही है...किसी की आंखों से दिनों-दिन नींद कम होती जा रही है । कोई स्मार्टफोन में इतना घुसा है कि परिवार और दोस्तों के बीच भी तन्हा है। भारत में करोड़ों लोग कई ऐसी गंभीर बीमारियों को अपने शरीर में पाल-पोस रहे हैं जो उनकी उम्र तेजी से कम कर रही है। यह अकाल मृत्यु की भी बड़ी वजह बन रही है। ऐसे में आज 'भारत एक सोच' में चार ऐसी अदृश्य बीमारियों के बारे में बात करने का फैसला किया है, जिन्होंने देश की बड़ी आबादी को एक तरह से टाइम बम पर बैठा दिया है।

भारतीयों की सेहत के ‘अदृश्य शत्रु’

कई बीमारियां सीधे-सीधे दिखाई देती हैं। उनके लक्षण शुरुआत के साथ ही पता चलने लगते हैं... लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी भी हैं जो शरीर में दबे पांव दाखिल होती हैं और कब शरीर के अहम अंगों को बेकार करना शुरू कर देती हैं- पता ही नहीं चलता। जब शरीर को बीमारी का एहसास होता है- तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। ऐसी अदृश्य बीमारियों की वजह कभी बदलते लाइफस्टाइल में खोजी जा रही है। कभी खानपान में, कभी बढ़ते कंपटीशन की वजह से टेंशन में। ये भी ठीक-ठीक बताना मुश्किल है कि भारत में कितने लोग ऐसी अदृश्य बीमारियों से जूझ रहे हैं। इस लिस्ट में पहला नाम है - बीपी यानी हाई ब्लड प्रेशर का। दुनिया में हर तीन में से एक व्यक्ति बीपी का मरीज है...बीपी के हर दो में से एक मरीज को पता नहीं है कि उसे इस तरह की कोई बीमारी भी है। ग्रामीण या दूर-दराज के इलाकों के ज्यादातर लोग बीपी के लक्षणों को मामूली सिर दर्द मानते हुए ठंडा तेल में इलाज खोजने की कोशिश करते हैं। साल 2019 के World Health Organization के आंकड़ों के मुताबिक भारत में हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या 18 करोड़ 80 लाख है। पिछले तीस वर्षों में बीपी के मरीजों की संख्या डबल हो चुकी है।

भारत में हर 100 में से 11 लोग डायबिटीज की चपेट में

अब सवाल उठता है कि क्या लाइफ स्टाइल में आते बदलावों की वजह से लोग बीपी की चपेट में आते जा रहे हैं? फिर गांवों में रहने वाला हर पांचवां भारतीय बीपी का मरीज क्यों बन चुका है? इसकी एक बड़ी वजह ज्यादा नमक खाने की आदत में भी देखा जाता है। WHO के मुताबिक, हर आदमी को रोजाना 5 ग्राम से भी कम नमक खाना चाहिए। वहीं, भारत में हर शख्स रोजाना 8 ग्राम से अधिक नमक भोजन में इस्तेमाल करता है। मतलब, जरूरत से ज्यादा नमक का इस्तेमाल भी देश की बड़ी आबादी को हाई ब्लड प्रेशर की चपेट में ले रहा है। इसी तरह, भारत में हर 100 में से 11 लोग डायबिटीज की चपेट में हैं...15 लोग Prediabetes की चपेट में हैं । देश में जिस रफ्तार से डायबिटीज मरीजों की संख्या बढ़ रही है उसमें भारत को दुनिया की Diabetic Capital कहा जाने लगा है।

डायबिटीज मीठा जहर

दुनिया में डायबिटीज से पीड़ित हर पांचवां व्यक्ति भारतीय है...इसे मीठा जहर भी कह सकते हैं। दुनिया में हर साल मीठा जहर से करीब 15 लाख लोग अपनी जिंदगी से हाथ धो देते हैं। डायबिटीज और हाई बीपी को मदर ऑफ ऑल डिजीज भी कहा जाता है। अगर ये दोनों बीमारियां किसी इंसान को जकड़ लें - तो इनका Combo Attack तेजी से उसकी किडनी, लीवर, हार्ट समेत दूसरे अंगों को बेकार करना शुरू कर देता हैं। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में दावा किया गया है कि टाइप- 2 डायबिटीज से पीड़ित मरीजों में कई दूसरी गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। रिसर्च में ये भी बताया गया है कि जो लोग 30 साल से कम उम्र में डायबिटीज के शिकार हुए हैं, उनमें 8 से 14 साल पहले मौत का रिस्क देखा गया है। https://www.youtube.com/live/ZN_RJ-YBS7A?feature=share

दिनों-दिन नींद का कम होना बीमारी

इसी तरह हमारे देश के लोग एक और गंभीर बीमारी की चपेट में आते जा रहे हैं- वो है दिनों-दिन नींद का कम होना... 2019 में नींद और जीडीपी के कनेक्शन को लेकर एक स्टडी आई। लेकिन, आज बात जीडीपी की नहीं सिर्फ नींद की करेंगे। उस स्टडी में दुनिया में तीन ऐसे देशों का जिक्र था...जहां लोग साढ़े छह घंटे से भी कम नींद लेते हैं। ये देश हैं - जापान, साउथ कोरिया और सऊदी अरब। इसके बाद पौने सात घंटे से साढ़े छह घंटे के बीच नींद लेने वाले देशों की कैटेगरी थी- जिसमें भारत का भी नाम है। लेकिन, दुनिया के जिन देशों के लोगों ने अपनी नींद के साथ कोई समझौता नहीं किया है ... हमेशा गहरी नींद लेने में बेहतर जिंदगी का हिसाब लगाया है- उस लिस्ट में न्यूजीलैंड, फिनलैंड, नीदरलैंड, आयरलैंड जैसे देश हैं । 2019 में ही फिटबिट नाम की संस्था ने एक स्टडी किया। इसमें जापानियों को दुनिया में सबसे कम नींद लेने वाला और दूसरे नंबर पर भारतीयों को बताया गया। आंखों से नींद गायब होना सिर्फ मुहावरा ही नहीं एक गंभीर बीमारी भी है और चिंता की बात ये है कि भारतीयों की नींद दिनों-दिन कम होती जा रही है।

स्वस्थ शरीर के लिए सात से नौ घंटे की नींद जरूरी

आपने अक्सर लोगों के मुंह से सुना होगा कि फलाना आदमी सिर्फ चार घंटे सोता है। फलाना बच्चे ने रोजाना 20 घंटे पढ़ाई कर टॉप किया, फलाना बिजनेसमैन 24 घंटे में सिर्फ 5 घंटे की नींद के बाद तरोताजा हो जाता है। लेकिन, हकीकत ये है कि नींद नहीं आना एक गंभीर बीमारी है। अच्छी नींद नहीं आने की एक बड़ी वजह टेंशन है। आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में हर आदमी को अपना वजूद बनाए रखने और आगे बढ़ने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ रहा है। ऐसे में लोगों की नींद स्वाभाविक रूप से वर्तमान और भविष्य की चिंता में घटती जा रही है। लेकिन, एक सच ये भी है कि किसी भी स्वस्थ शरीर के लिए सात से नौ घंटे की नींद जरूरी होती है। लगातार नींद पूरी नहीं होने की स्थिति में लोगों को कई गंभीर बीमारियां घेर लेती हैं मसलन डिप्रेशन, एंग्जाइटी और चिड़चिड़ापन। कोरोना महामारी के बाद देश में मानसिक रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में हर सात में से एक बच्चा डिप्रेशन का शिकार है। लेकिन, हमारे देश में बच्चों के व्यवहार में Abnormal Changes के बाद भी उसे मानसिक बीमारी मानने वाली सोच विकसित नहीं हुई है...इलाज के लिए बच्चे को Psychiatrist के पास ले जाने से लोग हिचकते हैं।

बच्चों के दिमाग पर बढ़ा रहा है बोझ 

डिप्रेशन समेत दूसरी मानसिक बीमारियों से जूझते ज्यादातर लोगों को लगता है कि उन्हें इलाज की जरूरत नहीं है। बच्चों के मेंटल हेल्थ को प्रभावित करने में वर्चुअल वर्ल्ड यानी स्मार्ट फोन, टैबलेट और लैपटॉप की भी बड़ी भूमिका है। इंटरनेट से लैस गैजेट्स ने छोटे बच्चों के सामने एक साथ इतना Content और Culture परोस दिया है, जिसमें किसी छोटे बच्चे के दिमाग के लिए संभालना आसान नहीं है। दूसरी ओर, तेजी से बढ़ता Competition और हर एग्जाम में ज्यादा score हासिल करने का प्रेशर भी बच्चों के दिमाग पर बोझ बढ़ा रहा है। जिससे किसी को अकेलापन भाने लगता है, किसी को बिना बात गुस्सा आने लगता है। कोई चिड़चिड़ा बन जाता है, तो कोई बहुत कम बोलने लगता है, जब भी बोलता है तो निराशाजनक या नकारात्मक बातें करता है।

संतुलित तरीका आजमाने की जरूरत

बच्चों के नींद पैटर्न में भी बदलाव दिखता है- कुछ कम सोते हैं तो कुछ बहुत ज्यादा। ऐसे में मानसिक बीमारियां भी अदृश्य रूप से तेजी से बच्चों से बुजुर्गों तक की जिंदगी में दाखिल हो रही हैं। बड़ी बात ये भी है कि हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, Insomnia यानी नींद नहीं आना और Mental Disorder का एक-दूसरे के गहरा रिश्ता है। तेजी से बदलती दुनिया में लोग जिस तरह की जीवनशैली अपना रहे हैं या अपनाने को मजबूर हैं... उसमें लोगों के शरीर में अदृश्य बीमारियों के दाखिल होने के लिए गुप्त रास्ते भी बने हैं, जिसमें लोगों की उम्र दिनों-दिन कम होती जा रही है। ऐसे में तरक्की की तेज रफ्तार में कदमताल के साथ जिंदगी जीने का एक ऐसा संतुलित तरीका आजमाने की जरूरत है। जिसमें अदृश्य बीमारियों के खिलाफ शरीर में कवच तैयार किया जा सके क्योंकि, स्वस्थ नागरिक ही खुद का, अपने परिवार का, अपने समाज और अपने देश के विकास में दमदार भूमिका निभा सकता है।


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.